ETV Bharat / state

केजीएमयू के दीक्षांत में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल बोलीं- खुद को चरक संहिता और आयुर्वेद से भी जोड़ें एलोपैथिक चिकित्सक

लखनऊ के केजीएमयू में दीक्षांत समारोह (Lucknow KGMU Convocation) का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने 39 मेधावियों को मेडल से नवाजा.

पे्
पि्प
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2023, 5:29 PM IST

केजीएमयू के दीक्षांत समारोह में कई छात्राओं को मेडल दिए गए.

लखनऊ : केजीएमयू का 19वां दीक्षांत समारोह शनिवार को हुआ. अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में हुए इस कार्यक्रम में राज्यपाल और केजीएमयू की कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने 39 मेधावियों को मेडल से नवाजा. 66.7 प्रतिशत बेटियों को मेडल मिला. 33.3 प्रतिशत मेडल पर लड़कों ने कब्जा जमाया. कुल 1869 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने एक बटन दबाकर डिजी लॉकर में तत्काल ये डिग्रियां अपलोड कर दीं. यहां से विद्यार्थी अपनी डिग्री डाउनलोड कर सकेंगे.

आने वाले समय में बस महिला प्रोफेसर होंगी : राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि सबसे ज्यादा आनंद का अनुभव उपाधि पाने वालों की माताजी को हुआ होगा. अध्यापकों को भी अभिनंदन. सबसे ज्यादा अवार्ड बेटियां ले गईं. अभी तक शायद मैं 25 विश्वविद्यालय में यह देख चुकी हूं.सबसे ज्यादा अवार्ड बेटियां ही ले जाती हैं. मैं माताओं से पूछना चाहती हूं कि आपके बेटों को क्या हो गया है. पढ़ने के लिए ही तो आते हैं सभी. विश्वविद्यालय में 50% प्रतिशत छात्र और 50 प्रतिशत छात्राएं हैं. रिजल्ट देखते हैं तो 80-20 का अनुपात होता है. ऐसा रहेगा तो 15 साल बाद अध्यापकों में पुरुष दिखाई नहीं देंगे. राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद की ओर भी हमको नजर रखनी होगी. एलोपैथ के चिकित्सक को चरक संहिता और आयुर्वेद की ओर ध्यान रखना चाहिए.

समाज की सेवा करने का बेहतर मौका : मुख्य अतिथि सचिव विज्ञान और प्रोद्योगिकी प्रो. अभय करंदीकर ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप के पास बहुत बड़ा मौका है समाज की सेवा करने का. कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया 26 मेधावी बेटियों ने गोल्ड समेत दूसरे मेडल हासिल किए हैं. जबकि 13 बेटों ने पदक पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है. टॉप पांच में चार बेटियां और एक मेडल बेटे के पास रहा. केजीएमयू के सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल पर अक्षिता विश्वनाद्या ने कब्जा जमाया है. यह मेडल एमबीबीएस फाइनल प्रोफेशनल में सबसे ज्यादा अंक लाने वाले विद्यार्थी को दिया जाता है. अक्षिता विश्वनाद्या ने कुल नौ गोल्ड व 10 हजार का बुक प्राइज जीता है. लिपिका अग्रवाल ने एमबीबीएस तीनों प्रोफेसनल में सबसे ज्यादा अंक हासिल कर चांसलर मेडल जीता है. साथ ही यूनिवर्सिटी ऑर्नर मेडल से भी लिपिका को नवाजा गया. लिपिका ने कुल आठ गोल्ड मेडल मिले. यूनिवर्सिटी ऑर्नस संग तीन अवार्ड दिए गए.

कई छात्र-छात्राओं को मेडल दिए गए.
कई छात्र-छात्राओं को मेडल दिए गए.

