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माफिया की कमर तोड़ने में कामयाब रही प्रदेश सरकार - माफिया गिरोहों

प्रदेश की भाजपा सरकार माफिया पर लगातार सख्ती बढ़ा रही है. सरकार की सख्ती का ही नतीजा है कि पुराना दौर एक तरह से खत्म हो गया है. फिलवक्त नए माफिया गिरोह पैदा ही नहीं हो रहे हैं. सरकार लगातार माफिया पर अंकुश लगाने में कामयाब रही है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण...

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Published : Nov 29, 2022, 7:24 AM IST

Updated : Nov 29, 2022, 7:39 AM IST

लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार माफिया पर लगातार सख्ती बढ़ा रही है. पुराना दौर एक तरह से खत्म हो गया है. अब नए माफिया गिरोह या तो पैदा ही नहीं हो रहे हैं, अथवा सिर उठाते ही सरकार उनकी कमर तोड़ देती है. पुराने गिरोहों का भी अब हाल बुरा है. सरकार अपराधों से अर्जित संपत्तियों पर भी कड़ी कार्रवाई कर रही है. एक दिन पहले ही गैंगस्टर एक्ट के तहत पूर्व विधायक दीप नारायण की 130 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली गई. यह तो महज एक उदाहरण है. सरकार द्वारा मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और सुनील राठी आदि के खिलाफ की गई कार्रवाई से अपराधियों में खौफ बरपा है.

एक दौर था जब प्रदेश में टेंडरों को लेकर गिरोहों में गोली-बारी होना आम बात थी. पुलिस के लिए इन अपराधियों पर नकेल कसना एक चुनौती भी था. ऐसे तमाम अपराधियों पर राजनीतिक संरक्षण (political patronage) मिलता था. यही कारण है कि पुलिस इन अपराधियों पर कार्रवाई नहीं कर पाती थी या कार्रवाई से पहले ही सिफारिशों का सिलसिला शुरू हो जाता था. जमीनों पर कब्जे, वाहन चोरी, खाद्यान्न में चोरी का गोरखधंधा और खनन का कारोबार इन अवैध धंधों की रीढ़ हुआ करते थे. आज की तारीख में सरकार ने टेंडर हो अथवा खनन का कारोबार या फिर खाद्यान्न वितरण आदि सभी को तकनीक से जोड़कर पारदर्शी बना दिया है. पहले की अपेक्षा अब इन सभी में गड़बड़ी की गुंजाइश काफी कम रह गई है.

योगी की सख्ती से जेल में माफिया.
योगी की सख्ती से जेल में माफिया.

दो दशक पहले से ही राजनीति में अपराधीकरण को लेकर खूब आवाजें उठने लगी थीं. नियम-कानून में बदलाव के बाद अपराधियों के राजनीति में आने का सिलसिला कम होना शुरू हुआ. आज चुनावों के दौरान किस राजनीतिक दल ने कितने अपराधियों को टिकट दिए, यह सुर्खियां बनता है. स्वाभाविक है कि दलों की अपनी साख पर सवाल खड़े हो जाते हैं. ऐसे में कई बड़े दल अपराधियों को टिकट देने और उनकी हिमायत करने से बचने लगे. आज की तारीख में स्थितियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. एक दशक पहले ही अखिलेश यादव की सरकार में खनन को लेकर जमकर भ्रष्टाचार हुआ था. खनन मंत्री गायत्री प्रजापति ने खूब धन अर्जित किया था. आज वह जेल की सलाखों के पीछे हैं. स्वाभाविक है कि आज की तारीख में ऐसे मामले छिपने वाले नहीं हैं. जब बड़े लोग घपलों-घोटालों में सलाखों पीछे पहुंचते हैं, तो इससे लोगों में एक संदेश भी जाता है.

योगी की सख्ती से जेल में माफिया.
योगी की सख्ती से जेल में माफिया.

योगी ने दोबारा अपनी सरकार बनते ही पचास से ज्यादा माफिया गिरोहों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे. इनमें ज्यादातर के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई से पेशेवर तरीके से अपराध करने वाले माफिया की कमर तोड़कर रख दी है. स्वाभाविक है कि इसका लाभ प्रदेश की जनता को मिल रहा है. आज बड़े समूह उत्तर प्रदेश में उद्यम लगाने के लिए उत्सुक हैं. राज्य के कई जिलों में बाहरी निवेश आया भी है. जनता को भी चाहिए कि वह जागरूक होकर ऐसे दलों को वोट देने से बचे जो अपराधियों को टिकट देते हैं. आपराधिक छवि वाले नेताओं को भी दरकिनार करना चाहिए. स्वाभाविक है कि यदि राजनीति में पढ़े-लिखे और सभ्य लोग आएंगे, तो न सिर्फ देश और समाज का भला होगा, बल्कि देश की तरक्की भी होगी.

