लखनऊ : आषाढ़ मास के शुक्ल पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है. महाभारत के रचयिता और चारों वेदों की व्याख्या करने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म भी इसी दिन हुआ था. गुरु और गुरु पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है. हिन्दू धर्म में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर और सर्वश्रेष्ठ माना गया है. गुरु ही मानव को अज्ञानता और अंधकार से दूरकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं.
वेदव्यास के निर्देश पर भगवान गणेश ने लिखा महाभारत
भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास से सुनकर महाभारत जैसे महाकाव्य का लेखन किया था. महर्षि वेदव्यास महाभारत के रचयिता होने के साथ ही साथ उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो उस समय घटित हुई थी. महर्षि वेदव्यास अपने आश्रम से ही हस्तिनापुर की सारी गतिविधियों को देखकर उन घटनाओं पर अपना विचार भी दे रहे थे. माता सत्यवती अंतर्द्वंद्व और संकट के समय उनसे विमर्श करने के लिए आश्रम जाया करती थीं.
गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा
अगर आपके पास गुरु नहीं है, तो इस दिन आप भगवान शिव और कृष्ण को अपना गुरु मान सकते हैं. इस दिन भगवान शिव और कृष्ण की पूजा करते समय कमल के फुल और मिठाई के साथ दक्षिणा अर्पित करें. साथ ही शिष्य के रूप में खुद को स्वीकार करने की प्रार्थना भी करें. इस दिन आप अपने गुरुजनों को दक्षिणा देकर उनसे आर्शीवाद प्राप्त करें.
गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का महत्व
इस साल 17 जुलाई को पड़ने वाले चंद्रग्रहण का असर गुरु पूर्णिमा पर भी दिखाई देगा. सूतक की वजह से 16 जुलाई की शाम को ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. ज्योतिषियों के मुताबिक भारत में चंद्रग्रहण रात को 1 बजकर 31 मिनट पर लग जाएगा और यह 4 बजकर 31 मिनट तक लगा रहेगा.