लखनऊ: बिहार के मोस्टवांटेड अपराधी वीरेंद्र उर्फ गोरख ठाकुर की हत्या के बाद शूटर हाई सिक्युरिटी जोन में मौजूद होटल में रुकते हैं. फिर पुलिस के घेरे को पार करते हुए आराम से अयोध्या होते हुए बिहार फरार हो जाते हैं और लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट चप्पा-चप्पा छानने का दावा करती रहती है. बिहार के सिवान से लाए गए 3 संदिग्धों ने पूछताछ में यह खुलासा किया. हालांकि, अब तक उन्होंने हत्या करने की बात नहीं कबूल की है.
कैंट के निलमथा इलाके में रहने वाले बिहार के हिस्ट्रीशीटर गोरख ठाकुर की 25 जून को हाई सिक्युरिटी जोन आर्मी एरिया में 4 शूटर हत्या कर फरार हो जाते हैं. वहां से वो मुख्यमंत्री आवास से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जियामऊ के उस होटल में रुकते हैं, जिसके 500 मीटर दूरी पर इस हत्याकांड की घटना की जांच को लीड करने वाले ADCP पूर्वी का ऑफिस था. 100 मीटर दूरी पर गौतमपल्ली थाने की जियामऊ चौकी थी. 300 मीटर दूरी पर ACP पूर्वी का कार्यालय था. बावजूद इसके बेखौफ अपराधियों ने वारदात को अंजाम देने के लिए इसी होटल को ठिकाना बनाया था. बिहार के सिवान से लाए गए 3 संदिग्धों में से एक ने पूछताछ में बताया है कि उसी ने फिरदौस के लिए होटल बुक कराया था.
पुलिस की पूछताछ में संदिग्धों ने बताया कि 25 जून की दोपहर वारदात को अंजाम देने के बाद मुख्य आरोपी फिरदौस अपने साथियों को लेकर जियामऊ के एक होटल में पहुंचा. यहां उसके लिए पहले से कमरा बुक था. वो पूरी रात साथियों को लेकर इसी होटल में ठहरा रहा. दूसरे दिन शहर की सबसे व्यस्त रोड लोहिया पथ से होते हुए अयोध्या हाई-वे पकड़कर बिहार निकल गया. इस मार्ग में ट्रैफिक और सिविल पुलिस की एक साथ ड्यूटी होती है. इससे आगे पॉलिटेक्निक चौराहे से बाराबंकी बॉर्डर तक पुलिस ड्यूटी के 8 पॉइंट हैं. बावजूद इसके शूटर आराम से उसी गाड़ी से निकल गए जो घटना में प्रयोग की गई थी.
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पुलिस ने शनिवार को सिवान जिले के बड़हरिया थाने के अठखम्बा गांव से जिन मंजर इकबाल, कासिफ कसान और सरफराज अहमद को पकड़ा था, उन्होंने पूछताछ में हत्या में शामिल होने से नकार दिया. इन पर आरोप तय करने के लिए पुलिस के पास केवल कॉल डिटेल थी. इसमें हत्या से पहले और एक दिन बाद तक तीनों की मुख्य आरोपी फिरदौस से बातचीत हुई थी. लेकिन, घटना के समय तीनों में से किसी की लखनऊ में मौजूदगी का कोई सुबूत पुलिस के पास नहीं था.
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