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जब धरती पर आया प्रलय तब भगवान कृष्ण ने उठा लिया गोवर्धन

जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी.

गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 5, 2021, 7:20 AM IST

गोवर्धन पूजा : दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा या अन्न कूट का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व की खास रौनक मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव में देखने को मिलती है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था. इस पर्व पर गौ माता की पूजा का भी विशेष महत्व है.

कैसे हुआ गोवर्धन पूजा की शुरुआत?

हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी. जब इंद्रदेव को इस बात का ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं तो उनका अहंकार टूट गया. इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी. गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी गोप-गोपियां, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी सुख पूर्वक और बारिश से बचकर रहे। कहा जाता है तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की शुरुआत हुई.

जानिए कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा 2021 मुहूर्त:
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:36 AM से 08:47 AM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:22 PM से 05:33 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 11:14 PM बजे

गोवर्धन पूजा विधि

लोग अपने घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं. गोवर्धन पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति भी मनाई जाती है. इसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है. इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है. गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है. पूजन के समय गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य चढ़ाएं जाते हैं. तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है.

इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद सभी में वितरित करना होता है. इस दिन गाय-बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा होती है. पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है. परिक्रमा हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए की जाती है.

गोवर्धन पूजा का महत्व:

मान्यता है जो गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है. गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है. इस दिन कई मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानी भंडारे होते हैं.

पूजन के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें. गाय को हरा चारा और मिठाई खिलाएं। फिर गाय की 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद गाय के खुर की पास की मिट्टी एक कांच की शीशी में लेकर उसे अपने पास रख लें. मान्यता है ऐसा करने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी.

गोवर्धन का वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व

गोवर्धन का यह त्यौहार वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व रखता है. ग्रामीण इलाकों में या कच्चे मकानों में लोग इस दिन भी इस दिन गाय के गोबर से अपने घरों को लीपते हैं. बारिश के दौरान बहुत से बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा हो जाते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और गाय के गोबर में इन बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत होती है, लिहाजा गाय के गोबर से घर को लिपने से सारे बैक्टीरिया या कीटाणु अपने आप मर जाते हैं और किसी प्रकार की बीमारी का खतरा भी नहीं रहता.

गोवर्धन पूजा के दिन करें ये उपाय, मोक्ष की होगी प्राप्ति

गोवर्धन पूजा के दिन गाय, बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन गो माता की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

गोवर्धन पूजा पर इस विधि से करें आरती

गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है। सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं, तो शाम को इनको अन्नकूट का भोग लगाकर आरती की जाती है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त प्रात: 06 बजकर 36 मिनट से प्रात: 08 बजकर 47 मिनट तक है. तो शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक का है.

क्या होता है अन्नकूट? गोवर्धन पूजा में क्या है इसका महत्व

अन्नकूट कई तरह के अन्न और सब्जियों के समूह को कहा जाता है. इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार 21, 51, 101 और 108 सब्ज़ियों को मिलाकर एक तरह की मिक्स सब्ज़ी बनाई जाती है जिसको विशेष तौर पर गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को भोग लगाने के लिए बनाया जाता है. इसके साथ ही तरह-तरह के अन्न से तैयार पकवान और मिठाइयों से भी भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाने की परम्परा है.

गोवर्धन पूजा से जुड़ी खास बातें-

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन की जाती है। इस दिन मथुरा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी की जाती है. घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बना कर उसका पूजन करने की भी परंपरा है। गोवर्धन पर अन्न और नई फसल का भी पूजन किया जाता है. इसी कारण इसे अन्नकूट भी कहा जाता है.

अन्नकूट का भोग बनाते समय न कें ये गल्तियां, नाराज हो जाएंगी माता अन्नपूर्णा

अन्नकूट का भोग बनाते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें.

नहा-धोकर खाना बनाएं और सब्जी बनाने के दौरान चप्पल ना पहनें.

साथ ही जूठे मसालों का उपयोग ना करें.

कैसे करें अन्नकूट गोवर्धन पूजा?

इस दिन सुबह उठकर शरीर पर तेल की मालिश करें और फिर स्नान करें.

घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं.

इस के बीचो बीच भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें.

ग्वाल बाल और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार विधि से पूजन करें.

इन्हें बनाए गए पकवानों का भोग लगाएं.

फिर गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुने और आरती करें.

