लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते तीन दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे 11 छात्रों में से एक की तबीयत शुक्रवार को काफी बिगड़ गई. धरने पर बैठे छात्र प्रसन्न शुक्ला की शुक्रवार दोपहर तबीयत अचानक से बेहोश हो गया. इसके बाद छात्र को विश्वविद्यालय प्रशासन ने आननफानन एंबुलेंस से बलरामपुर अस्पताल ले गए. जहां पर पहले अस्पताल प्रशासन ने छात्र को भर्ती करने से मना कर दिया. वहीं थोड़ी देर बाद धरने पर बैठे दूसरे छात्र अस्पताल पहुंच गए और छात्र को अपने साथ दोबारा से धरना स्थल पर वापस ले आए. प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि जब तक उनका एडमिट कार्ड नहीं जारी हो जाता, वे भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे. अगर किसी छात्र के साथ कोई भी अनहोनी घटना होती है तो उसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जिम्मेदार होगा.
जब तक परीक्षा नहीं, भूख हड़ताल जारी रहेगी : प्रदर्शन कर रहे छात्र विंध्यवासिनी शुक्ला ने बताया कि अक्टूबर-नवंबर में उन्होंने छात्र संघ बहाली के लिए विश्वविद्यालय में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया था. इस दौरान अपनी मांगों को मनवाने के लिए छात्रों ने भूख हड़ताल भी की थी. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले को लेकर सारे पहलुओं पर जानकारी देते हुए छात्रों का धरना समाप्त कराया था.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर प्रवेश पत्र रोके : विंध्यवासिनी शुक्ला ने बताया कि इसके बाद जब सेमेस्टर एग्जाम शुरू हुई तब विश्वविद्यालय प्रशासन ने जानबूझकर उनका प्रवेश पत्र रोक लिया और परीक्षा के दिन उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया. छात्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अडियल रुख अपनाते हुए जानबूझकर उनका प्रवेश पत्र रोक कर उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया. जिससे नाराज होकर छात्रों ने पहले दिन तो धरना प्रदर्शन किया फिर जब देर शाम तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी तो वह बीते तीन दिनों से भूख हड़ताल पर बैठ गए. छात्रों ने बताया कि वह विश्वविद्यालय प्रशासन के इस रवैया से काफी आहत है. ऐसे में जब तक उनके साथ न्याय नहीं होता वह भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे.
लखनऊ विवि के छात्र की सफाई : धरना देने नहीं, परीक्षा देने आया था कैंपस