दो मेहमानों को मिली डीएससी : केजीएमयू ने दो लोगों को डीएससी की उपाधि से नवाजा. डीन डॉ. भारत सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर को डीएससी से नवाजा गया. वहीं केजीएमयू के पूर्व कुलपति व मशहूर यूरोलॉजिस्ट डॉ. महेंद्र भंडारी को डीएससी उपाधि प्रदान की गई. डॉ. भंडारी रोबोट के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. फिजियोलॉजी विभाग का नया मेडल जुड़ा है. एमडी फिजियोलॉजी में टॉप करने वाले छात्र को डॉ. नीना श्रीवास्तव गोल्ड मेडल प्रदान किया गया. डॉ. नीना की याद में उनके पति ने इस मेडल की शुरुआत की है.

केजीएमयू की उपलब्धियां : केजीएमयू को नैक में ए-प्लस ग्रेडिंग मिली. एनआरएफ में केजीएमयू को 12वीं रैंक मिली. स्टैनफोर्ड विवि ने विश्व के वैज्ञानिकों की सूची में केजीएमयू के नौ डॉक्टरों को शामिल किया गया. केजीएमयू में शोध छात्रों के लिए थिसिस सेंटर बनाया गया. कम्युनिटी मेडिसिन विभाग ने ग्रामीणों की सेहत संवारने के लिए 10 गांव गोद लिए. इस साल 30 देहदान हुए. 144 लोगों ने देहदान के लिए पंजीकरण कराया. विभिन्न विभागों में एमडी, एमएस, डीएम और एमसीएच की सीटों में इजाफा हुआ. एक साल में 13 लिवर ट्रांसप्लांट हुआ. पांच किडनी ट्रांसप्लांट हुए. 13 कॉकलियर ट्रांसप्लांट किए गए. एक मरीज का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया. 100 से अधिक सरकारी स्कूल की बच्चियों को स्कूल बैग दिए गए.

पैसे कमाने का पेशा नहीं है डॉक्टरी : केजीएमयू के सर्वश्रेष्ठ हीवेट पदक समेत कुल नौ पदक जीतने वाली अक्षिता विश्वनाद्या ने मीडिया से बातचीत में कहा कि डॉक्टरी पैसा कमाने वाला पेशा नहीं है. यह पेशा लोगों का दुख और दर्द दूर करने वाला है. अगर पैसा ही कमाना है तो डॉक्टरी से कम समय में ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है. अक्षिता ने बताया कि उसने यह नहीं सोचा था कि उसे दीक्षांत समारोह का सर्वश्रेष्ठ पदक दिया गया. मूल रूप से आंध्र प्रदेश निवासी अक्षिता के पिता वीवी दयानिधि बिजनेसमैन और उनकी मां वी दिव्या पूर्व शिक्षिका हैं. इस समय उनका परिवार नोएडा में रह रहा है. अक्षिता ने बताया कि नीट में जब केजीएमयू आवंटित हुआ था, तो उस समय तक यहां के बारे में उनको जानकारी नहीं थी. चार साल यहां रहने पर पता चला कि यह कितना बड़ा संस्थान है. उनके अनुसार यहां की भीड़ और भागदौड़ कम करने के लिए जरूरी है कि तकनीक का उपयोग थोड़ा और ज्यादा हो, जिससे कि लोगों को आसानी हो.

बाल रोग विशेषज्ञ बनकर रोशन करना है नाम : केजीएमयू का दूसरा सर्वश्रेष्ठ पदक मेडल जीतने वाली लिपिका अग्रवाल बाल रोग विशेषज्ञ बनकर नाम रोशन करना चाहती हैं. उनके अनुसार उनको उम्मीद थी कि यह पदक उनको मिलेगा. लिपिका के पिता दीपक अग्रवाल लखीमपुर के बिजनेसमैन हैं. वहीं मां शानू अग्रवाल गृहिणी हैं. उन्होंने बताया कि केजीएमयू में स्टूडेंट्स को काफी कुछ सीखने को मिला है. किसी भी दूसरे संस्थान के मुकाबले यहां एक्सपोजर ज्यादा है.