गोवर्धन पूजा : दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा या अन्न कूट का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व की खास रौनक मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव में देखने को मिलती है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था. इस पर्व पर गौ माता की पूजा का भी विशेष महत्व है.

कैसे हुआ गोवर्धन पूजा की शुरुआत?

हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी. जब इंद्रदेव को इस बात का ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं तो उनका अहंकार टूट गया. इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी. गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी गोप-गोपियां, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी सुख पूर्वक और बारिश से बचकर रहे। कहा जाता है तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की शुरुआत हुई.

जानिए कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा 2021 मुहूर्त:
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:36 AM से 08:47 AM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:22 PM से 05:33 PM
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 11:14 PM बजे

गोवर्धन पूजा विधि

लोग अपने घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं. गोवर्धन पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति भी मनाई जाती है. इसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है. इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है. गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है. पूजन के समय गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य चढ़ाएं जाते हैं. तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है.

इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद सभी में वितरित करना होता है. इस दिन गाय-बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा होती है. पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है. परिक्रमा हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए की जाती है.

गोवर्धन पूजा का महत्व:

मान्यता है जो गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है. गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है. इस दिन कई मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानी भंडारे होते हैं.

पूजन के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें. गाय को हरा चारा और मिठाई खिलाएं। फिर गाय की 7 बार परिक्रमा करें. इसके बाद गाय के खुर की पास की मिट्टी एक कांच की शीशी में लेकर उसे अपने पास रख लें. मान्यता है ऐसा करने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी.

गोवर्धन का वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व

गोवर्धन का यह त्यौहार वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत महत्व रखता है. ग्रामीण इलाकों में या कच्चे मकानों में लोग इस दिन भी इस दिन गाय के गोबर से अपने घरों को लीपते हैं. बारिश के दौरान बहुत से बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा हो जाते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और गाय के गोबर में इन बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत होती है, लिहाजा गाय के गोबर से घर को लिपने से सारे बैक्टीरिया या कीटाणु अपने आप मर जाते हैं और किसी प्रकार की बीमारी का खतरा भी नहीं रहता.

गोवर्धन पूजा के दिन करें ये उपाय, मोक्ष की होगी प्राप्ति

गोवर्धन पूजा के दिन गाय, बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन गो माता की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

गोवर्धन पूजा पर इस विधि से करें आरती

गोवर्धन पूजा सुबह और शाम दो समय की जाती है। सुबह में जहां भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की धूप, फल, फूल, खील-खिलौने, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना और कथा-आरती करते हैं, तो शाम को इनको अन्नकूट का भोग लगाकर आरती की जाती है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त प्रात: 06 बजकर 36 मिनट से प्रात: 08 बजकर 47 मिनट तक है. तो शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक का है.

क्या होता है अन्नकूट? गोवर्धन पूजा में क्या है इसका महत्व

अन्नकूट कई तरह के अन्न और सब्जियों के समूह को कहा जाता है. इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार 21, 51, 101 और 108 सब्ज़ियों को मिलाकर एक तरह की मिक्स सब्ज़ी बनाई जाती है जिसको विशेष तौर पर गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को भोग लगाने के लिए बनाया जाता है. इसके साथ ही तरह-तरह के अन्न से तैयार पकवान और मिठाइयों से भी भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाने की परम्परा है.

गोवर्धन पूजा से जुड़ी खास बातें-

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन की जाती है। इस दिन मथुरा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा भी की जाती है. घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत बना कर उसका पूजन करने की भी परंपरा है। गोवर्धन पर अन्न और नई फसल का भी पूजन किया जाता है. इसी कारण इसे अन्नकूट भी कहा जाता है.

अन्नकूट का भोग बनाते समय न कें ये गल्तियां, नाराज हो जाएंगी माता अन्नपूर्णा

अन्नकूट का भोग बनाते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें.

नहा-धोकर खाना बनाएं और सब्जी बनाने के दौरान चप्पल ना पहनें.

साथ ही जूठे मसालों का उपयोग ना करें.

कैसे करें अन्नकूट गोवर्धन पूजा?

इस दिन सुबह उठकर शरीर पर तेल की मालिश करें और फिर स्नान करें.

घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं.

इस के बीचो बीच भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें.

ग्वाल बाल और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार विधि से पूजन करें.

इन्हें बनाए गए पकवानों का भोग लगाएं.

फिर गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुने और आरती करें.

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