लखनऊ: लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. भुवन चन्द्र तिवारी के मुताबिक दिल के मरीजों को गर्मी के दिनों में भी सावधानी बरतनी होगी. खासकर, दिल के दौरे का खतरा तब और बढ़ जाता है, जब कुछ दिनों तक लगातार धूप तेज होती है, या ज्यादा गर्मी से व्यक्ति को सामना करना पड़ जाता है.
इस दौरान शरीर की मेटाबॉलिज्म में बदलाव आ जाता है. शरीर को 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 डिग्री फॉरेनहाइट) के सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ जाता है. वहीं ह्रदय रोगियों पर कोरोना वायरस के ज्यादा दुष्प्रभाव का भी खतरा रहता है. ऐसे में वर्तमान समय में सेहत का ध्यान रखना जरूरी है.
इन लक्षणों का रखें ध्यान
- सिर दर्द होना, अधिक पसीना आना.
- त्वचा का ठंडा और नमी युक्त होना.
- ठंड लगना और चक्कर आना.
- जी मिचलाना, उल्टी आना.
- कमजोरी-थकान महसूस करना.
- नाड़ी का तेज चलना.
- मांसपेशियों में ऐंठन.
- सांस का तेज चलना.
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हाई ब्लड प्रेशर वाले रखें ध्यान
- अत्यधिक गर्मी लगे, बेचैनी और असहज महसूस करें तो अपना ब्लड प्रेशर चेक करें.
- अगर ब्लड प्रेशर हाई है, तो डॉक्टर के परामर्श कर दवा लें. दवा ब्रेक न करें.
- तेज धूप या गर्मी में बाहर जाने से बचें. दोपहर में घर के अंदर सामान्य वातावरण में रहने की कोशिश करें.
- AC से अचानक धूप में न निकलें, यदि जाना जरूरी हो तो पैदल चलते समय छाते का इस्तेमाल करें.
- अधिक गर्मी होने पर ठंडे पानी से नहाए या स्पंज करें.
- गर्मियों में हल्के रंग के ढीले कपड़े पहनें.
- आउटडोर गतिविधियों में भाग न लें.
- पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें, चाय-कॉफी और शराब के सेवन से बचें.
डिहाइड्रेशन से पड़ सकता दिल का दौरा
डॉ. भुवन चंद्र के मुताबिक गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे व्यक्तियों में दिल का दौरा पड़ने की आशंका बहुत अधिक होती है. बहुत अधिक समय तक तेज धूप या गर्मी में रहने पर ब्लड प्रेशर में गिरावट आ जाती है. डिहाइड्रेशन की वजह से शरीर में सोडियम और पोटैशियम की मात्रा में गड़बड़ा जाती है. गर्म के मौसम में खतरा सबसे अधिक बुजुर्गों को होता है.
बढ़ रहे हार्ट फेल्योर के मामले
डॉ. भुवन चंद्र के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि 1990 से 2013 तक देश में हार्ट फेल्यर के मामले 140 फीसदी बढ़े हैं. अब और इजाफा हो गया. भारत में हार्ट फेलियर के रोगियों की औसत उम्र 59 वर्ष है. यह अमेरिका और यूरोप के मरीजों की तुलना में लगभग 10 वर्ष कम है. देश में कार्डियोवस्कुलर डिसीज (सीवीडी) के कारण होने वाली मृत्यु की कुल संख्या 1990 में 15 फीसद थी, जो 2016 में बढ़कर 28 फीसदी हो गई है. हार्ट फेलियर इन सभी सीवीडी में मृत्यु दर का प्रमुख कारण है.