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गुप्त नवरात्रि आज से शुरू, जानें महत्व और पूजा विधि - Swastik Astrology Center Lucknow

इस साल आषाढ़ महीने में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू हो गये हैं. ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना की जाती है.

गुप्त नवरात्रि
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Published : Jul 11, 2021, 5:52 PM IST

लखनऊ: इस साल आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू हो गये हैं. नवरात्रि का समापन 18 जुलाई को होगा. अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य पं. एस. एस. नागपाल ने बताया कि पंचागों के अनुसार आषाढ़ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्रि की 11 जुलाई से शुरू हुए हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना की जाती है.

इसे भी पढ़ें-गुप्त नवरात्रि 2021 : सिद्ध होते हैं तंत्र-मंत्र, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पंडित एस. एस. नागपाल ने बताया कि मान्यता है कि देवी साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का बहुत महत्व होता है. तंत्र साधना वाले साधक गुप्त नवरात्रि में इन दस महाविद्याओं की ही साधना करते हैं. इनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की आराधना की जाती है. गुप्त नवरात्र में सिद्धि-साधना के लिए विशेष महत्व होता है. पंडित एस. एस. नागपाल ने बताया कि कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शास्त्रों में कुल चार प्रकार के नवरात्रि मानी गई है. इसमें शरद नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि का वर्णन हैं. इसमें शरद और चैत्र में पड़ने वाले नवरात्रि प्रकट नवरात्र हैं. माघ और आषाढ़ में नवरात्रि गुप्त है.

गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री

मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेहंदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि.

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

● गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती है.
● मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें.
● इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित करें.
● मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है.
● सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.

  • दुर्गा सप्तशती का ऐसे करें पाठ
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • बैठने के लिए कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए, अगर आपके पास कुश का आसन नहीं है, तो ऊन के बने हुए आसन का प्रयोग कर सकते हैं.
  • पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी एवं सभी देवगणों को प्रणाम करें. माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाएं.
  • लाल पुष्प, अक्षत एवं जल मां को अर्पित करते हुए पाठ का संकल्प लें.
  • इसके बाद पाठ को आरंभ करने से पहले उत्कीलन मंत्र का जाप करें. इस मंत्र को आरंभ और अंत में 21 बार जप करना चाहिए.
  • इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए पाठ का आरंभ करें. इस तरह से मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
  • गुप्त नवरात्रि में करें ये उपाय
  • सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें.
  • दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं.
  • मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प ही चढ़ाएं.
  • मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें.
  • गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं.

कठोर अनुशासन जरूरी

इस नवरात्रि में देवी भगवती के साधक व्रत के कठोर अनुशासन का पालन करते हैं. मान्यता है कि इस दिन गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए और किसी का अहित नहीं सोचना चाहिए. मन में सबके कल्याण की भावना होनी चाहिए.

जानिए गुप्त नवरात्रि में क्या करें और क्या नहीं

  • गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करें.
  • मां दुर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करें. जो लोग स्त्री का सम्मान नहीं करते, उन्हें माता की कृपा प्राप्त नहीं होती.
  • नवरात्रि के दिनों में घर में क्लेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से बरकत नहीं होती है.
  • नवरात्रि में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए. नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए.
  • मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए.
  • नवरात्रि के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए.
  • घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए.

लखनऊ: इस साल आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू हो गये हैं. नवरात्रि का समापन 18 जुलाई को होगा. अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य पं. एस. एस. नागपाल ने बताया कि पंचागों के अनुसार आषाढ़ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्रि की 11 जुलाई से शुरू हुए हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की साधना की जाती है.

इसे भी पढ़ें-गुप्त नवरात्रि 2021 : सिद्ध होते हैं तंत्र-मंत्र, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पंडित एस. एस. नागपाल ने बताया कि मान्यता है कि देवी साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का बहुत महत्व होता है. तंत्र साधना वाले साधक गुप्त नवरात्रि में इन दस महाविद्याओं की ही साधना करते हैं. इनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की आराधना की जाती है. गुप्त नवरात्र में सिद्धि-साधना के लिए विशेष महत्व होता है. पंडित एस. एस. नागपाल ने बताया कि कि नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शास्त्रों में कुल चार प्रकार के नवरात्रि मानी गई है. इसमें शरद नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि, माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि का वर्णन हैं. इसमें शरद और चैत्र में पड़ने वाले नवरात्रि प्रकट नवरात्र हैं. माघ और आषाढ़ में नवरात्रि गुप्त है.

गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली सामग्री

मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेहंदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि.

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

● गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती है.
● मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें.
● इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित करें.
● मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है.
● सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए.

  • दुर्गा सप्तशती का ऐसे करें पाठ
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • बैठने के लिए कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए, अगर आपके पास कुश का आसन नहीं है, तो ऊन के बने हुए आसन का प्रयोग कर सकते हैं.
  • पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी एवं सभी देवगणों को प्रणाम करें. माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाएं.
  • लाल पुष्प, अक्षत एवं जल मां को अर्पित करते हुए पाठ का संकल्प लें.
  • इसके बाद पाठ को आरंभ करने से पहले उत्कीलन मंत्र का जाप करें. इस मंत्र को आरंभ और अंत में 21 बार जप करना चाहिए.
  • इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए पाठ का आरंभ करें. इस तरह से मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
  • गुप्त नवरात्रि में करें ये उपाय
  • सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें.
  • दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं.
  • मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प ही चढ़ाएं.
  • मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें.
  • गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं.

कठोर अनुशासन जरूरी

इस नवरात्रि में देवी भगवती के साधक व्रत के कठोर अनुशासन का पालन करते हैं. मान्यता है कि इस दिन गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए और किसी का अहित नहीं सोचना चाहिए. मन में सबके कल्याण की भावना होनी चाहिए.

जानिए गुप्त नवरात्रि में क्या करें और क्या नहीं

  • गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करें.
  • मां दुर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करें. जो लोग स्त्री का सम्मान नहीं करते, उन्हें माता की कृपा प्राप्त नहीं होती.
  • नवरात्रि के दिनों में घर में क्लेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से बरकत नहीं होती है.
  • नवरात्रि में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए. नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए.
  • नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए.
  • मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए.
  • नवरात्रि के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए.
  • घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए.
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