यह भी पढ़ें : बहराइच छापेमारी में भारी मात्रा में खाद बरामद, 5 दुकानों का लाइसेंस निलंबित FIR

लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार माफिया पर लगातार सख्ती बढ़ा रही है. पुराना दौर एक तरह से खत्म हो गया है. अब नए माफिया गिरोह या तो पैदा ही नहीं हो रहे हैं, अथवा सिर उठाते ही सरकार उनकी कमर तोड़ देती है. पुराने गिरोहों का भी अब हाल बुरा है. सरकार अपराधों से अर्जित संपत्तियों पर भी कड़ी कार्रवाई कर रही है. एक दिन पहले ही गैंगस्टर एक्ट के तहत पूर्व विधायक दीप नारायण की 130 करोड़ की संपत्ति कुर्क कर ली गई. यह तो महज एक उदाहरण है. सरकार द्वारा मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और सुनील राठी आदि के खिलाफ की गई कार्रवाई से अपराधियों में खौफ बरपा है.

एक दौर था जब प्रदेश में टेंडरों को लेकर गिरोहों में गोली-बारी होना आम बात थी. पुलिस के लिए इन अपराधियों पर नकेल कसना एक चुनौती भी था. ऐसे तमाम अपराधियों पर राजनीतिक संरक्षण (political patronage) मिलता था. यही कारण है कि पुलिस इन अपराधियों पर कार्रवाई नहीं कर पाती थी या कार्रवाई से पहले ही सिफारिशों का सिलसिला शुरू हो जाता था. जमीनों पर कब्जे, वाहन चोरी, खाद्यान्न में चोरी का गोरखधंधा और खनन का कारोबार इन अवैध धंधों की रीढ़ हुआ करते थे. आज की तारीख में सरकार ने टेंडर हो अथवा खनन का कारोबार या फिर खाद्यान्न वितरण आदि सभी को तकनीक से जोड़कर पारदर्शी बना दिया है. पहले की अपेक्षा अब इन सभी में गड़बड़ी की गुंजाइश काफी कम रह गई है.

योगी की सख्ती से जेल में माफिया.
योगी की सख्ती से जेल में माफिया.

दो दशक पहले से ही राजनीति में अपराधीकरण को लेकर खूब आवाजें उठने लगी थीं. नियम-कानून में बदलाव के बाद अपराधियों के राजनीति में आने का सिलसिला कम होना शुरू हुआ. आज चुनावों के दौरान किस राजनीतिक दल ने कितने अपराधियों को टिकट दिए, यह सुर्खियां बनता है. स्वाभाविक है कि दलों की अपनी साख पर सवाल खड़े हो जाते हैं. ऐसे में कई बड़े दल अपराधियों को टिकट देने और उनकी हिमायत करने से बचने लगे. आज की तारीख में स्थितियों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. एक दशक पहले ही अखिलेश यादव की सरकार में खनन को लेकर जमकर भ्रष्टाचार हुआ था. खनन मंत्री गायत्री प्रजापति ने खूब धन अर्जित किया था. आज वह जेल की सलाखों के पीछे हैं. स्वाभाविक है कि आज की तारीख में ऐसे मामले छिपने वाले नहीं हैं. जब बड़े लोग घपलों-घोटालों में सलाखों पीछे पहुंचते हैं, तो इससे लोगों में एक संदेश भी जाता है.

योगी की सख्ती से जेल में माफिया.
योगी की सख्ती से जेल में माफिया.

योगी ने दोबारा अपनी सरकार बनते ही पचास से ज्यादा माफिया गिरोहों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे. इनमें ज्यादातर के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई से पेशेवर तरीके से अपराध करने वाले माफिया की कमर तोड़कर रख दी है. स्वाभाविक है कि इसका लाभ प्रदेश की जनता को मिल रहा है. आज बड़े समूह उत्तर प्रदेश में उद्यम लगाने के लिए उत्सुक हैं. राज्य के कई जिलों में बाहरी निवेश आया भी है. जनता को भी चाहिए कि वह जागरूक होकर ऐसे दलों को वोट देने से बचे जो अपराधियों को टिकट देते हैं. आपराधिक छवि वाले नेताओं को भी दरकिनार करना चाहिए. स्वाभाविक है कि यदि राजनीति में पढ़े-लिखे और सभ्य लोग आएंगे, तो न सिर्फ देश और समाज का भला होगा, बल्कि देश की तरक्की भी होगी.

यह भी पढ़ें : बहराइच छापेमारी में भारी मात्रा में खाद बरामद, 5 दुकानों का लाइसेंस निलंबित FIR

Last Updated : Nov 29, 2022, 7:39 AM IST
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