खानदान के पहले डॉक्टर बने अक्षर कांत : डॉ. अक्षर कांत, डॉ. आरएमएल मेहरोत्रा मेमोरियल गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने बताया कि मेरे पिता उमाकांत कुमार सामाजिक कार्यकर्ता और मां सीता कांत गृहिणी हैं. मेरे परिवार में कोई डॉक्टर नहीं हैं. मैं अपने परिवार का पहला डॉक्टर बनने जा रहा हूं. यह मेरे पूरे परिवार के लिए गर्व का विषय है. डिग्री के साथ ही मुझे पदक भी मिल रहा है, यह दोहरी खुशी की बात है.

कम्युनिटी मेडिसिन थी पहली पसंद : डॉ. प्रत्यक्षा पंडित ने एमडी कम्युनिटी मेडिसिन में दो पदक जीते हैं. उन्होंने बताया कि हिमाचल से एमबीबीएस करने के बाद पीजी के लिए कई विकल्प थे. मुझे समाज के लिए कुछ करना था, इसलिए मैंने कम्युनिटी मेडिसिन का चयन किया. मेरे पापा मदन कांत शर्मा सेवानिवृत्त अधिकारी और मां नीलम शर्मा प्रोफेसर हैं. डॉक्टर बनने के पीछे मेरा मकसद समाज के लिए सीधे तौर पर कुछ कर पाने की ख्वाहिश है. इसीलिए मैंने इसका चयन किया.

डेंटल सर्जन बनकर कैंसर के मरीजों के लिए करना है काम : केजीएमयू के बीडीएस पाठ्यक्रम में टॉप करके सबसे ज्यादा 11 पदक पर जीतने वाली प्रांजली सिंह डेंटल सर्जन बनकर मरीजों के लिए काम करना चाहती हैं. प्रांजली ने बताया कि वे वाराणसी से हैं, उस क्षेत्र में मुंह के कैंसर वाले काफी मरीज आते हैं. डेंटल सर्जन बनकर उनका इलाज करना चाहती हूं. प्रांजली ने बताया कि उनके पिता अजय कुमार सिंह सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और मां एकता सिंह शिक्षिका हैं. एकता के अनुसार उनकी पहली चॉयस एमबीबीएस थी. कुछ नंबर से एमबीबीएस की सरकारी सीट नहीं मिल पाई थी. ऐसे में बीडीएस का चयन किया था हालांकि जब पढ़ाई की शुरुआत की तो पला चला कि इसकी वैल्यू भी बहुत ज्यादा है. इसलिए इस क्षेत्र में आगे बढ़ना है.

इन्हें मिले पदक : अक्षिता विश्वनाद्या- हीवेट समेत 10 पदक, लिपिका अग्रवाल चांसलर समेत 12 पदक, प्रांजली सिंह बीडीएस टॉपर के लिए 11 पदक, डॉ. नेहा कुमारी एमडी-एमएस टॉपर करने पर दो पदक. इसके अलावा अक्षरकांत, डॉ.बिर्निका नाथ, डॉ. पारुल सोहने, डॉ. साक्षी त्यागी, डॉ. प्रज्ञा मिश्रा, डॉ. रजत चौधरी, डॉ. किसलय कमल, डॉ. हिमांशु मिश्रा, डॉ. स्वाति श्रीवास्तव, डॉ. सुरभि रामपाल, डॉ. प्रज्जल दास, डॉ. अनुराधा देओल, डॉ. चेतना भट्ट, डॉ. दुर्गा सिंह, डॉ. मोहन लाल जाट, डॉ. आस्था यादव, डॉ. ईशा मक्कड़, डॉ. शिवांगिनी सिंह, डॉ. आदित्य अग्रवाल, डॉ. अनिकेत रस्तोगी, डॉ. प्रत्यक्षा पंडित, डॉ. अजित कुमार मिश्रा, डॉ. नबिला निशात, डॉ. प्रियांशी स्वरूप, डॉ. रुचि अग्रवाल, डॉ. प्राची, डॉ. मो. जोहैब अब्बास, डॉ. एस एजिलारसी, डॉ. मोहन चंद्रकांत महाजन, डॉ. ज्योति सोलंकी, डॉ. अन्वेश कुमार, डॉ. नीतिका दीवान आदि को भी पदक मिले.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में रामलला की तीन प्रतिमाएं बनकर तैयार, प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे सुंदर प्रतिमा चुनेंगे काशी के विद्वान, चयन के ये होंगे मानक


केजीएमयू के दीक्षांत समारोह में कई छात्राओं को मेडल दिए गए.

