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एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर सात लाख की ठगी, फर्जी नियुक्ति पत्र देने वाला एक गिरफ्तार - एमबीबीएस में दाखिला

राजधानी पुलिस ने दो अलग अलग केसों में फरार चल रहे तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दो आरोपी दिल्ली की रहने वाली छात्रा का दाखिला सरकारी मेडिकल काॅलेज में कराने के मामले में दबोचे गए हैं. वहीं एक जालसाज फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अन्य फरार आरोपियों की तलाश कर रही है.

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Published : Jan 6, 2023, 8:41 AM IST

लखनऊ : एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के नाम पर दिल्ली की रहने वाली छात्रा से ठगी करने वाले दो आरोपियों (two fraudsters arrested) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. यह जालसाज एमबीबीएस में दाखिला (Admission in MBBS) दिलाने के नाम पर लोगों को फोन कर ठगी करते थे. वहीं दूसरी ओर सिचाईं विभाग में लोगों से ठगी कर फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने वाले एक आरोपी गिरफ्तार किया गया है. आरोपी बीते एक साल से पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा था. उसके अन्य साथियों की तलाश की जा रही है.

पुलिस के मुताबिक झरेरा दिल्ली कैंट दिल्ली के रहने वाले सूबेदार (विमान बिहारी दे) ने बताया कि मेरी बेटी (पल्लवी दे) ने 17 जुलाई 2022 को दिल्ली में नीट परीक्षा दी थी. वह नीट परीक्षा में पास हो गई. अक्टूबर 2022 में एमबीबीएस के लिए काउंसिलिंग शुरू हुई और पहले वह दूसरे राउंड में बेटी पल्लवी को सीट नहीं मिली. इसी दौरान सौरभ व रजक राहुल का मेरे नंबर पर फोन आया. दोनों ने मेरी बेटी को सरकारी सीट दिलाने का वादा किया और कॉलेज को 25 लाख रुपये डोनेशन देने की शर्त रखी. इसके बाद रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंट के लिए मैंने 22 नवंबर 2022 को 10 हजार रुपये फोन पे कर दिए. 4 दिसंबर 2022 को सौरभ ने फोन करके बताया कि बेटी का गवर्नमेंट कॉलेज बांदा यूपी के लिए एडमिशन लेटर आ गया है. 7 दिसंबर को 15 लाख रुपये कैश लाने को कहा. बांदा मेडिकल कॉलेज में 7 दिसंबर को मैं अपनी बेटी के साथ बांदा मेडिकल कॉलेज पहुंचा. जहां सौरभ ने मुझे कॉलेज के अंदर एक व्यक्ति से मिलवाया. जिसने अपना परिचय डॉ. अनिल के रूप में दिया. डॉक्टर अनिल ने सौरभ को एक लिफाफा देकर कहा कि कॉलेज के बाहर जाकर लिफाफे में रखे डॉक्यूमेंट्स पर बेटी के हस्ताक्षर करा कर हमें वापस दे दो.

फर्जी नियुक्ति पत्र देने वाला गिरफ्तार.
फर्जी नियुक्ति पत्र देने वाला गिरफ्तार.

सौरभ ने मेरी बेटी से डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर लेने के बाद 15 लाख रुपये मांगे, लेकिन मैंने उस वक्त सात लाख रुपये ही दिए और 40800 का एसबीआई डिमांड ड्राफ्ट (प्रिंसिपल गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बांदा) के नाम पर सौरभ को दिया. कुल मिलाकर सौरभ कुमार को सात लाख 50 हजार 800 रुपये दिए. सौरभ ने बताया कि ज्वाइनिंग लेटर तीन-चार दिन बाद आ जाएगा. किसी दूसरे व्यक्ति के माध्यम से मुझे पता चला कि अनिल कुमार डॉक्टर नहीं है, बल्कि बांदा मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन है. भर्ती गैरकानूनी महसूस होने के कारण मैंने घर पहुंच कर सौरभ, रजक राहुल व अनिल कुमार को फोन करके बताया कि मेरे पैसे वापस कर दो और और एडमिशन के लिए मना कर दिया. सौरभ ने मुझे 22 दिसंबर 2022 को केवल 25 हजार रुपये फोन पे के द्वारा वापस कर दिए. अभी उसके पास सात लाख 25 हजार 800 रुपये शेष हैं. मैं लगातार उन लोगों से संपर्क कर रहा हूं, लेकिन अभी तक पैसे वापस नहीं किए. इसके बाद पीड़ित ने हुसैनगंज थाने पर आरोपियों के खिलाफ 4 जनवरी 2023 को शिकायत दर्ज कराई है.

