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सावधान! ये है Fraud का नया ट्रेंड, लापरवाही बरती तो अकाउंट खाली - fake link of e-challan

ई-चालान के नाम पर अब बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है. लोगों को मैसेज के माध्यम से लिंक भेजकर उनके खातों को साफ किया जा रहा है.

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एडीसीपी ट्रैफिक अजय कुमार
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Published : May 6, 2022, 5:29 PM IST

लखनऊ : जरा सावधान हो जाएं क्योंकि अब साइबर अपराधी ठगी के नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. कभी आपको किसी बंपर ऑफर के लिए लुभाते हैं तो कभी आपके कंप्यूटर-मोबाइल को हैक कर ठगी करते हैं. अब इन क्रिमिनल्स ने एक नया तरीका निकाला है. इससे आम जनता आसानी से इनका शिकार हो रही है ये ठगी अब खाकी विभाग के नाम पर हो रही है. जी हां, वाहनों के ई-चालान के नाम पर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. सिर्फ एक क्लिक पर लोगों का खाता खाली हो रहा है जबकि ई-चालान विभाग को इस बाबत कोई जानकारी ही नहीं है.

एडीसीपी ट्रैफिक अजय कुमार

कैसे होती है ठगी
साइबर ठग फर्जी लिंक बनाकर लोगों के मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से भेजते हैं जिसमें ट्रैफिक नियम तोड़ने का जिक्र होता है. उसी आधार पर फाइन की राशि जमा करने को कहा जाता है. अन्यथा कानूनी कार्रवाई का हवाला भी दिया जाता है. डर के चलते आम लोग आसानी से इसमें फंस जाते हैं. फाइन जमा करने के लिए जैसे ही आप लिंक ओपन करते है, तभी आपके अकाउंट की सारी डिटेल उनके पास चली जाती है. वह आपका अकाउंट खाली कर देते हैं.

यह भी पढ़ें- वाराणसी में कंप्रेस्ड बायो गैस का शुरू हुआ उत्पादन, 23 करोड़ रुपये की लागत से बना है प्लांट

वहीं, लखनऊ के संदीप शर्मा नामक एक व्यक्ति के मोबाइल पर एक मई को एक मैसेज आता है कि उन्होंने स्टॉप लाइन क्रॉस करने का नियम उल्लंघन किया है. इसका फाइन 100 रुपये है. फाइन को जमा करने के लिए लिंक भी दिया गया था. संदीप शर्मा ने उस लिंक को ओपन किया और फिर फाइन जमा करने के लिए जैसे ही यूपीआई को स्वीकृति दी कि तभी उनके अकाउंट से 2600 रुपये कट गए. संदीप ने बताया कि उनके एकाउंट में महज 2600 रुपये ही थे, इसलिए इतने ही ठगों के हाथ लगे.

ठगी से बचने के उपाय : लखनऊ के एडीसीपी ट्रैफिक अजय कुमार ने बताया कि जानकारी से बचाव है, इसलिए जागरूकता लोगों को रखनी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसी कई शिकायतें आईं हैं. इस लिए लोगों को जानना होगा कि ई-चालान का मैसेज किसी मोबाइल नंबर से नहीं भेजा जाता है. वह हमेशा परिवहन की वेबसाइट से आता है. यहीं नहीं, जिस लिंक को खोलकर फाइन जमा करना होता है, उस समय इस बात का जरूर ध्यान दें कि वेबसाइट https से शुरू हो रही हो और gov.in से खत्म हुई हो. साथ ही ई-चालान का मैसेज आने पर mparivahan की आधिकारिक वेबसाइट पर ही जाकर चालान पता करें और फिर जमा करें.

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लखनऊ : जरा सावधान हो जाएं क्योंकि अब साइबर अपराधी ठगी के नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. कभी आपको किसी बंपर ऑफर के लिए लुभाते हैं तो कभी आपके कंप्यूटर-मोबाइल को हैक कर ठगी करते हैं. अब इन क्रिमिनल्स ने एक नया तरीका निकाला है. इससे आम जनता आसानी से इनका शिकार हो रही है ये ठगी अब खाकी विभाग के नाम पर हो रही है. जी हां, वाहनों के ई-चालान के नाम पर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. सिर्फ एक क्लिक पर लोगों का खाता खाली हो रहा है जबकि ई-चालान विभाग को इस बाबत कोई जानकारी ही नहीं है.

एडीसीपी ट्रैफिक अजय कुमार

कैसे होती है ठगी
साइबर ठग फर्जी लिंक बनाकर लोगों के मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से भेजते हैं जिसमें ट्रैफिक नियम तोड़ने का जिक्र होता है. उसी आधार पर फाइन की राशि जमा करने को कहा जाता है. अन्यथा कानूनी कार्रवाई का हवाला भी दिया जाता है. डर के चलते आम लोग आसानी से इसमें फंस जाते हैं. फाइन जमा करने के लिए जैसे ही आप लिंक ओपन करते है, तभी आपके अकाउंट की सारी डिटेल उनके पास चली जाती है. वह आपका अकाउंट खाली कर देते हैं.

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वहीं, लखनऊ के संदीप शर्मा नामक एक व्यक्ति के मोबाइल पर एक मई को एक मैसेज आता है कि उन्होंने स्टॉप लाइन क्रॉस करने का नियम उल्लंघन किया है. इसका फाइन 100 रुपये है. फाइन को जमा करने के लिए लिंक भी दिया गया था. संदीप शर्मा ने उस लिंक को ओपन किया और फिर फाइन जमा करने के लिए जैसे ही यूपीआई को स्वीकृति दी कि तभी उनके अकाउंट से 2600 रुपये कट गए. संदीप ने बताया कि उनके एकाउंट में महज 2600 रुपये ही थे, इसलिए इतने ही ठगों के हाथ लगे.

ठगी से बचने के उपाय : लखनऊ के एडीसीपी ट्रैफिक अजय कुमार ने बताया कि जानकारी से बचाव है, इसलिए जागरूकता लोगों को रखनी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसी कई शिकायतें आईं हैं. इस लिए लोगों को जानना होगा कि ई-चालान का मैसेज किसी मोबाइल नंबर से नहीं भेजा जाता है. वह हमेशा परिवहन की वेबसाइट से आता है. यहीं नहीं, जिस लिंक को खोलकर फाइन जमा करना होता है, उस समय इस बात का जरूर ध्यान दें कि वेबसाइट https से शुरू हो रही हो और gov.in से खत्म हुई हो. साथ ही ई-चालान का मैसेज आने पर mparivahan की आधिकारिक वेबसाइट पर ही जाकर चालान पता करें और फिर जमा करें.

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