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मोटे अनाजों के लिए नयी हरित क्रांति लाने की जरूरत: राज्यपाल - कृषि अनुसंधान परिषद

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कृषि अनुसंधान परिषद के 32वें स्थापना दिवस पर लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हर काल बुरा ही नहीं, बल्कि कुछ अच्छे पहलू भी देता है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
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Published : Jun 14, 2021, 6:50 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 32वें स्थापना दिवस पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर काल बुरा ही नहीं, बल्कि कुछ अच्छे पहलू भी देता है. उन्होंने कहा कोविड-19 महामारी काल में भी एक बात स्पष्ट हुई है कि लोग अपने स्वास्थ्य के साथ खान-पान के प्रति अत्यधिक जागरूक हुए हैं. लोग इम्युनिटी बढ़ाने वाले आहार का सेवन अधिक करने लगे, क्योंकि मोटे अनाजों में फाइबर और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है. इस प्रकार हमारे पारम्परिक भारतीय जीवन में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्री कोराना काल में उपयोगी सिद्ध हुई है.

राज्यपाल ने कहा कि हम भारतवासियों को कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि हमने देश के पारम्परिक अनाजों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, संवा, कोदों से दूरी बना ली और गेहूं-चावल का अधिक प्रयोग करने लगे. उन्होंने कहा कि यही मोटा अनाज खाकर हमारे पूर्वज लम्बे समय तक जीवित रहे. आज पूरी दुनिया मोटे अनाज की ओर लौट रही है. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मोटे अनाजों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है.

राज्यपाल ने कहा कि गेहूं, चावल जीवन की ऊर्जा और शारीरिक विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, लेकिन इम्युनिटी कम हो रही है. इसके परिणाम स्वरूप मानव शरीर में कई प्रकार की दैहिकीय समस्याओं और गम्भीर बीमारियों की समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं. यही कारण है कि आज केंद्र सरकार भी मोटे अनाजों की खेती पर जो दे रही है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया था और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ने से अब खाद्य और कृषि संगठन ने वर्ष 2023 को 'अंतराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' घोषित कर दिया है.

राज्यपाल ने कहा कि अब एक ऐसी नई हरित क्रांति लाने की आवश्यकता है, जिससे मोटे अनाजों की पैदावार में वृद्धि हो. इससे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, भू-जल ह्रास, स्वास्थ्य और खाद्यान्न संकट जैसी समस्याओं से भी निपटा जा सकता है. इसके साथ ही इससे न केवल कृषि का विकास होगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा, उचित पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा भी हासिल होगी. उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये फसलें अब हमारे किसानों की समृद्धि बढ़ाने और उनकी आयु को दोगुनी करने में भी सहायक हो सकती हैं.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश का बुन्देलखंड क्षेत्र तथा दक्षिण-पश्चिम का मैदानी क्षेत्र मोटे अनाजों की फसलों की खेती के लिए सर्वथा उपुयक्त है, जहां कई दशकों से मिलेट्स की खेती की जाती रही है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में पुनः मोटे अनाज के फसलों की खेती को बढ़ाने के लिए सभी सम्भावनाओं की तलाश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज इस प्रकार के अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे इन फसल उत्पादों को सहजता के साथ मूल्य संवर्धंन किया जा सकें. राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह वेबिनार चारा फसल उत्पादन का मूल्य संवर्धन एवं नवीन उत्पादों के विकास के साथ प्रदेश की पोषण सुरक्षा में मोटे अनाज की फसलों के प्रासंगिक योगदान के संबंध में प्रचार-प्रसार की महती भूमिका निभाएगा.

दुर्लभ साहित्य और पेंटिंग्स को डिजिटाइजेशन करने के दिए निर्देश

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रामपुर रजा लाइब्रेरी में पठन-पाठन की उचित व्यवस्था, लाइब्रेरी में मौजूद समस्त दुर्लभ साहित्य और पेंटिंग्स को डिजिटाइजेशन करने के निर्देश दिए. राज्यपाल ने कहा कि लाइब्रेरी में मौजूद दुर्लभ पेंटिंग का डिजिटाइजेशन करने के साथ-साथ प्रदर्शनी के माध्यम से इनका प्रदर्शन करें, ताकि आम जन की जानकारी में ये पेंटिंग आए. उन्होंने कहा कि हमारी कला सबके सामने आनी चाहिए. यह दुर्लभ पेंटिंग पुस्तकालय के लिए आमदनी का माध्यम बन सकती है. उन्होंने कहा कि उचित होगा कि हम रामपुर रजा लाइब्रेरी के उत्थान एवं विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करें.