इंस्पेक्टर हुसैनगंज (Inspector Hussainganj Lucknow) जितेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि दिल्ली निवासी पीड़ित ने बताया था कि लखनऊ के चिनहट थाना अंतर्गत रहने वाले तीन लोगों सौरभ, रजक राहुल व अनिल कुमार ने बेटी का एमबीबीएस में सरकारी सीट पर एडमिशन कराने के नाम पर उनसे सात लाख 25 हजार 800 रुपये ठग लिए है. जिस पर शिकायत दर्ज कर गुरुवार को दो आरोपियों सौरभ व राहुल रजक को गिरफ्तार कर लिया गया है. फरार आरोपी अनिल की तलाश की जा रही है.


वहीं दूसरी ओर हुसैनगंज थाने पर संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश शासन राम नारायम त्रिपाठी ने 25 दिसम्बर 2021 को पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज कराई. कहा गया कि शासन के संज्ञान में आया है कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग में विभिन्न पदों पर नियुक्ति हेतु फर्जी नियुक्ति पत्र (fake appointment letter) निर्गत किए जा रहे हैं. इस संबंध में पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी. इंस्पेक्टर चिनहट (Inspector Chinhat Lucknow) जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि संयुक्त सचिव उप्र शासन रामनारायण त्रिपाठी कि सूचना के संबंध में उमेश चंद्र उपसचिव पता अज्ञात के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया था. विवेचना व साक्ष्य संकलन में जांच के दौरान धर्मेंद्र सिंह, ओमवीर सिंह, अमित मिश्रा उर्फ़ मुन्ना मिश्रा वा शिवम यादव के नाम की बढ़ोतरी की गई. इसके बाद मुखबिर की सूचना पर आरोपी धर्मेंद्र सिंह को हनुमान मंदिर के पास हुसैनगंज लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया. अन्य फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है.

यह भी पढ़ें : गंगा में प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, कहा- सफाई कर नहीं पा रहे या करना ही नहीं चाहते अधिकारी

लखनऊ : एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के नाम पर दिल्ली की रहने वाली छात्रा से ठगी करने वाले दो आरोपियों (two fraudsters arrested) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. यह जालसाज एमबीबीएस में दाखिला (Admission in MBBS) दिलाने के नाम पर लोगों को फोन कर ठगी करते थे. वहीं दूसरी ओर सिचाईं विभाग में लोगों से ठगी कर फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने वाले एक आरोपी गिरफ्तार किया गया है. आरोपी बीते एक साल से पुलिस को चकमा देकर फरार चल रहा था. उसके अन्य साथियों की तलाश की जा रही है.

पुलिस के मुताबिक झरेरा दिल्ली कैंट दिल्ली के रहने वाले सूबेदार (विमान बिहारी दे) ने बताया कि मेरी बेटी (पल्लवी दे) ने 17 जुलाई 2022 को दिल्ली में नीट परीक्षा दी थी. वह नीट परीक्षा में पास हो गई. अक्टूबर 2022 में एमबीबीएस के लिए काउंसिलिंग शुरू हुई और पहले वह दूसरे राउंड में बेटी पल्लवी को सीट नहीं मिली. इसी दौरान सौरभ व रजक राहुल का मेरे नंबर पर फोन आया. दोनों ने मेरी बेटी को सरकारी सीट दिलाने का वादा किया और कॉलेज को 25 लाख रुपये डोनेशन देने की शर्त रखी. इसके बाद रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंट के लिए मैंने 22 नवंबर 2022 को 10 हजार रुपये फोन पे कर दिए. 4 दिसंबर 2022 को सौरभ ने फोन करके बताया कि बेटी का गवर्नमेंट कॉलेज बांदा यूपी के लिए एडमिशन लेटर आ गया है. 7 दिसंबर को 15 लाख रुपये कैश लाने को कहा. बांदा मेडिकल कॉलेज में 7 दिसंबर को मैं अपनी बेटी के साथ बांदा मेडिकल कॉलेज पहुंचा. जहां सौरभ ने मुझे कॉलेज के अंदर एक व्यक्ति से मिलवाया. जिसने अपना परिचय डॉ. अनिल के रूप में दिया. डॉक्टर अनिल ने सौरभ को एक लिफाफा देकर कहा कि कॉलेज के बाहर जाकर लिफाफे में रखे डॉक्यूमेंट्स पर बेटी के हस्ताक्षर करा कर हमें वापस दे दो.

