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लेवाना अग्निकांड मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई

लेवाना अग्निकांड मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई में सरकार के जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुई. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार का काम हमें करना पड़ रहा है.

लखनऊ:
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Published : Sep 22, 2022, 8:52 PM IST

लखनऊ: लेवाना होटल अग्निकांड मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. न्यायालय ने कहा है कि एलडीए व आवास विकास जैसे प्राधिकरणों को देखने (रेग्युलेशन) का काम सरकार का है जबकि यहां सरकार का काम हमें करना पड़ रहा है. न्यायालय राज्य सरकार की ओर से दिए जवाब से भी संतुष्ट नहीं हुई है. न्यायालय ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि जो भवन नियमों का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं, उन पर आखिर क्या कार्रवाई हुई है.

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 नवम्बर की तिथि नियतकी है. न्यायालय ने राज्य सरकार को बेहतर जवाब के साथ आने का आदेश दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने एलडीए को सर्वेक्षण करने के उपरांत विस्तृत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि शहर में कितने भवन एलडीए के बॉयलॉज का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई. इसके साथ ही न्यायालय ने मामले में अपर मुख्य सचिव, आवास व शहरी नियोजन, नगर आयुक्त लखनऊ नगर निगम व आवास आयुक्त आवास विकास परिषद आदि को भी मामले में पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं. वहीं सुनवाई के दौरान एलडीए के वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी भी हाजिर रहे.

यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लेवाना सुइट्स होटल में आग की घटना’ नाम से स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर पारित किया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता, द्वितीय शैलेन्द्र सिंह ने चीफ फायर ऑफिसर का हलफ़नामा प्रस्तुत किया जिसमें एनओसी जारी की जाने के सम्बंध में जानकारी थी. न्यायालय ने इस से असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि फायर नॉर्म्स का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्या की गई.


यह भी पढे़ं:लेवाना होटल अग्निकांड में बड़े अफसरों पर कार्रवाई न होने पर उठे ये सवाल


पारिजात अपार्टमेंट में आग का उठाया मामला: सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आसित कुमार चतुर्वेदी ने गोमती नगर स्थित एलडीए के पारिजात अपार्टमेंट में एक फ्लैट में आग लगाने का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि उक्त अपार्टमेंट का निर्माण इस तरह हुआ है कि वहां आग लगाने के बाद फायर टेंडर के संचालन की ही जगह नहीं थी. उन्होंने अपने प्रार्थना पत्र के साथ दस्तावेज दाखिल करते हुए बताया कि फायर विभाग ने उक्त अपार्टमेंट पर आपत्ति दाखिल की थी. बावजूद इसके एलडीए ने खुद के इस अपार्टमेंट को कॅम्पलीशन सर्टिफिकेट दे दिया. खास बात यह रही कि जब पारिजात अपार्टमेंट का मुद्दा उठाया. उसके ठीक पहले एलडीए वीसी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि वे बॉयलॉज की सभी शर्तें पूरी होने पर ही किसी भी भवन को कॅम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी करते हैं. न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब एलडीए के खुद के अपार्टमेंट का यह हाल है तो दूसरे निर्माणों का क्या होगा.

यह भी पढे़ं:लखनऊ लेवाना होटल अग्निकांड: फायर ब्रिगेड की स्पेशल टीम पहुंची, आरोपियों को भेजा गया जेल

लखनऊ: लेवाना होटल अग्निकांड मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. न्यायालय ने कहा है कि एलडीए व आवास विकास जैसे प्राधिकरणों को देखने (रेग्युलेशन) का काम सरकार का है जबकि यहां सरकार का काम हमें करना पड़ रहा है. न्यायालय राज्य सरकार की ओर से दिए जवाब से भी संतुष्ट नहीं हुई है. न्यायालय ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि जो भवन नियमों का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं, उन पर आखिर क्या कार्रवाई हुई है.

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 नवम्बर की तिथि नियतकी है. न्यायालय ने राज्य सरकार को बेहतर जवाब के साथ आने का आदेश दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने एलडीए को सर्वेक्षण करने के उपरांत विस्तृत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि शहर में कितने भवन एलडीए के बॉयलॉज का उल्लंघन करते हुए बनाए गए हैं और उन पर क्या कार्रवाई की गई. इसके साथ ही न्यायालय ने मामले में अपर मुख्य सचिव, आवास व शहरी नियोजन, नगर आयुक्त लखनऊ नगर निगम व आवास आयुक्त आवास विकास परिषद आदि को भी मामले में पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं. वहीं सुनवाई के दौरान एलडीए के वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी भी हाजिर रहे.

यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लेवाना सुइट्स होटल में आग की घटना’ नाम से स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर पारित किया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता, द्वितीय शैलेन्द्र सिंह ने चीफ फायर ऑफिसर का हलफ़नामा प्रस्तुत किया जिसमें एनओसी जारी की जाने के सम्बंध में जानकारी थी. न्यायालय ने इस से असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि फायर नॉर्म्स का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्या की गई.


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पारिजात अपार्टमेंट में आग का उठाया मामला: सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आसित कुमार चतुर्वेदी ने गोमती नगर स्थित एलडीए के पारिजात अपार्टमेंट में एक फ्लैट में आग लगाने का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि उक्त अपार्टमेंट का निर्माण इस तरह हुआ है कि वहां आग लगाने के बाद फायर टेंडर के संचालन की ही जगह नहीं थी. उन्होंने अपने प्रार्थना पत्र के साथ दस्तावेज दाखिल करते हुए बताया कि फायर विभाग ने उक्त अपार्टमेंट पर आपत्ति दाखिल की थी. बावजूद इसके एलडीए ने खुद के इस अपार्टमेंट को कॅम्पलीशन सर्टिफिकेट दे दिया. खास बात यह रही कि जब पारिजात अपार्टमेंट का मुद्दा उठाया. उसके ठीक पहले एलडीए वीसी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि वे बॉयलॉज की सभी शर्तें पूरी होने पर ही किसी भी भवन को कॅम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी करते हैं. न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि जब एलडीए के खुद के अपार्टमेंट का यह हाल है तो दूसरे निर्माणों का क्या होगा.

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