लखनऊ: एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) से निपटने पर सरकार मंथन कर रही है. दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं. आलम ये है कि स्थाई कर्मचारी ट्रांसफर (employee transfer) को लेकर आक्रोशित हैं. वहीं आउटसोर्सिंग कर्मचारी समान कार्य-समान वेतन (equal work equal pay) को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं.
यूपी मेडिकल एंड पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रीरियल एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रेम कुमार ने स्वास्थ्य विभाग में किए गए स्थानांतरण को अनियमित करार दिया. पत्रकार वार्ता में उन्होंने स्वास्थ्य प्रशासन पर सरकार से कार्रवाई की मांग की. कहा कि स्वास्थ्य मंत्री व अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य के साथ पदाधिकारियों की बैठक हुई थी. इसमें कोरोना काल ( Corona Time) में सिर्फ कर्मियों के अनुरोध पर स्थानांतरण को लेकर आश्वासन मिला था. वहीं, निदेशक स्वास्थ्य प्रशासन ने मनमाने तरीके से लिपिक वर्ग के कर्मचारियों का स्थानांतरण किया. इसे लेकर आक्रोश है. सभी कर्मियों का स्थानांतरण तत्काल निरस्त किया जाए. साथ ही निदेशक स्वास्थ्य प्रशासन पर कार्रवाई की जाए.
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संयुक्त स्वास्थ आउटसोर्सिंग-संविदा कर्मचारी संघ बैठक लोहिया संस्थान में हुई. संघ के महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा ने कहा कि जेम पोर्टल द्वारा अनुबंध होने के बाद भी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 9,057 प्रतिमाह भी नहीं मिल पा रहा है. वहीं, दूसरी ओर नर्सिंग व पैरामेडिकल कर्मचारियों का वेतन भी एनएचएम से काफी कम है. लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों का वेतन पिछले 5 वर्षों से नहीं बढ़ा है. ऐसे में विभिन्न जनपदों के मेडिकल कॉलेज और चिकित्सालय में कार्यरत लगभग तीन लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारी बेहद कम वेतन पर कार्य करने को मजबूर हैं. कर्मियों का मानदेय नहीं बढ़ा तो सात सितंबर से आंदोलन होगा.