लखनऊः तबादलों के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट ने चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों के प्रत्यावेदनों पर सरकार को विचार करने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने तीन सप्ताह में सरकार को निर्णय लेने को कहा है. ये आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने आशीष कुमार सिंह और अन्य की याचिका पर पारित किया है.
याचिका में 15 जुलाई 2021 के तबादला आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि 15 जुलाई को जारी तबादला आदेश में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि तबादले जनहित में या प्रशासनिक कारणों से किये जा रहे हैं. लिहाजा उक्त तबादला आदेश गैरकानूनी है. इसके साथ ही यह भी दलील दी गई कि उक्त तबादला आदेश 29 सितम्बर 2018 के तबादला नीति के विरुद्ध है. कहा गया कि कुछ याचियों के माता-पिता दिव्यांग हैं, कुछ के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, तो कुछ के पति और पत्नी का इलाज चल रहा है. कर्मचारियों की इन समस्याओं पर गौर किये बगैर स्थानंतरण आदेश पारित कर दिया गया. हालांकि न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि स्थानांतरण के मामलों में विशेष परिस्थितियों में ही कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है.
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न्यायालय ने याचियों को अपनी वास्तविक समस्याओं को सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन के माध्यम से भेजने की छूट देते हुए, कहा कि उनके प्रत्यावेदनों पर तीन सप्ताह में निर्णय लिया जाए. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी कर्मचारी ने 15 जुलाई के आदेश के अनुपालन में नए स्थान पर ज्वाइन कर लिया है और वह भी प्रत्यावेदन देता है तो उस पर भी बिना किसी भेदभाव के विचार किया जाए.
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