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पशुधन घोटाला: पीड़ित को धमकाने वाला हेड कांस्टेबल सस्पेंड

राजधानी लखनऊ में पशुधन विभाग में हुए घोटाले को लेकर बाराबंकी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को निलंबित कर दिया है. पशुधन विभाग में हुए 9.72 करोड़ रुपये के घोटाले में हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को पीड़ित को धमकाने के आरोप में दोषी पाया गया था, जिसको लेकर यह कार्रवाई की गई है.

पशुधन विभाग में घोटाला
पशुधन विभाग में घोटाला
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Published : Jun 23, 2020, 7:30 AM IST

लखनऊ: पशुधन विभाग में हुए घोटाले में हेड कांस्टेबल की भूमिका सामने आने के बाद बाराबंकी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को निलंबित कर दिया है. पशुधन घोटाले के पीड़ित मनजीत सिंह को आरोपी हेड कांस्टेबल ने धमकाया था. जांच के दौरान लखनऊ पुलिस ने पशुधन विभाग में हुए 9.72 करोड़ के घोटाले में हेड कांस्टेबल को पीड़ित को धमकाने का दोषी पाया था, जिसके बाद बाराबंकी पुलिस को इस संदर्भ में एक पत्र लिखा गया था. पत्र के आधार पर बाराबंकी में तैनात आरोपी हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को निलंबित कर दिया है.

बता दें कि घोटाले को लेकर राजधानी लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को नामजद किया गया था. पीड़ित मनजीत सिंह ने आरोप लगाए थे कि दिलबहार यादव ने अन्य आरोपी अनिल राय, रजनीश दीक्षित, आशीष राय, एके राजीव, रूपक राय और उमाशंकर तिवारी के कहने पर उसे धमकाया था. आरोपियों द्वारा लिए गए पैसे के संदर्भ में चुप रहने को कहा था. एफआईआर दर्ज होने के बाद एसटीएफ ने आरोपियों की गिरफ्तारी की तो वहीं दूसरी ओर एसीपी गोमती नगर संतोष सिंह को इसकी जांच दी गई. संतोष सिंह इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.

2 IPS अधिकारियों की भूमिका आई सामने
पशुधन विभाग में हुए घोटाले को लेकर एसटीएफ ने दो आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से संस्तुति भी की थी. जिन आईपीएस अधिकारियों को लेकर एसटीएफ ने संस्तुति की है, उनके नाम अरविंद सेन व डीसी दुबे है. एसटीएफ की जांच में फर्जीवाड़े में आईपीएस अरविंद सेन की संलिप्तता पाई गई है. इनके खिलाफ सबूत मिलने के बाद एसटीएफ ने यह संस्तुति की है. वहीं दूसरी ओर आईपीएस डीसी दुबे के खिलाफ आरोपियों को ठेका दिलाने के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में संलिप्तता पाई गई है.

पशुधन विभाग में उजागर हुए घोटाले के बाद एसटीएफ ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में यह बात निकलकर सामने आई थी कि कई आईपीएस अधिकारी भी इन आरोपियों के टच में हैं. पिछले लंबे समय से एसटीएफ इन अधिकारियों के संदर्भ में सबूत जुटा रही थी. सबूत मिलने के बाद एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए शासन को पत्र लिखा है.

एसटीएफ अभी एक और पुलिस अधिकारी के खिलाफ सबूत जुटा रही है. पीड़ित ने एसटीएफ को दिए गए बयान में एक पुलिस अधिकारी का नाम लिया है, जिसने आरोपियों के कहने पर पीड़ित मनजीत को धमकाने का काम किया था. एसटीएफ अधिकारी के खिलाफ भी सबूत जुटा रही है.

ये था पूरा मामला
पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर जालसाजों ने इंदौर के व्यापारी मनजीत सिंह से 9 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली. ठगी को अंजाम देने वाले जालसाज आशीष राय ने व्यापारी से खुद को विभाग का निदेशक एके मित्तल बताकर ठगी को अंजाम दिया. एके मित्तल बन आशीष राय ने व्यापारी मनजीत सिंह से 9 करोड़ रुपये लिए, जिसके बदले में ठेका दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन जालसाजों ने 9 करोड़ रुपये हजम कर लिए. इसके बाद व्यापारी मनजीत सिंह की तहरीर पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई.

व्यापारी मनजीत सिंह का कहना है कि इस ठगी की घटना को अंजाम देने के लिए तथाकथित पत्रकार संतोष मिश्रा, राजीव और अनिल राय ने साजिश रची थी. संतोष मिश्रा ने ही आशीष राय को एके मित्तल बनाकर व्यापारी मनजीत सिंह के सामने पेश किया था. व्यापारी मनजीत सिंह ने बताया कि यह साजिश 2018 में रची गई थी. ठेका दिलाने के नाम पर 9 करोड़ लिये गए थे. लंबे समय से पीड़ित पैसे वापस करने की बात कह रहा है, लेकिन उसे पैसे वापस नहीं किए जा रहे थे, जिसके बाद पीड़ित मनजीत सिंह ने 11 लोगों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी.

