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लगातार गिर रहा है भूगर्भ जल स्तर, जल स्रोतों को बचाने की जरूरत - गोमती नदी

राजधानी लखनऊ में लगातार गिरता भूगर्भ जल का स्तर चिंता का विषय है. इसके लिए वर्षा जल का संचयन और भूगर्भ जल बचाने के स्रोतों को बचाने की जरूरत है. साथ ही नदियों को भी बचाने की जरूरत है. सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी ये स्थिति सही होती नहीं दिखती.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
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Published : Apr 24, 2021, 5:00 PM IST

लखनऊ: वर्तमान में जिस तरह से शहरीकरण हो रहा है. लोग अपने घरों में समरसेबल पंप लगवा रहे हैं. वहीं वर्षा जल का संचयन ना होने के कारण लगातार भूगर्भ जल का स्तर नीचे जा रहा है. भूगर्भ जल बचाने के स्रोत तालाब, जलाशय, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में आने वाली पीढ़ियों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि प्राकृतिक जल का संचयन करें. इसमें सभी लोग मिलकर सहभागिता करेंगे, तभी आने वाले समय में होने वाले संकट से बचा जा सकता है.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 1200 करोड़ की जरूरत
राजधानी के अधिकतर तालाब चढ़े अतिक्रमण की भेंट

राजधानी लखनऊ में सरकारी आंकड़ों में 1600 तालाब रजिस्टर्ड हैं, लेकिन राजधानी के इन तालाबों पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर यहां पर प्लाटिंग कर दी है. वहीं अपर नगर आयुक्त अमित कुमार का कहना है कि नगर निगम ने लगातार कई तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराया है. बावजूद इसके इन तालाबों में ना तो वर्षा का जल संचयन किया जाता है और ना ही लोग इस बारे में जागरूक हैं.


क्या कहते हैं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन

राजधानी में लगातार गिरते भूगर्भ जल स्तर के सवाल पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर का कहना है कि वर्षा जल के संचयन की जिम्मेदारी हम सभी की है. इसके लिए हम सभी को आगे आना चाहिए. चेयरमैन जेपीएस राठौर ने बताया कि गोमती नदी में सीतापुर से गाजीपुर तक सफाई का अभियान एक्शन प्लान के तहत चलाया जा रहा है.उन्होंने बताया कि गोमती नदी में 33 नाले गिरते हैं, जिसमें से 14 नालों पर एसटीपी लगी हुई है. 12 नालों की स्थिति खराब है और छह नाले सीधे गोमती नदी में गिरते हैं. इसके लिए नगर निगम और जल निगम को पत्र लिखा गया है. जल निगम पर 6 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. चेयरमैन जेपीएस राठौर का कहना है कि कुछ स्थिति ठीक हुई है पर अभी और सुधार की गुंजाइश है.

इसे भी पढ़ें- मेरठ : ऑक्सीजन बचाने के लिए CMO ने की अनोखी अपील

क्या कहते हैं जल निगम के अभियंता

गोमती प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि लखनऊ स्थित गोमती नदी में 35 नाले गिरते हैं. राजधानी लखनऊ में 785 एमएलडी सीवेज जनरेट होता है. अभी तक राजधानी में सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता 405 एमएलडी की है. आरके अग्रवाल ने बताया कि 1090 चौराहे पर 120 एमएलडी क्षमता का एक और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. इसके बावजूद भी सीवेज जनरेट होने और ट्रीटमेंट में बहुत बड़ा गैप है. राजधानी लखनऊ में बड़ी मात्रा में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने की जरूरत है. इसके लिए स्टीमेट भी बनाया गया है, जिस पर लगभग 1200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसके बाद स्थितियां सही हो पाएंगी.


लखनऊ: वर्तमान में जिस तरह से शहरीकरण हो रहा है. लोग अपने घरों में समरसेबल पंप लगवा रहे हैं. वहीं वर्षा जल का संचयन ना होने के कारण लगातार भूगर्भ जल का स्तर नीचे जा रहा है. भूगर्भ जल बचाने के स्रोत तालाब, जलाशय, अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में आने वाली पीढ़ियों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि प्राकृतिक जल का संचयन करें. इसमें सभी लोग मिलकर सहभागिता करेंगे, तभी आने वाले समय में होने वाले संकट से बचा जा सकता है.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 1200 करोड़ की जरूरत
राजधानी के अधिकतर तालाब चढ़े अतिक्रमण की भेंट

राजधानी लखनऊ में सरकारी आंकड़ों में 1600 तालाब रजिस्टर्ड हैं, लेकिन राजधानी के इन तालाबों पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर यहां पर प्लाटिंग कर दी है. वहीं अपर नगर आयुक्त अमित कुमार का कहना है कि नगर निगम ने लगातार कई तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराया है. बावजूद इसके इन तालाबों में ना तो वर्षा का जल संचयन किया जाता है और ना ही लोग इस बारे में जागरूक हैं.


क्या कहते हैं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन

राजधानी में लगातार गिरते भूगर्भ जल स्तर के सवाल पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर का कहना है कि वर्षा जल के संचयन की जिम्मेदारी हम सभी की है. इसके लिए हम सभी को आगे आना चाहिए. चेयरमैन जेपीएस राठौर ने बताया कि गोमती नदी में सीतापुर से गाजीपुर तक सफाई का अभियान एक्शन प्लान के तहत चलाया जा रहा है.उन्होंने बताया कि गोमती नदी में 33 नाले गिरते हैं, जिसमें से 14 नालों पर एसटीपी लगी हुई है. 12 नालों की स्थिति खराब है और छह नाले सीधे गोमती नदी में गिरते हैं. इसके लिए नगर निगम और जल निगम को पत्र लिखा गया है. जल निगम पर 6 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. चेयरमैन जेपीएस राठौर का कहना है कि कुछ स्थिति ठीक हुई है पर अभी और सुधार की गुंजाइश है.

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क्या कहते हैं जल निगम के अभियंता

गोमती प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के महाप्रबंधक आरके अग्रवाल का कहना है कि लखनऊ स्थित गोमती नदी में 35 नाले गिरते हैं. राजधानी लखनऊ में 785 एमएलडी सीवेज जनरेट होता है. अभी तक राजधानी में सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता 405 एमएलडी की है. आरके अग्रवाल ने बताया कि 1090 चौराहे पर 120 एमएलडी क्षमता का एक और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है. इसके बावजूद भी सीवेज जनरेट होने और ट्रीटमेंट में बहुत बड़ा गैप है. राजधानी लखनऊ में बड़ी मात्रा में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने की जरूरत है. इसके लिए स्टीमेट भी बनाया गया है, जिस पर लगभग 1200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसके बाद स्थितियां सही हो पाएंगी.


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