लखनऊ : केजीएमयू का 19वां दीक्षांत समारोह शनिवार को हुआ. अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में हुए इस कार्यक्रम में राज्यपाल और केजीएमयू की कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने 39 मेधावियों को मेडल से नवाजा. 66.7 प्रतिशत बेटियों को मेडल मिला. 33.3 प्रतिशत मेडल पर लड़कों ने कब्जा जमाया. कुल 1869 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने एक बटन दबाकर डिजी लॉकर में तत्काल ये डिग्रियां अपलोड कर दीं. यहां से विद्यार्थी अपनी डिग्री डाउनलोड कर सकेंगे.

आने वाले समय में बस महिला प्रोफेसर होंगी : राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि सबसे ज्यादा आनंद का अनुभव उपाधि पाने वालों की माताजी को हुआ होगा. अध्यापकों को भी अभिनंदन. सबसे ज्यादा अवार्ड बेटियां ले गईं. अभी तक शायद मैं 25 विश्वविद्यालय में यह देख चुकी हूं.सबसे ज्यादा अवार्ड बेटियां ही ले जाती हैं. मैं माताओं से पूछना चाहती हूं कि आपके बेटों को क्या हो गया है. पढ़ने के लिए ही तो आते हैं सभी. विश्वविद्यालय में 50% प्रतिशत छात्र और 50 प्रतिशत छात्राएं हैं. रिजल्ट देखते हैं तो 80-20 का अनुपात होता है. ऐसा रहेगा तो 15 साल बाद अध्यापकों में पुरुष दिखाई नहीं देंगे. राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद की ओर भी हमको नजर रखनी होगी. एलोपैथ के चिकित्सक को चरक संहिता और आयुर्वेद की ओर ध्यान रखना चाहिए.

समाज की सेवा करने का बेहतर मौका : मुख्य अतिथि सचिव विज्ञान और प्रोद्योगिकी प्रो. अभय करंदीकर ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप के पास बहुत बड़ा मौका है समाज की सेवा करने का. कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया 26 मेधावी बेटियों ने गोल्ड समेत दूसरे मेडल हासिल किए हैं. जबकि 13 बेटों ने पदक पर कब्जा जमाने में कामयाबी हासिल की है. टॉप पांच में चार बेटियां और एक मेडल बेटे के पास रहा. केजीएमयू के सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल पर अक्षिता विश्वनाद्या ने कब्जा जमाया है. यह मेडल एमबीबीएस फाइनल प्रोफेशनल में सबसे ज्यादा अंक लाने वाले विद्यार्थी को दिया जाता है. अक्षिता विश्वनाद्या ने कुल नौ गोल्ड व 10 हजार का बुक प्राइज जीता है. लिपिका अग्रवाल ने एमबीबीएस तीनों प्रोफेसनल में सबसे ज्यादा अंक हासिल कर चांसलर मेडल जीता है. साथ ही यूनिवर्सिटी ऑर्नर मेडल से भी लिपिका को नवाजा गया. लिपिका ने कुल आठ गोल्ड मेडल मिले. यूनिवर्सिटी ऑर्नस संग तीन अवार्ड दिए गए.

कई छात्र-छात्राओं को मेडल दिए गए.
कई छात्र-छात्राओं को मेडल दिए गए.

दो मेहमानों को मिली डीएससी : केजीएमयू ने दो लोगों को डीएससी की उपाधि से नवाजा. डीन डॉ. भारत सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर को डीएससी से नवाजा गया. वहीं केजीएमयू के पूर्व कुलपति व मशहूर यूरोलॉजिस्ट डॉ. महेंद्र भंडारी को डीएससी उपाधि प्रदान की गई. डॉ. भंडारी रोबोट के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. फिजियोलॉजी विभाग का नया मेडल जुड़ा है. एमडी फिजियोलॉजी में टॉप करने वाले छात्र को डॉ. नीना श्रीवास्तव गोल्ड मेडल प्रदान किया गया. डॉ. नीना की याद में उनके पति ने इस मेडल की शुरुआत की है.

