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पशु चिकित्सकों ने किया लखनऊ चिड़ियाघर के वन्यजीवों का हेल्थ ऑडिट

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के वन्य जीवों का शुक्रवार को हेल्थ ऑडिट (Health audit of Lucknow zoo wildlife) किया गया. बता दें कि बाघ किशन वर्ष 2009 में किशनपुर, कापटांडा से रेस्क्यू होकर प्राणि उद्यान लाया गया था. मई 2009 में प्राणि उद्यान में परीक्षण के दौरान पशुचिकित्सकों को यह मालूम हुआ कि यह बाघ रक्त वाहनियों के कैंसर से पीड़ित है.

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Published : Dec 17, 2022, 11:00 AM IST

लखनऊ : नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के वन्य जीवों का शुक्रवार को हेल्थ ऑडिट (Health audit of Lucknow zoo wildlife) किया गया. हेल्थ ऑडिट पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या और पशु पालन विभाग, उप्र, लखनऊ के विशेषज्ञों एवं पशुचिकित्सकों ने किया. हेल्थ ऑडिट मुख्य तौर पर बाघ किशन, बाघिन कजरी और बीमार चल रहे शुतुरमुर्ग की चिकित्सा एवं देखभाल पर केन्द्रित रहा.

बता दें कि बाघ किशन वर्ष 2009 में किशनपुर, कापटांडा से रेस्क्यू होकर प्राणि उद्यान लाया गया था. मई 2009 में प्राणि उद्यान में परीक्षण के दौरान पशुचिकित्सकों को यह मालूम हुआ कि यह बाघ रक्त वाहनियों के कैंसर से पीड़ित है. बीते लगभग 13 वर्षों से बाघ किशन की चिकित्सा लगातार की जा रही है, लेकिन अब उसकी आयु और रोग के कारण उसकी स्थिति दिन प्रति दिन क्षीण होती जा रही है. नाजुक स्थिति से गुजर रहे नर शुतुरमुर्ग का भी चिकित्सक दल ने परीक्षण कर आवश्यक चिकित्सकीय निर्देश एवं परामर्श दिया. शुतुरमुर्ग का रक्त नमूना भी जांच के लिए पैथोलाॅजी लैब भेजा गया है. इसी तरह बाघिन कजरी भी वर्ष 2019 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व से मरणासन्न स्थिति में रेस्क्यू करके प्राणि उद्यान लाई गई थी. बेहद वृद्ध यह बाघिन देखने-सुनने एवं ज्यादा चलने-फिरने से लाचार है. इसके देखने की क्षमता लगभग नगण्य है और दांतों का क्षय होने के कारण इसको खाने में भी नर्म गोश्त ही दिया जाता है. इस प्रकार का हेल्थ ऑडिट विशेषज्ञों द्वारा समय-समय में प्राणि उद्यान कराता रहता है.

लखनऊ : नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के वन्य जीवों का शुक्रवार को हेल्थ ऑडिट (Health audit of Lucknow zoo wildlife) किया गया. हेल्थ ऑडिट पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या और पशु पालन विभाग, उप्र, लखनऊ के विशेषज्ञों एवं पशुचिकित्सकों ने किया. हेल्थ ऑडिट मुख्य तौर पर बाघ किशन, बाघिन कजरी और बीमार चल रहे शुतुरमुर्ग की चिकित्सा एवं देखभाल पर केन्द्रित रहा.

बता दें कि बाघ किशन वर्ष 2009 में किशनपुर, कापटांडा से रेस्क्यू होकर प्राणि उद्यान लाया गया था. मई 2009 में प्राणि उद्यान में परीक्षण के दौरान पशुचिकित्सकों को यह मालूम हुआ कि यह बाघ रक्त वाहनियों के कैंसर से पीड़ित है. बीते लगभग 13 वर्षों से बाघ किशन की चिकित्सा लगातार की जा रही है, लेकिन अब उसकी आयु और रोग के कारण उसकी स्थिति दिन प्रति दिन क्षीण होती जा रही है. नाजुक स्थिति से गुजर रहे नर शुतुरमुर्ग का भी चिकित्सक दल ने परीक्षण कर आवश्यक चिकित्सकीय निर्देश एवं परामर्श दिया. शुतुरमुर्ग का रक्त नमूना भी जांच के लिए पैथोलाॅजी लैब भेजा गया है. इसी तरह बाघिन कजरी भी वर्ष 2019 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व से मरणासन्न स्थिति में रेस्क्यू करके प्राणि उद्यान लाई गई थी. बेहद वृद्ध यह बाघिन देखने-सुनने एवं ज्यादा चलने-फिरने से लाचार है. इसके देखने की क्षमता लगभग नगण्य है और दांतों का क्षय होने के कारण इसको खाने में भी नर्म गोश्त ही दिया जाता है. इस प्रकार का हेल्थ ऑडिट विशेषज्ञों द्वारा समय-समय में प्राणि उद्यान कराता रहता है.

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