लखनऊ : धोखाधड़ी करके बैंक से 50 करोड़ का लोन लेने के मामले में रोहतास प्रोजेक्ट्स, क्लेरियान प्रोजेक्ट्स और निदेशक दीपक रस्तोगी, परेश रस्तोगी, पंकज रस्तोगी और पीयूष रस्तोगी खिलाफ दर्ज मुक़दमे में भ्रष्टाचार का अपराध न मिलने और किसी लोक सेवक की संलिप्तता न मिलने पर सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने पत्रावली को सुनवाई के लिए सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में भेज दी है. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले को दर्ज करते हुए चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए एक फरवरी की तारीख तय की है. कोर्ट ने एक फरवरी को सुनवाई के समय विवेचक को कोर्ट में हाजfर होने का भी आदेश दिया है.
इसके पहले मामले के विवेचक और सीबीआई के इंस्पेक्टर ने विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में अर्ज़ी देकर बताया कि मामले में हजरतगंज स्थित आईडीबीआई बैंक के डिप्टी जनरल मैनेजर अनुराग वर्मा की शिकायत पर सीबीआई ने तीन मार्च 2022 को रिपोर्ट दर्ज की थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि रोहतास ग्रुप की कंपनी क्लेरियान प्रोजेट्स ने लोक सेवकों और अज्ञात लोगों के साथ साजिश की और धोखाधड़ी करके 50 करोड़ का लोन लिया. कहा गया कि वर्ष 2014 में लिए गए इस लोन की किस्तें मार्च 2018 से चुकानी बंद कर दी गईं. जिसके चलते लोन एनपीए हो गया. वहीं गिरवी रखी गई सम्पत्ति को भी बेच दिया गया.
विवेचक ने कोर्ट को बताया कि मामले की विवेचना के बाद परेश, दीपक और पीयूष रस्तोगी के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश रचने का आरोप मिलने पर चार्जशीट दायर की गई. इसी मामले में रोहतास और क्लेरियान प्रोजेक्ट्स के निदेशक के ख़िलाफ धोखाधड़ी में चार्जशीट विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में दाखिल की गई है. आगे बताया गया कि अभी तक इस मामले में किसी लोक सेवक की भूमिका नहीं पाई गई है. लिहाजा मामले को सुनवाई के लिए विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में भेज दिया जाए. इस पर कोर्ट ने मामले की फाइल को सम्बंधित कोर्ट में भेज दिया.
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