केजीएमयू की उपलब्धियां : केजीएमयू को नैक में ए-प्लस ग्रेडिंग मिली. एनआरएफ में केजीएमयू को 12वीं रैंक मिली. स्टैनफोर्ड विवि ने विश्व के वैज्ञानिकों की सूची में केजीएमयू के नौ डॉक्टरों को शामिल किया गया. केजीएमयू में शोध छात्रों के लिए थिसिस सेंटर बनाया गया. कम्युनिटी मेडिसिन विभाग ने ग्रामीणों की सेहत संवारने के लिए 10 गांव गोद लिए. इस साल 30 देहदान हुए. 144 लोगों ने देहदान के लिए पंजीकरण कराया. विभिन्न विभागों में एमडी, एमएस, डीएम और एमसीएच की सीटों में इजाफा हुआ. एक साल में 13 लिवर ट्रांसप्लांट हुआ. पांच किडनी ट्रांसप्लांट हुए. 13 कॉकलियर ट्रांसप्लांट किए गए. एक मरीज का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया. 100 से अधिक सरकारी स्कूल की बच्चियों को स्कूल बैग दिए गए.

पैसे कमाने का पेशा नहीं है डॉक्टरी : केजीएमयू के सर्वश्रेष्ठ हीवेट पदक समेत कुल नौ पदक जीतने वाली अक्षिता विश्वनाद्या ने मीडिया से बातचीत में कहा कि डॉक्टरी पैसा कमाने वाला पेशा नहीं है. यह पेशा लोगों का दुख और दर्द दूर करने वाला है. अगर पैसा ही कमाना है तो डॉक्टरी से कम समय में ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है. अक्षिता ने बताया कि उसने यह नहीं सोचा था कि उसे दीक्षांत समारोह का सर्वश्रेष्ठ पदक दिया गया. मूल रूप से आंध्र प्रदेश निवासी अक्षिता के पिता वीवी दयानिधि बिजनेसमैन और उनकी मां वी दिव्या पूर्व शिक्षिका हैं. इस समय उनका परिवार नोएडा में रह रहा है. अक्षिता ने बताया कि नीट में जब केजीएमयू आवंटित हुआ था, तो उस समय तक यहां के बारे में उनको जानकारी नहीं थी. चार साल यहां रहने पर पता चला कि यह कितना बड़ा संस्थान है. उनके अनुसार यहां की भीड़ और भागदौड़ कम करने के लिए जरूरी है कि तकनीक का उपयोग थोड़ा और ज्यादा हो, जिससे कि लोगों को आसानी हो.

बाल रोग विशेषज्ञ बनकर रोशन करना है नाम : केजीएमयू का दूसरा सर्वश्रेष्ठ पदक मेडल जीतने वाली लिपिका अग्रवाल बाल रोग विशेषज्ञ बनकर नाम रोशन करना चाहती हैं. उनके अनुसार उनको उम्मीद थी कि यह पदक उनको मिलेगा. लिपिका के पिता दीपक अग्रवाल लखीमपुर के बिजनेसमैन हैं. वहीं मां शानू अग्रवाल गृहिणी हैं. उन्होंने बताया कि केजीएमयू में स्टूडेंट्स को काफी कुछ सीखने को मिला है. किसी भी दूसरे संस्थान के मुकाबले यहां एक्सपोजर ज्यादा है.


खानदान के पहले डॉक्टर बने अक्षर कांत : डॉ. अक्षर कांत, डॉ. आरएमएल मेहरोत्रा मेमोरियल गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने बताया कि मेरे पिता उमाकांत कुमार सामाजिक कार्यकर्ता और मां सीता कांत गृहिणी हैं. मेरे परिवार में कोई डॉक्टर नहीं हैं. मैं अपने परिवार का पहला डॉक्टर बनने जा रहा हूं. यह मेरे पूरे परिवार के लिए गर्व का विषय है. डिग्री के साथ ही मुझे पदक भी मिल रहा है, यह दोहरी खुशी की बात है.

