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ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को चुनौती मामले की 17 फरवरी को होगी सुनवाई

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश में ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को नियत की है. इस मामले में याची संगठन का कहना है कि जिस अध्यादेश के तहत प्रशासकों की नियुक्ति की गई है, उसे पहले ही हाईकोर्ट रद्द कर चुकी है.

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Published : Jan 31, 2021, 2:28 PM IST

ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की वैधता को चुनौती.
ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की वैधता को चुनौती.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका बहस के लिए महाधिवक्ता ने अगली सुनवाई तक के समय का अनुरोध किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी.

न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश पंचायत राज ग्राम प्रधान संगठन की पीआईएल पर दिया. पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया था. इस याचिका में प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को असंवैधानिक कहा गया है. याची संगठन का कहना है कि जिस अध्यादेश के तहत प्रशासकों की नियुक्ति की गई है, उसे पहले ही हाईकोर्ट द्वारा रद्द किया जा चुका है. ऐसे में राज्य सरकार को ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है.

संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायत का कार्यकाल पांच वर्ष से अधिक का नहीं हो सकता. ऐसे में प्रशासक बैठाकर ग्राम पंचायतों का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है, जो पूरी तरह अविधिपूर्ण है. इसमें दलील दी गई है कि एक बार अध्यादेश को न्यायालय द्वारा रद्द कर दिये जाने के पश्चात उसी के आधार पर प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका बहस के लिए महाधिवक्ता ने अगली सुनवाई तक के समय का अनुरोध किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी.

न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश पंचायत राज ग्राम प्रधान संगठन की पीआईएल पर दिया. पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया था. इस याचिका में प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को असंवैधानिक कहा गया है. याची संगठन का कहना है कि जिस अध्यादेश के तहत प्रशासकों की नियुक्ति की गई है, उसे पहले ही हाईकोर्ट द्वारा रद्द किया जा चुका है. ऐसे में राज्य सरकार को ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है.

संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत पंचायत का कार्यकाल पांच वर्ष से अधिक का नहीं हो सकता. ऐसे में प्रशासक बैठाकर ग्राम पंचायतों का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है, जो पूरी तरह अविधिपूर्ण है. इसमें दलील दी गई है कि एक बार अध्यादेश को न्यायालय द्वारा रद्द कर दिये जाने के पश्चात उसी के आधार पर प्रशासकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है.

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