लखनऊ: पशुधन विभाग में हुए घोटाले में हेड कांस्टेबल की भूमिका सामने आने के बाद बाराबंकी पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को निलंबित कर दिया है. पशुधन घोटाले के पीड़ित मनजीत सिंह को आरोपी हेड कांस्टेबल ने धमकाया था. जांच के दौरान लखनऊ पुलिस ने पशुधन विभाग में हुए 9.72 करोड़ के घोटाले में हेड कांस्टेबल को पीड़ित को धमकाने का दोषी पाया था, जिसके बाद बाराबंकी पुलिस को इस संदर्भ में एक पत्र लिखा गया था. पत्र के आधार पर बाराबंकी में तैनात आरोपी हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को निलंबित कर दिया है.

बता दें कि घोटाले को लेकर राजधानी लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें हेड कांस्टेबल दिलबहार यादव को नामजद किया गया था. पीड़ित मनजीत सिंह ने आरोप लगाए थे कि दिलबहार यादव ने अन्य आरोपी अनिल राय, रजनीश दीक्षित, आशीष राय, एके राजीव, रूपक राय और उमाशंकर तिवारी के कहने पर उसे धमकाया था. आरोपियों द्वारा लिए गए पैसे के संदर्भ में चुप रहने को कहा था. एफआईआर दर्ज होने के बाद एसटीएफ ने आरोपियों की गिरफ्तारी की तो वहीं दूसरी ओर एसीपी गोमती नगर संतोष सिंह को इसकी जांच दी गई. संतोष सिंह इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं.

2 IPS अधिकारियों की भूमिका आई सामने
पशुधन विभाग में हुए घोटाले को लेकर एसटीएफ ने दो आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से संस्तुति भी की थी. जिन आईपीएस अधिकारियों को लेकर एसटीएफ ने संस्तुति की है, उनके नाम अरविंद सेन व डीसी दुबे है. एसटीएफ की जांच में फर्जीवाड़े में आईपीएस अरविंद सेन की संलिप्तता पाई गई है. इनके खिलाफ सबूत मिलने के बाद एसटीएफ ने यह संस्तुति की है. वहीं दूसरी ओर आईपीएस डीसी दुबे के खिलाफ आरोपियों को ठेका दिलाने के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में संलिप्तता पाई गई है.

पशुधन विभाग में उजागर हुए घोटाले के बाद एसटीएफ ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में यह बात निकलकर सामने आई थी कि कई आईपीएस अधिकारी भी इन आरोपियों के टच में हैं. पिछले लंबे समय से एसटीएफ इन अधिकारियों के संदर्भ में सबूत जुटा रही थी. सबूत मिलने के बाद एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए शासन को पत्र लिखा है.

एसटीएफ अभी एक और पुलिस अधिकारी के खिलाफ सबूत जुटा रही है. पीड़ित ने एसटीएफ को दिए गए बयान में एक पुलिस अधिकारी का नाम लिया है, जिसने आरोपियों के कहने पर पीड़ित मनजीत को धमकाने का काम किया था. एसटीएफ अधिकारी के खिलाफ भी सबूत जुटा रही है.

ये था पूरा मामला
पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर जालसाजों ने इंदौर के व्यापारी मनजीत सिंह से 9 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली. ठगी को अंजाम देने वाले जालसाज आशीष राय ने व्यापारी से खुद को विभाग का निदेशक एके मित्तल बताकर ठगी को अंजाम दिया. एके मित्तल बन आशीष राय ने व्यापारी मनजीत सिंह से 9 करोड़ रुपये लिए, जिसके बदले में ठेका दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन जालसाजों ने 9 करोड़ रुपये हजम कर लिए. इसके बाद व्यापारी मनजीत सिंह की तहरीर पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई.

व्यापारी मनजीत सिंह का कहना है कि इस ठगी की घटना को अंजाम देने के लिए तथाकथित पत्रकार संतोष मिश्रा, राजीव और अनिल राय ने साजिश रची थी. संतोष मिश्रा ने ही आशीष राय को एके मित्तल बनाकर व्यापारी मनजीत सिंह के सामने पेश किया था. व्यापारी मनजीत सिंह ने बताया कि यह साजिश 2018 में रची गई थी. ठेका दिलाने के नाम पर 9 करोड़ लिये गए थे. लंबे समय से पीड़ित पैसे वापस करने की बात कह रहा है, लेकिन उसे पैसे वापस नहीं किए जा रहे थे, जिसके बाद पीड़ित मनजीत सिंह ने 11 लोगों के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी.

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