कम्युनिटी मेडिसिन थी पहली पसंद : डॉ. प्रत्यक्षा पंडित ने एमडी कम्युनिटी मेडिसिन में दो पदक जीते हैं. उन्होंने बताया कि हिमाचल से एमबीबीएस करने के बाद पीजी के लिए कई विकल्प थे. मुझे समाज के लिए कुछ करना था, इसलिए मैंने कम्युनिटी मेडिसिन का चयन किया. मेरे पापा मदन कांत शर्मा सेवानिवृत्त अधिकारी और मां नीलम शर्मा प्रोफेसर हैं. डॉक्टर बनने के पीछे मेरा मकसद समाज के लिए सीधे तौर पर कुछ कर पाने की ख्वाहिश है. इसीलिए मैंने इसका चयन किया.

डेंटल सर्जन बनकर कैंसर के मरीजों के लिए करना है काम : केजीएमयू के बीडीएस पाठ्यक्रम में टॉप करके सबसे ज्यादा 11 पदक पर जीतने वाली प्रांजली सिंह डेंटल सर्जन बनकर मरीजों के लिए काम करना चाहती हैं. प्रांजली ने बताया कि वे वाराणसी से हैं, उस क्षेत्र में मुंह के कैंसर वाले काफी मरीज आते हैं. डेंटल सर्जन बनकर उनका इलाज करना चाहती हूं. प्रांजली ने बताया कि उनके पिता अजय कुमार सिंह सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और मां एकता सिंह शिक्षिका हैं. एकता के अनुसार उनकी पहली चॉयस एमबीबीएस थी. कुछ नंबर से एमबीबीएस की सरकारी सीट नहीं मिल पाई थी. ऐसे में बीडीएस का चयन किया था हालांकि जब पढ़ाई की शुरुआत की तो पला चला कि इसकी वैल्यू भी बहुत ज्यादा है. इसलिए इस क्षेत्र में आगे बढ़ना है.

इन्हें मिले पदक : अक्षिता विश्वनाद्या- हीवेट समेत 10 पदक, लिपिका अग्रवाल चांसलर समेत 12 पदक, प्रांजली सिंह बीडीएस टॉपर के लिए 11 पदक, डॉ. नेहा कुमारी एमडी-एमएस टॉपर करने पर दो पदक. इसके अलावा अक्षरकांत, डॉ.बिर्निका नाथ, डॉ. पारुल सोहने, डॉ. साक्षी त्यागी, डॉ. प्रज्ञा मिश्रा, डॉ. रजत चौधरी, डॉ. किसलय कमल, डॉ. हिमांशु मिश्रा, डॉ. स्वाति श्रीवास्तव, डॉ. सुरभि रामपाल, डॉ. प्रज्जल दास, डॉ. अनुराधा देओल, डॉ. चेतना भट्ट, डॉ. दुर्गा सिंह, डॉ. मोहन लाल जाट, डॉ. आस्था यादव, डॉ. ईशा मक्कड़, डॉ. शिवांगिनी सिंह, डॉ. आदित्य अग्रवाल, डॉ. अनिकेत रस्तोगी, डॉ. प्रत्यक्षा पंडित, डॉ. अजित कुमार मिश्रा, डॉ. नबिला निशात, डॉ. प्रियांशी स्वरूप, डॉ. रुचि अग्रवाल, डॉ. प्राची, डॉ. मो. जोहैब अब्बास, डॉ. एस एजिलारसी, डॉ. मोहन चंद्रकांत महाजन, डॉ. ज्योति सोलंकी, डॉ. अन्वेश कुमार, डॉ. नीतिका दीवान आदि को भी पदक मिले.

यह भी पढ़ें : अयोध्या में रामलला की तीन प्रतिमाएं बनकर तैयार, प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे सुंदर प्रतिमा चुनेंगे काशी के विद्वान, चयन के ये होंगे मानक


ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.