इसे भी पढ़ें: यूपी : योगी को मिली राहत, नहीं बदलेगा नेतृत्व, फिलहाल कैबिनेट विस्तार नहीं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 32वें स्थापना दिवस पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हर काल बुरा ही नहीं, बल्कि कुछ अच्छे पहलू भी देता है. उन्होंने कहा कोविड-19 महामारी काल में भी एक बात स्पष्ट हुई है कि लोग अपने स्वास्थ्य के साथ खान-पान के प्रति अत्यधिक जागरूक हुए हैं. लोग इम्युनिटी बढ़ाने वाले आहार का सेवन अधिक करने लगे, क्योंकि मोटे अनाजों में फाइबर और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है. इस प्रकार हमारे पारम्परिक भारतीय जीवन में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्री कोराना काल में उपयोगी सिद्ध हुई है.

राज्यपाल ने कहा कि हम भारतवासियों को कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि हमने देश के पारम्परिक अनाजों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, संवा, कोदों से दूरी बना ली और गेहूं-चावल का अधिक प्रयोग करने लगे. उन्होंने कहा कि यही मोटा अनाज खाकर हमारे पूर्वज लम्बे समय तक जीवित रहे. आज पूरी दुनिया मोटे अनाज की ओर लौट रही है. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मोटे अनाजों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है.

राज्यपाल ने कहा कि गेहूं, चावल जीवन की ऊर्जा और शारीरिक विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, लेकिन इम्युनिटी कम हो रही है. इसके परिणाम स्वरूप मानव शरीर में कई प्रकार की दैहिकीय समस्याओं और गम्भीर बीमारियों की समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं. यही कारण है कि आज केंद्र सरकार भी मोटे अनाजों की खेती पर जो दे रही है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2018 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया था और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ने से अब खाद्य और कृषि संगठन ने वर्ष 2023 को 'अंतराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' घोषित कर दिया है.

राज्यपाल ने कहा कि अब एक ऐसी नई हरित क्रांति लाने की आवश्यकता है, जिससे मोटे अनाजों की पैदावार में वृद्धि हो. इससे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट, भू-जल ह्रास, स्वास्थ्य और खाद्यान्न संकट जैसी समस्याओं से भी निपटा जा सकता है. इसके साथ ही इससे न केवल कृषि का विकास होगा, बल्कि खाद्य सुरक्षा, उचित पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा भी हासिल होगी. उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये फसलें अब हमारे किसानों की समृद्धि बढ़ाने और उनकी आयु को दोगुनी करने में भी सहायक हो सकती हैं.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश का बुन्देलखंड क्षेत्र तथा दक्षिण-पश्चिम का मैदानी क्षेत्र मोटे अनाजों की फसलों की खेती के लिए सर्वथा उपुयक्त है, जहां कई दशकों से मिलेट्स की खेती की जाती रही है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में पुनः मोटे अनाज के फसलों की खेती को बढ़ाने के लिए सभी सम्भावनाओं की तलाश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आज इस प्रकार के अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे इन फसल उत्पादों को सहजता के साथ मूल्य संवर्धंन किया जा सकें. राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि यह वेबिनार चारा फसल उत्पादन का मूल्य संवर्धन एवं नवीन उत्पादों के विकास के साथ प्रदेश की पोषण सुरक्षा में मोटे अनाज की फसलों के प्रासंगिक योगदान के संबंध में प्रचार-प्रसार की महती भूमिका निभाएगा.

दुर्लभ साहित्य और पेंटिंग्स को डिजिटाइजेशन करने के दिए निर्देश

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रामपुर रजा लाइब्रेरी में पठन-पाठन की उचित व्यवस्था, लाइब्रेरी में मौजूद समस्त दुर्लभ साहित्य और पेंटिंग्स को डिजिटाइजेशन करने के निर्देश दिए. राज्यपाल ने कहा कि लाइब्रेरी में मौजूद दुर्लभ पेंटिंग का डिजिटाइजेशन करने के साथ-साथ प्रदर्शनी के माध्यम से इनका प्रदर्शन करें, ताकि आम जन की जानकारी में ये पेंटिंग आए. उन्होंने कहा कि हमारी कला सबके सामने आनी चाहिए. यह दुर्लभ पेंटिंग पुस्तकालय के लिए आमदनी का माध्यम बन सकती है. उन्होंने कहा कि उचित होगा कि हम रामपुर रजा लाइब्रेरी के उत्थान एवं विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करें.

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