लखनऊ : बढ़ती गर्मी को देखते हुए मौसम विभाग ने सोमवार को लू को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है. प्रदेश में प्रचंड गर्मी पड़ रही है और पारा 42 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. गर्मी के कारण राजधानीवासियों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. सोमवार को दिन में चलती गर्मी हवाओं ने लू जैसा अहसास कराया. गर्मी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में डायरिया समेत दूसरी संक्रामक बीमारियों के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है. सभी सरकारी अस्पतालों को खास सतर्क रहने की जरूरत है. इमरजेंसी सेवाओं को और मजबूत करने की जरूरत है.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एस देव ने बताया कि 'गर्मी का समय है. ऐसे में डिहाइड्रेशन की समस्या सबसे बड़ी है. पानी कम पीने के कारण डिहाइड्रेशन की प्रॉब्लम होने लगती हैं. गर्मी का मौसम अपने साथ कई बीमारियां लेकर आता है. इस मौसम में जरा सी लापरवाही करना सेहत पर भारी पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि हीट स्ट्रोक को मेडिकल टर्म में 'हाइपरथर्मिया' कहते हैं और यह गर्मी के मौसम में होने वाली सबसे कॉमन बीमारी है. लंबे समय तक बाहर धूप में या गर्म तापमान में रहने की वजह से यह बीमारी होती है. हीट स्ट्रोक होने पर मरीज में सिर में दर्द, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना या बेहोशी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. इसे लू लगना भी कहते हैं.'
'फूड पॉइजनिंग भी बड़ी समस्या'
उन्होंने बताया कि 'गर्मियों में होने वाली एक और कॉमन समस्या फूड पॉइजनिंग है. इस मौसम में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस की भी ग्रोथ अधिक होती है. जिसके चलते रोगाणु तेजी से फैलते हैं और भोजन को दूषित कर देते हैं. इसी दूषित भोजन को खाने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है और पेट से जुड़ी कई और दिक्कतें भी. पेट दर्द, जी मिचलाना, दस्त, बुखार और शरीर में दर्द के लक्षण दिख सकते हैं. इसमें ना सिर्फ पेट मरोड़ के साथ दर्द करता है, बल्कि डायरिया, उल्टी जैसी समस्याएं भी नजर आने लगती हैं.'
बनेंगी रैपिड रिस्पांस टीम
सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने कहा कि 'सरकारी अस्पतालों में संक्रामक मरीजों के भर्ती की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी. दवा, जांच में किसी भी तरह की कमी नहीं हो रही है. सभी जिलों में सीएमओ रैपिड रिस्पांस टीम बनाई जा रही है, जो बीमारी की फैलने की दशा में राहत कार्य पहुंचाएंगी. नगरीय सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट जारी है. यहां से बीमारी पर काबू पाना आसान होगा. समय पर राहत कार्य से बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है. सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ओरआरएस, ग्लूकोज, एंटीबायोटिक समेत दूसरी दवाओं का स्टॉक उपलब्ध है.'
'पानी की नियमित कराएं जांच'
इसके अलावा डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि 'जिलाधिकारी, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीम नियमित पानी की जांच करे. घरों से लेकर सड़क पर लगे नलों से पानी लेकर जांच कराएं. जल संस्थान व दूसरे जिम्मेदार विभागों के अफसर पानी की गुणवत्ता बरकरार रखने में किसी भी तरह की कोताही न बरतें. मानक के अनुसार क्लोरीन पानी में मिलाएं, ताकि लोगों को साफ-सुथरा पीने लायक पानी की आपूर्ति की जा सके.'
डिहाइड्रेशन के लक्षण
- पेट गड़बड़ाना.
- लगातार उल्टी होना.
- अत्यधिक मतली आना.
- पेट में दर्द और सूजन होना.
- शरीर में पानी की कमी होना.
- बार-बार बुखार आना.
- मल के साथ खून आना.
- बदहजमी की शिकायत होना.
- भूख में कमी आना.
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