फर्जी नियुक्ति पत्र देने वाला गिरफ्तार.
फर्जी नियुक्ति पत्र देने वाला गिरफ्तार.

सौरभ ने मेरी बेटी से डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर लेने के बाद 15 लाख रुपये मांगे, लेकिन मैंने उस वक्त सात लाख रुपये ही दिए और 40800 का एसबीआई डिमांड ड्राफ्ट (प्रिंसिपल गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बांदा) के नाम पर सौरभ को दिया. कुल मिलाकर सौरभ कुमार को सात लाख 50 हजार 800 रुपये दिए. सौरभ ने बताया कि ज्वाइनिंग लेटर तीन-चार दिन बाद आ जाएगा. किसी दूसरे व्यक्ति के माध्यम से मुझे पता चला कि अनिल कुमार डॉक्टर नहीं है, बल्कि बांदा मेडिकल कॉलेज में लैब टेक्नीशियन है. भर्ती गैरकानूनी महसूस होने के कारण मैंने घर पहुंच कर सौरभ, रजक राहुल व अनिल कुमार को फोन करके बताया कि मेरे पैसे वापस कर दो और और एडमिशन के लिए मना कर दिया. सौरभ ने मुझे 22 दिसंबर 2022 को केवल 25 हजार रुपये फोन पे के द्वारा वापस कर दिए. अभी उसके पास सात लाख 25 हजार 800 रुपये शेष हैं. मैं लगातार उन लोगों से संपर्क कर रहा हूं, लेकिन अभी तक पैसे वापस नहीं किए. इसके बाद पीड़ित ने हुसैनगंज थाने पर आरोपियों के खिलाफ 4 जनवरी 2023 को शिकायत दर्ज कराई है.

इंस्पेक्टर हुसैनगंज (Inspector Hussainganj Lucknow) जितेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि दिल्ली निवासी पीड़ित ने बताया था कि लखनऊ के चिनहट थाना अंतर्गत रहने वाले तीन लोगों सौरभ, रजक राहुल व अनिल कुमार ने बेटी का एमबीबीएस में सरकारी सीट पर एडमिशन कराने के नाम पर उनसे सात लाख 25 हजार 800 रुपये ठग लिए है. जिस पर शिकायत दर्ज कर गुरुवार को दो आरोपियों सौरभ व राहुल रजक को गिरफ्तार कर लिया गया है. फरार आरोपी अनिल की तलाश की जा रही है.


वहीं दूसरी ओर हुसैनगंज थाने पर संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश शासन राम नारायम त्रिपाठी ने 25 दिसम्बर 2021 को पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज कराई. कहा गया कि शासन के संज्ञान में आया है कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग में विभिन्न पदों पर नियुक्ति हेतु फर्जी नियुक्ति पत्र (fake appointment letter) निर्गत किए जा रहे हैं. इस संबंध में पुलिस ने तत्काल मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी. इंस्पेक्टर चिनहट (Inspector Chinhat Lucknow) जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि संयुक्त सचिव उप्र शासन रामनारायण त्रिपाठी कि सूचना के संबंध में उमेश चंद्र उपसचिव पता अज्ञात के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया था. विवेचना व साक्ष्य संकलन में जांच के दौरान धर्मेंद्र सिंह, ओमवीर सिंह, अमित मिश्रा उर्फ़ मुन्ना मिश्रा वा शिवम यादव के नाम की बढ़ोतरी की गई. इसके बाद मुखबिर की सूचना पर आरोपी धर्मेंद्र सिंह को हनुमान मंदिर के पास हुसैनगंज लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया. अन्य फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है.

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