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नौनिहालों की जान से खेल रहे स्कूल प्रबंधन, RTO में रजिस्टर्ड वाहनों में आधे अनफिट!

अगर आप स्कूली वाहन से अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं और वो घर वापस आ जाए तो ईश्वर का धन्यवाद कीजिये. स्कूली वाहनों ने नौनिहालों की जान से खेलने का पूरा बंदोबस्त कर रखा है.

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RTO में रजिस्टर्ड वाहनों में आधे अनफिट!
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Published : Apr 24, 2022, 3:40 PM IST

लखनऊः अगर आप स्कूली वाहन से अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं, तो सावधान हो जाइये. क्यों कि स्कूली वाहनों ने नौनिहालों की जान से खेलने का पूरा बंदोबस्त कर रहा है. इसमें स्कूली वाहन स्वामी ही नहीं परिवहन विभाग के अधिकारी भी बराबर के ही जिम्मेदार हैं. ऐसे में अनफिट स्कूली वाहन बच्चों को ढोकर हादसों को दावत दे रहे हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे तमाशा देख रहे हैं.

आरटीओ में जितने स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं, उनमें करीब आधी संख्या ऐसी है जो अनफिट है. जिनका फिटनेस प्रमाण पत्र ही नहीं है. इनमें स्कूलों की अपनी बसें भी शामिल हैं. इसके साथ ही स्कूल में लगी निजी वाहन भी है.

हाल ही में गाजियाबाद के दयावती मोदी पब्लिक स्कूल में एक दर्दनाक हादसे ने बच्चे की जान ले ली. ये हादसा स्कूल बस में हुआ. इसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई. मुख्यालय से आदेश हुआ कि सभी स्कूली वाहनों की बारीकी से जांच की जाये, जो वाहन अनफिट पाये जायें उन पर तत्काल कार्रवाई की जाये. उन्हें निरूद्ध किया जाये. इसके बाद प्रदेश भर में परिवहन विभाग के अधिकारी नींद से जागे और स्कूल संचालकों को नोटिस जारी कर दिया.

स्कूल संचालनों को निर्देश दिया गया है कि अपने सभी वैध प्रपत्र तैयार करें. अगर वाहन अनफिट है, तो उसे तत्काल फिट कराकर फिटनेस प्रमाण पत्र लें. सड़क चेकिंग अभियान के दौरान अगर स्कूली वाहन अनफिट पाया जाता है, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा. हालांकि राजधानी के सैकड़ों स्कूलों में दौड़ रहे हजारों स्कूली वाहन परिवहन विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक खरे नहीं उतर रहे हैं. आरटीओ में रजिस्टर्ड तमाम वाहनों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं है तो तमाम ऐसे हैं जिनका परमिट ही नहीं है.

ऐसे में इस तरह के वाहन कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं. लिहाजा, अभिभावकों को भी अपने बच्चे को स्कूल भेजने से पहले ऐसे वाहनों पर ध्यान देना होगा. सबकुछ परिवहन विभाग के अधिकारियों पर छोड़ना खतरे से खाली नहीं होगा.

आरटीओ में कुल 1036 स्कूलों की अपनी बस रजिस्टर्ड है. जिनमें से 402 अनफिट हैं और 634 फिट है. 169 का परमिट ही अवैध है. इसी तरह स्कूल वैन की बात करें तो इनकी संख्या 996 है. जिनमें 525 अनफिट हैं 471 ही फिट हैं. 719 वैध परमिट है और 277 का परमिट ही अवैध है. वहीं स्कूल प्रबंधन के बसों की बात करें तो इनकी संख्या 332 है. जिसमें से 176 अनफिट हैं और 156 ही फिट हैं. 83 का परमिट ही अवैध है और 249 का परमिट वैध है. निजी वैन स्वामियों की 2,125 वैन पंजीकृत है. इनमें 1231 अनफिट है और 894 फिट है. 692 के परमिट अवैध हैं, जबकि 1433 के वैध परमिट हैं.

इसे भी पढ़ें- एक साथ दो डिग्री, अटेंडेंस-परीक्षा-प्रैक्टिकल के लिए बनेगा नया कैलेंडेर

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि राजधानी के सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. स्कूल प्रबंधन को यह निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने स्कूली वाहनों/अनुबंधित वाहनों को तकनीकी रूप से फिट रखना सुनिश्चित करें. वाहन संबंधित सभी प्रपत्र वैध होने चाहिए. सभी विद्यालय प्रबंधन वाहन चालकों का चरित्र सत्यापन संबंधित थाने से कराएं. उनके ड्राइविंग लाइसेंस की जांच भी कर लें. प्रपत्र वैध न होने की स्थिति में वाहन का संचालन किसी भी दशा में न कराएं. अनफिट एवं प्रपत्र वैध न होने पर वाहनों द्वारा कोई भी दुर्घटना होने की स्थिति में उत्तरदायित्व विद्यालय प्रबंधन का होगा. ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.

