लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक अहम फैसला देते हुए कहा है कि चेक बाउंस के मामलों में पक्षकार निचली अदालत द्वारा निर्णय सुनाए जाने के बाद भी समझौता कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि चेक बाउंस के मामलों में मुकदमे के किसी भी स्टेज पर पक्षकार आपस में समझौता कर सकते हैं.
यह आदेश न्यायाधीश चंद्रधारी सिंह की एकल पीठ ने रिशि मोहन श्रीवास्तव की याचिका पर पारित किया. वहीं सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के समक्ष यह भी तथ्य आया कि याची की एक पुनर्विचार याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है. इस पर कोर्ट ने कहा कि न्याय हित में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका को सुना जा सकता है.
मामले पर सुनवाई के उपरांत पारित निर्णय में कोर्ट ने कहा कि एन आई एक्ट के तहत समझौता किसी भी स्टेज पर किया जा सकता है. इस मामले में पक्षकारों ने समझौता कर लिया है. लिहाजा न्यायहित में याचिका को मंजूर किया जाता है. न्यायालय ने याची को सुनाई गई गई सजा व जुर्माने को खत्म कर दिया. साथ ही राज्य सरकार को 5 हजार रुपये हर्जाना देने का भी आदेश दिया.
जानें क्या था मामला
याची ने व्यापारिक लेनदेन के तहत मामले के शिकायतकर्ता अभय सिंह को एक-एक लाख रुपये के दो चेक दिये थे, जो बाउंस हो गए. इसके बाद वर्ष 2016 में शिकायतकर्ता ने अदालत में एन आई एक्ट की धारा 138 के तहत याची के विरुद्ध मुकदमा दाखिल किया. विचारण अदालत ने मामले पर फैसला देते हुए 29 नंवबर 2019 को एक साल की सजा सुनाई और 3 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया.
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याची की अपील भी अयेाध्या जनपद के एक सत्र अदालत से खारिज हो गई. इसके बाद हाईकोर्ट ने उसकी पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी. इसके बाद याची ने शिकायतकर्ता को पैसा देकर समझौता कर लिया. उक्त समझौते के आधार पर वर्तमान याचिका दाखिल की गई.