लखनऊ: प्रदेशभर में कोरोना वायरस को लेकर तमाम तरह की व्यवस्था स्वास्थ विभाग द्वारा की गई है. वहीं कोरोना वायरस से निपटने के लिए सवास्थ्यकर्मी 24 घंटे मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं, चाहे वह डॉक्टर हों या फिर नर्सें या बात की जाए एंबुलेंस चालकों की.
कोरोना वायरस महामारी देशभर में अपना असर दिखा रही है. इसी कड़ी में प्रदेश में भी कोरोना वायरस के मामले 37 जिलों में सामने आए हैं. इसके साथ प्रदेश भर में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 332 हो गई है. मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ स्वास्थ विभाग में लगी एंबुलेंस और स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार कोरोना वायरस के संक्रमित व संदिग्ध मरीजों तक पहुंचने और इलाज करने का काम कर रहे हैं.
32 स्वास्थ्यकर्मी एक समय पर रहते हैं तैनात
राजधानी लखनऊ में स्वास्थ विभाग ने आठ एंबुलेंस कोरोना वायरस के मरीजों को लाने, ले जाने के लिए तैनात की हैं. इसी प्रकार आठ एंबुलेंस पर 16 चालक और 16 चिकित्सक लगातार अपनी सेवाएं कोरोना वायरस के मरीजों को चिन्हित करने में दे रहे हैं.
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यह सभी 32 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना के संक्रमित और संदिग्ध मरीजों को लाने ले जाने और सैंपल लेने के लिए 24 घंटे तैनात रहते हैं. इसके साथ-साथ इन सभी चिकित्साकर्मियों और एंबुलेंस के चालकों में लक्षण दिखने पर कोरोना वायरस के सैंपल टेस्ट की व्यवस्था भी स्वास्थ विभाग की तरफ से की गई है. इसके साथ ही एंबुलेंस को लगातार सैनिटाइज कराने का काम भी स्वास्थ विभाग सुनिश्चित कर रहा है.
स्वास्थकर्मियों को सबसे अधिक खतरा
मरीजों को लाने-ले जाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के भी पूर्ण इंतेजाम किए गए हैं ताकि वे किसी भी प्रकार के संक्रमण से बच सकें. चिकित्साकर्मी और एंबुलेंस चालकों को मास्क, ग्लव्स और पीपी किट आदि की व्यवस्था की गई है. जैसे ही एंबुलेंस चालक और चिकित्सा कर्मी किसी संदिग्ध और संक्रमित मरीज के पास जाते हैं तो उन्हें यह उपलब्ध कराया जा रहा है.
स्वास्थ विभाग ने अब तक 15 चिकित्साकर्मी और एंबुलेंस चालकों के सैंपल टेस्ट करवाए हैं, लेकिन अभी तक राहत की बात यह है कि कोई भी चिकित्साकर्मी और एंबुलेंस चालक कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया है. मरीज से सबसे ज्यादा संपर्क में आने की वजह से इन्हें संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है.