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जेल में बंद PFI सदस्यों से मिलने पहुंचीं 4 महिलाएं, फर्जी RTPCR मिलने पर केस दर्ज

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Published : Sep 27, 2021, 5:31 AM IST

राजधानी लखनऊ के गोसाईंगंज जेल में बंद PFI के दो सदस्यों से रविवार को 4 महिलाएं मिलने गई थीं. सभी के पास RTPCR की रिपोर्ट थी, जो जेल कर्मियों की जांच में फर्जी पाया गया. इसके बाद तत्काल गोसाईगंज पुलिस को चारों महिलाओं को सुपुर्द कर दिया गया. पुलिस ने देर रात को मुकदमा दर्ज कर लिया है.

जेल में बंद PFI सदस्यों से मिलने पहुंचीं 4 महिलाएं
जेल में बंद PFI सदस्यों से मिलने पहुंचीं 4 महिलाएं

लखनऊ : लखनऊ जेल प्रशासन ने रविवार को बंदियों से मुलाकात में एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा है. दरअसल, कोरोना काल में जेल में बंदियों से मुलाकात के लिए परिवारीजनों को आरटीपीसीआर (RT PCR) रिपोर्ट जरूरी कर दिया गया है. जिला जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्य अंसदबदरुद्दीन और फिरोज से मिलने आईं चार महिलाएं फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट लेकर पहुचीं थीं. जेल प्रशासन ने चारों महिलाओं को दबोच लिया और गोसाईंगंज पुलिस को सौंप दिया. जेल प्रशासन ने महिलाओं पर कार्रवाई के लिए तहरीर दी है. पुलिस महिलाओं की आईडी और कोरोना रिपोर्ट लेकर पूछताछ कर रही है. एसओ गोसाईंगंज का कहना है कि, रिपोर्ट दर्ज कर लिया गया है, कार्रवाई की जाएगी.


बता दें कि, एसटीएफ ने 16 फरवरी को लखनऊ में हिंदू संगठनों के कार्यक्रमों में आतंकी हमले की साजिश के आरोप में पीएफआइ (PFI) के कमांडर केरल निवासी अंसद बदरुद्दीन व केरल के ही निवासी फिरोज खान को गिरफ्तार किया था. उनके कब्जे से हाई एक्सप्लोसिव डिवाइस (मय बैट्री डेटोनेटर व लाल रंग का तार), 32 बोर की एक पिस्टल व कई दस्तावेज बरामद हुए थे. बाद में यह जांच एटीएस को सौंप दी गई थी. दोनों को देशद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के आरोप में जेल भेजा गया था. पुलिस कमिश्नर ने 23 सितम्बर को दोनों बन्दियों को कोर्ट में भौतिक रूप से पेश कराए जाने पर सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था प्रभावित होने के साथ अप्रिय घटना की आशंका जतायी थी. इसके चलते दोनों बन्दी कोर्ट नहीं जा रहे थे.

जेल वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि, रविवार सुबह चार महिलाएं जेल में बंद अंसद और फिरोज से मिलने जेल पहुंचीं. दरअसल, कोरोना काल में जेल में बंदियों से मुलाकात के लिए परिवारीजनों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट कंपलसरी कर दिया गया है, जिसके चलते वह महिलाएं आरटीपीसीआर रिपोर्ट लेकर आईं थीं. कोरोना रिपोर्ट संदिग्ध लगने पर जेल कर्मियों ने इसकी जानकारी जेल अफसरों को दी. उन्होंने संबंधित लैब से बात कर रिपोर्ट की पड़ताल कराई तो रिपोर्ट फर्जी निकली. जेल प्रशासन ने महिलाओं को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया. महिलाएं पीएफआई सदस्य के परिवार की बताई जा रही हैं.

इसे भी पढ़ें- नरेंद्र गिरि मौत मामला: मठ में 13 घंटे तक सीबीआई करती रही जांच, महंत का कमरा सील

जेल में बंद अंसद बदरुद्दीन पीएफआई का मिलिट्री कमांडर है. इसी ने यूपी में जाति हिंसा भड़काने की साजिश रची थी. एसटीएफ की गिरफ्त में आए पीएफआई की स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के राष्ट्रीय महासचिव रऊफ से भी इसके गहरे संबंध हैं. मिलिट्री कमांडर अंसद बदरुद्दीन शाहीन बाग स्थित गेस्ट हाउस में 5 साल रह चुका है. शाहीनबाग में पीएफआई का गेस्टहाउस बदरुद्दीन के लिए सेफ हाउस की तरह था. दिल्ली दंगे और सीएए विरोधी प्रदर्शन के बाद भी वह इस गेस्टहाउस में पनाह ले चुका है. देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहने के दौरान वह दिल्ली पुलिस से बचने को केरल भाग जाता था. इसके बाद एसटीएफ ने शाहीनबाग स्थित पीएफआई मुख्यालय पर छापा भी मारा था. इसके समीप ही पीएफआई का भी गेस्टहाउस है, जहां उसकी रऊफ शरीफ से कई बार मुलाकात भी हुई थी.

