लखनऊ : होम्योपैथी चिकित्सा पर हमेशा से लोगों का विश्वास बना रहा है. राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में रोजाना 800 से 1200 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कुछ मरीजों ने कहा कि 'यह अस्पताल बहुत पुराना है और साथ ही इसके ऊपर विश्वास हमेशा से रहा है. क्योंकि, होम्योपैथिक दवा का कोई भी बुरा प्रभाव नहीं होता है, जिसके चलते बिना डर के इस दवा का सेवन किया जा सकता है.'
अच्छा होता है इलाज : इंदिरा नगर के रहने वाले योगेश सिंह ने कहा कि 'उनकी बेटी के पैर में काफी दिनों से दिक्कत थी, मेडिकल कॉलेज में भी दिखाया, लेकिन यह समस्या दूर नहीं हुई. कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था. फिर उसके बाद राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में दिखाने के लिए लेकर आए यहां पर इलाज चल रहा है. पहले से अब में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पत्नी के सीने में गांठ बन गई थी. एलोपैथ के डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने की सलाह दी थी. लेकिन, होम्योपैथ में इलाज करना शुरू किया था. सात से आठ महीने में गांठ पूरी तरह से समाप्त हो चुकी थी, इसलिए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के ऊपर पहले से ही विश्वास रहा है.
होम्योपैथी दवाई से बढ़ी हाइट : फॉरेंसिक विभाग के डॉ विजय शंकर तिवारी ने बताया कि 'कई बार ऐसा होता है कि बच्चों की हाइट समय से नहीं खुलती है. यह एक सबसे बड़ी समस्या होती है, इससे बच्चे डिमोटिवेट होते हैं. उन्होंने कहा कि हाईट की समस्या के लिए दवा सिर्फ सुबह के समय बासी मुंह यानी बिना ब्रश किए हुए खानी होती है, जिसका असर एक हफ्ते में होता है. बच्ची की हाइट बहुत कम थी. उसके बाद उसे दवाएं दी गई थीं. दवाई लेने के एक हफ्ते बाद जब बेटी को ओपीडी में दोबारा दिखाने पहुंचे, तब चेक किया तो उसकी हाइट एक से डेढ़ इंच बढ़ गई थी.'
मुख्य द्वार पर ही बनाया गया पर्चा काउंटर : राजकीय नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज एवं चिकित्सालय के प्रिंसिपल डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि 'रोजाना हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए अस्पताल में आते हैं. इसमें नए और पुराने दोनों मरीज शामिल होते हैं. अस्पताल में बहुत सारी चीजों को रेनोवेट कराया जा रहा है, जिसमें ओपीडी और आईपीडी दोनों शामिल हैं. रेनोवेशन का काम प्रगति पर है और तेजी से इसे कराया जा रहा है, ताकि मरीजों को कोई भी समस्या न हो. वर्तमान में पर्चा काउंटर मुख्य द्वार पर ही बनाया गया है, जहां से सिर्फ एक रुपए का पर्चा बनाकर मरीज बेहतर इलाज प्राप्त करता है.'
ऑडिटोरियम में होगा कॉलेज का प्रोग्राम : ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि 'होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय का रेनोवेशन का काम तो चल ही रहा है, साथ ही हर्बल गार्डन ऑडिटोरियम भी बन रहा है, जहां पर कॉलेज का प्रोग्राम होगा. साथ ही वहां पर अधिकारियों के रुकने की व्यवस्था की गई है. संस्थान का अपना कोई बड़ा ऑडिटोरियम नहीं था, जिसके चलते कॉलेज के ही एक सेमिनार हॉल में आयोजन होता था, लेकिन, अब संस्थान के पास बहुत ही जल्द खुद का ऑडिटोरियम होगा. जहां पर बड़ी संख्या में लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे. दो-तीन महीने में ऑडिटोरियम का काम पूरा हो जाएगा. फिलहाल काम प्रगति पर है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि हर्बल गार्डन ऑडिटोरियम नाम इसलिए रखा क्या है, क्योंकि होम्योपैथिक की चिकित्सा पद्धति हर्बल तरीके से होती है. होम्योपैथिक की पद्धति में पेड़-पौधे एवं जड़ी बूटियां से किसी भी समस्या का निदान होता है, जिसके चलते इस ऑडिटोरियम का नाम हर्बल गार्डन रखा गया है.'
फैकल्टी के आने से बहुत सी कमियां दूर : डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि 'राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में पहले फैकल्टी की कमी थी, जिसके चलते कई बार शासन को इसके लिए लिखित तौर पर फैकल्टी की कमी के बारे में अवगत कराया गया था. हाल ही में नई फैकल्टी आ गई. कम्युनिटी मेडिसिन, महिला रोग विशेषज्ञ एफएमटी (फॉरेंसिक मेडिसिन टॉक्सिकोलॉजी), प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन विभाग फैकल्टी आई है. इन फैकल्टी के आने से बहुत सी कमियां दूर हुई हैं. स्टूडेंट को उनके टीचर्स मिले हैं, ओपीडी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर मिले हैं. फैकल्टी के आ जाने के कारण बहुत सारी कमियां पूरी हुई हैं.'
पैथोलॉजी हो गई स्थापित : बता दें कि होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में पहले पैथोलॉजी नहीं होने के चलते मरीजों को काफी दिक्कत होती थी. बहुत सारी दवाइयां मरीजों को नहीं मिल पाती थीं. लेकिन, अब ऐसी समस्या का सामना मरीजों को नहीं करना पड़ रहा है. अस्पताल की खुद की पैथोलॉजी हो जाने से मरीज के लिए बहुत सहूलियत हुई है. पहले अस्पताल की खुद की पैथोलॉजी नहीं थी. अब सिर्फ एक रुपए में मरीज को बेहतर चिकित्सा इलाज मिल रहा है. मरीज की जांच भी हो रही है और उसे दवा भी मिल रही है.
बन रहा है बॉयज हॉस्टल : डॉ. डीके सोनकर ने बताया कि 'पहले छात्राओं को रहने में दिक्कत परेशानी होती थी, क्योंकि एक रूम में चार या तीन स्टूडेंट्स को शिफ्ट किया गया था. जिसके चलते काफी दिक्कतों का सामना स्टूडेंट करना पड़ता था, लेकिन हाल ही में 32 बेड का नया गर्ल्स हॉस्टल बनकर तैयार हुआ है. जहां पर कॉलेज स्टूडेंट्स शिफ्ट हो चुकी है, वहीं 32 बेड का बॉयज हॉस्टल भी बन रहा है. कुछ ही दिनों में यह हॉस्टल भी बनकर तैयार हो जाएगा.'