लखनऊः विशेष जज मोहम्मद गजाली ने कई सरकारी विभागों में चपरासी की नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपए हड़पने के मामले में आरोपी प्रशांत मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अभियुक्त का अपराध गंभीर है, अगर उसे जमानत पर रिहा किया गया, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है.
जमानत का विरोध
सरकारी वकील एमके सिंह ने अभियुक्त की जमानत अर्जी का विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि अभियुक्त ने बेसिक शिक्षा परिषद, ग्राम विकास, बिजली विभाग में चपरासी की नौकरी दिलाने के नाम पर दर्जनों लोगों से लगभग 30 लाख रुपए की ठगी की है. यही नहीं अभियुक्त ने ठगी के शिकार उन सभी लोगों को कुटरचित नियुक्ति पत्र भी प्रदान कर दिया. जब उसके शिकार हुए लोगों को सच्चाई का पता चला, तो उन्होंने अपने पैसे वापस देने की मांग की. लेकिन अभियुक्त ने पैसे वापस करने से इंकार कर दिया.
नौकरी के नाम पर ऐंठे लाखों
चार दिसंबर 2020 को इस मामले की एफआईआर गिरिजा शंकर मिश्र ने हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी. सरकारी वकील का कहना था कि आरोपी ने जिन लोगों से नौकरी के नाम पर ठगी की है, वह गरीब तबके से हैं. अभियुक्त ने कई लोगों के जीवन भर की कमाई ही हड़प ली है. कोर्ट ने मामले के सभी परिस्थितियों पर गौर करने के बाद अभियुक्त की जमानत अर्जी को खारिज कर दी.