लखनऊः अगर आप स्कूली वाहन से अपने बच्चे को स्कूल भेज रहे हैं, तो सावधान हो जाइये. क्यों कि स्कूली वाहनों ने नौनिहालों की जान से खेलने का पूरा बंदोबस्त कर रहा है. इसमें स्कूली वाहन स्वामी ही नहीं परिवहन विभाग के अधिकारी भी बराबर के ही जिम्मेदार हैं. ऐसे में अनफिट स्कूली वाहन बच्चों को ढोकर हादसों को दावत दे रहे हैं. परिवहन विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे तमाशा देख रहे हैं.

आरटीओ में जितने स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं, उनमें करीब आधी संख्या ऐसी है जो अनफिट है. जिनका फिटनेस प्रमाण पत्र ही नहीं है. इनमें स्कूलों की अपनी बसें भी शामिल हैं. इसके साथ ही स्कूल में लगी निजी वाहन भी है.

हाल ही में गाजियाबाद के दयावती मोदी पब्लिक स्कूल में एक दर्दनाक हादसे ने बच्चे की जान ले ली. ये हादसा स्कूल बस में हुआ. इसके बाद परिवहन विभाग के अधिकारियों में खलबली मच गई. मुख्यालय से आदेश हुआ कि सभी स्कूली वाहनों की बारीकी से जांच की जाये, जो वाहन अनफिट पाये जायें उन पर तत्काल कार्रवाई की जाये. उन्हें निरूद्ध किया जाये. इसके बाद प्रदेश भर में परिवहन विभाग के अधिकारी नींद से जागे और स्कूल संचालकों को नोटिस जारी कर दिया.

स्कूल संचालनों को निर्देश दिया गया है कि अपने सभी वैध प्रपत्र तैयार करें. अगर वाहन अनफिट है, तो उसे तत्काल फिट कराकर फिटनेस प्रमाण पत्र लें. सड़क चेकिंग अभियान के दौरान अगर स्कूली वाहन अनफिट पाया जाता है, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जायेगा. हालांकि राजधानी के सैकड़ों स्कूलों में दौड़ रहे हजारों स्कूली वाहन परिवहन विभाग की गाइडलाइन के मुताबिक खरे नहीं उतर रहे हैं. आरटीओ में रजिस्टर्ड तमाम वाहनों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं है तो तमाम ऐसे हैं जिनका परमिट ही नहीं है.

ऐसे में इस तरह के वाहन कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं. लिहाजा, अभिभावकों को भी अपने बच्चे को स्कूल भेजने से पहले ऐसे वाहनों पर ध्यान देना होगा. सबकुछ परिवहन विभाग के अधिकारियों पर छोड़ना खतरे से खाली नहीं होगा.

आरटीओ में कुल 1036 स्कूलों की अपनी बस रजिस्टर्ड है. जिनमें से 402 अनफिट हैं और 634 फिट है. 169 का परमिट ही अवैध है. इसी तरह स्कूल वैन की बात करें तो इनकी संख्या 996 है. जिनमें 525 अनफिट हैं 471 ही फिट हैं. 719 वैध परमिट है और 277 का परमिट ही अवैध है. वहीं स्कूल प्रबंधन के बसों की बात करें तो इनकी संख्या 332 है. जिसमें से 176 अनफिट हैं और 156 ही फिट हैं. 83 का परमिट ही अवैध है और 249 का परमिट वैध है. निजी वैन स्वामियों की 2,125 वैन पंजीकृत है. इनमें 1231 अनफिट है और 894 फिट है. 692 के परमिट अवैध हैं, जबकि 1433 के वैध परमिट हैं.

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सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी का कहना है कि राजधानी के सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. स्कूल प्रबंधन को यह निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने स्कूली वाहनों/अनुबंधित वाहनों को तकनीकी रूप से फिट रखना सुनिश्चित करें. वाहन संबंधित सभी प्रपत्र वैध होने चाहिए. सभी विद्यालय प्रबंधन वाहन चालकों का चरित्र सत्यापन संबंधित थाने से कराएं. उनके ड्राइविंग लाइसेंस की जांच भी कर लें. प्रपत्र वैध न होने की स्थिति में वाहन का संचालन किसी भी दशा में न कराएं. अनफिट एवं प्रपत्र वैध न होने पर वाहनों द्वारा कोई भी दुर्घटना होने की स्थिति में उत्तरदायित्व विद्यालय प्रबंधन का होगा. ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.

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