लखनऊ : कोरोना की चपेट में आकर बहुत से परिवार तबाह हुए हैं. कई परिवारों में बच्चे अनाथ हो गए. माता-पिता के निधन के बाद उन्हें कोई देखने वाला नहीं है. इस संकट की घड़ी में राज्य की योगी सरकार सामने आई है. मुख्यमंत्री योगी ने ऐसे अनाथ बच्चों की सरकारी खर्चे पर परवरिश का बीड़ा उठाया है. मुख्यमंत्री के महिला कल्याण एवं बाल विकास विभाग को दिए निर्देश के बाद प्रदेशभर में ऐसे बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है. उम्मीद है कि 22-23 मई तक मुख्यमंत्री को बच्चों की संख्या, उनकी पारिवारिक स्थिति समेत सभी विवरण की रिपोर्ट सौंपी जाएगी. इसके बाद सरकार इस पर अमल करेगी.
बच्चों की पारिवारिक स्थिति का परीक्षण किया जा रहा है. यदि उनका कोई सगा संबंधी बच्चों की देखभाल करना चाहता है तो उन्हें बच्चों को सौंप दिया जाएगा. बच्चों पर आने वाले खर्च की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी. सरकार एक निर्धारित राशि तय करने जा रही है. उसका भुगतान उक्त परिवार को किया जाएगा. जिन बच्चों का कोई रिस्तेदार उनकी देखभाल के लिए आगे नहीं आया तो उनकी हर प्रकार से सरकार जिम्मेदारी उठाएगी. उनके पुनर्वास के लिए सरकार योजना बना रही है. 18 वर्ष की आयु तक सरकार इन बच्चों की पढ़ाई से लेकर संपूर्ण परवरिश पर आने वाला खर्च उठाएगी. इसके बाद स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से उन्हें रोजगार से जोड़ा जाएगा.
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15 मंडलों में करीब 800 बच्चों को किया चिन्हित
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने बताया की 17 मई से प्रदेश के विभिन्न मंडलों की वर्चुअल बैठक की जा रही है. चिकित्सा, नगर विकास, पंचायत, शिक्षा समेत अन्य विभागों से ऐसे परिवारों की सूची मांगी जा रही है. 15 मंडलों की बैठक कर समीक्षा की गई है. इसमें करीब 1500 अधिकारियों ने भाग लिया है. उन्हें स्पष्ट तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि कहीं भी किसी प्रकार से निराश्रित बच्चा है, वह चाहे एकल परिवार का है या कोविड में अनाथ हुआ है, उनका ब्यौरा बाल आयोग को भेजना है. अब तक बाल आयोग के पास 400 से अधिक ऐसे बच्चों की सूची आ गई है. वहीं, अगर विभागीय स्तर पर देखा जाए तो यह संख्या 800 के पार पहुंच गई है.
रिपोर्ट के बाद सरकार योजना की करेगी शुरुआत
डॉ. विशेष गुप्ता ने बताया कि कल तक सभी 18 मंडलों की समीक्षा पूरी हो जाएगी. उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी. यह रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी. इसके बाद सरकार योजना की शुरुआत करेगी. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि राज्य का कोई भी बच्चा इस तरह से खुद को अनाथ महसूस न करे. उसकी परवरिश से लेकर पढ़ाई तक का जिम्मा सरकार उठाने जा रही है.