लखनऊ : लखनऊ जेल प्रशासन ने रविवार को बंदियों से मुलाकात में एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा है. दरअसल, कोरोना काल में जेल में बंदियों से मुलाकात के लिए परिवारीजनों को आरटीपीसीआर (RT PCR) रिपोर्ट जरूरी कर दिया गया है. जिला जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्य अंसदबदरुद्दीन और फिरोज से मिलने आईं चार महिलाएं फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट लेकर पहुचीं थीं. जेल प्रशासन ने चारों महिलाओं को दबोच लिया और गोसाईंगंज पुलिस को सौंप दिया. जेल प्रशासन ने महिलाओं पर कार्रवाई के लिए तहरीर दी है. पुलिस महिलाओं की आईडी और कोरोना रिपोर्ट लेकर पूछताछ कर रही है. एसओ गोसाईंगंज का कहना है कि, रिपोर्ट दर्ज कर लिया गया है, कार्रवाई की जाएगी.


बता दें कि, एसटीएफ ने 16 फरवरी को लखनऊ में हिंदू संगठनों के कार्यक्रमों में आतंकी हमले की साजिश के आरोप में पीएफआइ (PFI) के कमांडर केरल निवासी अंसद बदरुद्दीन व केरल के ही निवासी फिरोज खान को गिरफ्तार किया था. उनके कब्जे से हाई एक्सप्लोसिव डिवाइस (मय बैट्री डेटोनेटर व लाल रंग का तार), 32 बोर की एक पिस्टल व कई दस्तावेज बरामद हुए थे. बाद में यह जांच एटीएस को सौंप दी गई थी. दोनों को देशद्रोह और विस्फोटक अधिनियम के आरोप में जेल भेजा गया था. पुलिस कमिश्नर ने 23 सितम्बर को दोनों बन्दियों को कोर्ट में भौतिक रूप से पेश कराए जाने पर सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था प्रभावित होने के साथ अप्रिय घटना की आशंका जतायी थी. इसके चलते दोनों बन्दी कोर्ट नहीं जा रहे थे.

जेल वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि, रविवार सुबह चार महिलाएं जेल में बंद अंसद और फिरोज से मिलने जेल पहुंचीं. दरअसल, कोरोना काल में जेल में बंदियों से मुलाकात के लिए परिवारीजनों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट कंपलसरी कर दिया गया है, जिसके चलते वह महिलाएं आरटीपीसीआर रिपोर्ट लेकर आईं थीं. कोरोना रिपोर्ट संदिग्ध लगने पर जेल कर्मियों ने इसकी जानकारी जेल अफसरों को दी. उन्होंने संबंधित लैब से बात कर रिपोर्ट की पड़ताल कराई तो रिपोर्ट फर्जी निकली. जेल प्रशासन ने महिलाओं को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया. महिलाएं पीएफआई सदस्य के परिवार की बताई जा रही हैं.

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जेल में बंद अंसद बदरुद्दीन पीएफआई का मिलिट्री कमांडर है. इसी ने यूपी में जाति हिंसा भड़काने की साजिश रची थी. एसटीएफ की गिरफ्त में आए पीएफआई की स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के राष्ट्रीय महासचिव रऊफ से भी इसके गहरे संबंध हैं. मिलिट्री कमांडर अंसद बदरुद्दीन शाहीन बाग स्थित गेस्ट हाउस में 5 साल रह चुका है. शाहीनबाग में पीएफआई का गेस्टहाउस बदरुद्दीन के लिए सेफ हाउस की तरह था. दिल्ली दंगे और सीएए विरोधी प्रदर्शन के बाद भी वह इस गेस्टहाउस में पनाह ले चुका है. देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहने के दौरान वह दिल्ली पुलिस से बचने को केरल भाग जाता था. इसके बाद एसटीएफ ने शाहीनबाग स्थित पीएफआई मुख्यालय पर छापा भी मारा था. इसके समीप ही पीएफआई का भी गेस्टहाउस है, जहां उसकी रऊफ शरीफ से कई बार मुलाकात भी हुई थी.

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