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ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से हाईकोर्ट ने पूछा, औद्योगिक इकाईयों को आखिर पानी कहां से मुहैया कराते हैं - हाईकोर्ट की खबरें

अथॉरिटी द्वारा पानी मुहैया नहीं कराने के सवाल पर, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से पूछा है कि औद्योगिक इकाईयों को आखिर पानी कहां से मुहैया कराते हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.

हाईकोर्ट
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Published : Nov 20, 2021, 10:35 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से पूछा है कि उसके क्षेत्र में स्थापित औद्योगिक इकाईयों को आखिर पानी कहां से प्राप्त होता है. दरअसल, ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से बताया गया कि वह औद्योगिक इकाईयों को पानी मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार नहीं है, इस पर कोर्ट ने यह प्रश्न किया. मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर को होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने सुपरटेक प्रीकास्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया. याची के अधिवक्ता अभिषेक खरे ने बताया कि याचिका में अथॉरिटी द्वारा याची को पानी मुहैया न कराए जाने का विषय उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि याची कम्पनी ने अथॉरिटी से इंडस्ट्री लगाने के लिए लीज पर जमीन प्राप्त की लेकिन जब पानी मुहैया कराने की बात आई तो अथॉरिटी ने मना कर दिया.

याची ने प्रमुख सचिव, औद्योगिक विकास को भी पत्र भेजकर पानी मुहैया कराए जाने की मांग की लेकिन कहा गया कि ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी एसटीपी वाटर औद्योगिक इकाईयों को उप्लब्ध कराती है. याची भी ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से एसटीपी वाटर प्राप्त कर सकता है. याची को बोरवेल लगाने की भी अनुमति नहीं दी गई. यह भी कहा गया कि इस दौरान इंडस्ट्री न चल पाने की वजह से याची अथॉरिटी को रेंट का भी भुगतान नहीं कर सका जिसके कारण रिकवरी नोटिस जारी कर दी गई व अब उक्त जमीन को खाली कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.

इसे भी पढ़ें- मुख्यमंत्री योगी की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मी ने गोली मारकर किया सुसाइड

वहीं सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि सरकार ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से इस सम्बंध में उनकी पॉलिसी के बारे में पूछा है. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अथॉरिटी से यह भी पूछा है कि वह विभिन्न औद्योगिक इकाईयों को पानी कैसे मुहैया कराती है व इस सम्बंध में उसने क्या प्रावधान बनाए हैं. वहीं, कोर्ट ने जमीन को खाली कराए जाने पर भी अंतरिम रोक लगा दी है.

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लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से पूछा है कि उसके क्षेत्र में स्थापित औद्योगिक इकाईयों को आखिर पानी कहां से प्राप्त होता है. दरअसल, ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से बताया गया कि वह औद्योगिक इकाईयों को पानी मुहैया कराने के लिए जिम्मेदार नहीं है, इस पर कोर्ट ने यह प्रश्न किया. मामले की अगली सुनवाई 23 नवम्बर को होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने सुपरटेक प्रीकास्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया. याची के अधिवक्ता अभिषेक खरे ने बताया कि याचिका में अथॉरिटी द्वारा याची को पानी मुहैया न कराए जाने का विषय उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि याची कम्पनी ने अथॉरिटी से इंडस्ट्री लगाने के लिए लीज पर जमीन प्राप्त की लेकिन जब पानी मुहैया कराने की बात आई तो अथॉरिटी ने मना कर दिया.

याची ने प्रमुख सचिव, औद्योगिक विकास को भी पत्र भेजकर पानी मुहैया कराए जाने की मांग की लेकिन कहा गया कि ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी एसटीपी वाटर औद्योगिक इकाईयों को उप्लब्ध कराती है. याची भी ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से एसटीपी वाटर प्राप्त कर सकता है. याची को बोरवेल लगाने की भी अनुमति नहीं दी गई. यह भी कहा गया कि इस दौरान इंडस्ट्री न चल पाने की वजह से याची अथॉरिटी को रेंट का भी भुगतान नहीं कर सका जिसके कारण रिकवरी नोटिस जारी कर दी गई व अब उक्त जमीन को खाली कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.

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वहीं सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि सरकार ने ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से इस सम्बंध में उनकी पॉलिसी के बारे में पूछा है. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अथॉरिटी से यह भी पूछा है कि वह विभिन्न औद्योगिक इकाईयों को पानी कैसे मुहैया कराती है व इस सम्बंध में उसने क्या प्रावधान बनाए हैं. वहीं, कोर्ट ने जमीन को खाली कराए जाने पर भी अंतरिम रोक लगा दी है.

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