लखनऊ: मुसलमानों के पाक और मुकद्दस हज के सफर की जहां तैयारियां इन दिनों जोरों पर है, वहीं यूपी से इस बार हज के सफर पर जाने वाले यात्रियों की तादाद घट गई है. इस पर उलेमाओं ने जहां हज कमेटी के साथ सरकार को भी इस पर ध्यान देने की बात कही है. वहीं इसके पीछे गिरती अर्थव्यवस्था और हज कमेटी के बदइंतजामी को बड़ी वजह बताया है.
कोटे से कम हुए आवेदन
देश से सबसे ज्यादा हज के सफर पर जाने वाले आजमीन (हज यात्री) यूपी से होते हैं. यूपी को 30 हजार से ज्यादा का कोटा निर्धारित है, लेकिन इस बार कोटे से भी कम आवेदन हुए हैं, जिसके चलते उलेमा ने चिंता व्यक्त करते हुए सरकार और हज कमेटी को इस ओर ध्यान देने की बात कही है. वहीं इसकी वजह बढ़ती महंगाई और गिरती अर्थव्यवस्था को मान रहे है.
दारुल उलूम प्रवक्ता ने बताई यह वजह
दारुल उलूम के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि नोटबन्दी के बाद से देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है, जिसकी वजह से देश का हर शहरी प्रभावित हुआ है. ऐसे में हज पर जाने के लिए भी लोग आवेदन नहीं कर पा रहे हैं.
साथ ही मौलाना सुफियान ने कहा कि हज के दौरान हज कमेटी ऑफ इंडिया की ओर से बेहतर इंतजाम न होने और लोगों को होने वाली दुश्वारियां भी वजह बन रही हैं, जिससे लोग इससे किनारा कर रहे हैं.
मौलना फिरंगी रशीद ने बताई यह वजह
मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने हज यात्रियों की गिरती तादाद पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मौजूदा वक्त में महंगाई बढ़ रही है और आमदनी कम हो रही है, जिसके चलते लोग हज पर नहीं जा पा रहे हैं. इसके साथ ही फिरंगी महली ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया काफी गिर रहा है, जिससे हज का सफर भी महंगा हो गया है, जिसके चलते लोग हज पर नहीं जा रहे हैं.
फिरंगी महली ने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया को इस मामले में समीक्षा करनी चाहिए कि कौन से ऐसे कदम उठाये जाए जिससे हज यात्रियों की घटती तादाद को रोका जा सके.
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बता दें कि दुनिया भर में भारत को इंडोनेशिया के बाद सबसे ज़्यादा यानी 2 लाख का कोटा निर्धारित है, जिसमें सबसे ज्यादा 30 हजार से अधिक का कोटा सिर्फ यूपी के पास है, लेकिन हज आवेदन की अंतिम तिथि 5 दिसम्बर नजदीक आने के बाद भी हज के आवेदन इस साल पूरे नहीं हो सके हैं जो सरकार के साथ हज कमेटी ऑफ इंडिया के लिए चिंता की बात है.