ETV Bharat / state

बाराबंकी: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 4 लैब टेक्नीशियन की हुई तैनाती

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में लैब टेक्नीशियन न होने से जांच के लिए टीबी रोगियों को परेशान होना पड़ता था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने खाली पड़े चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लैब टेक्नीशियन की तैनाती कर दी है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 4 लैब टेक्नीशियन की हुई तैनाती
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 4 लैब टेक्नीशियन की हुई तैनाती
author img

By

Published : Jun 16, 2020, 11:51 AM IST

Updated : Jun 17, 2020, 6:12 PM IST

बाराबंकी: काफी समय से लैब टेक्नीशियन न होने से जांच के लिए परेशान हो रहे संभावित टीबी रोगियों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने खाली चल रहे चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लैब टेक्नीशियन की तैनाती कर दी है. सोमवार को सीएमओ ने इन नए लैब टेक्नीशियन को सर्टिफिकेट देकर उन्हें काम पर रवाना किया.

जानकारी देते क्षय रोग अधिकारी.

चार लैब टेक्नीशियन की हुई तैनाती
बता दें कि जिले में 18 सीएचसी हैं, जिनमें से चार सीएचसी सिद्धौर, रामसनेही घाट, फतेहपुर और हैदरगढ़ पर लैब टेक्नीशियन न होने से टीबी लक्षण वाले रोगियों के बलगम की जांच नहीं हो पा रही थी, जिसके चलते मरीजों को या तो मुख्यालय आना पड़ता था या फिर निजी डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ती थी. स्वास्थ्य विभाग ने इस समस्या से निजात पाने के लिए चार नियुक्तियां करके उनको ट्रेनिंग दी है.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके वर्मा ने पांच दिवसीय मॉड्यूलर ट्रेनिंग दी. अब ये टेक्नीशियन अपनी सीएचसी पर संभावित टीबी के मरीजों का बलगम लेकर उसकी जांच कराके, रिपोर्ट सीबी नेट के जरिये भेजकर, मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस यानी एमडीआर का पता लगाएंगे और उनका इलाज करेंगे. इससे राष्ट्रीय क्षय रोग का समूल नाश करने में आसानी होगी. साथ ही 2025 तक पीएम मोदी के देश से टीबी के खात्मे की मंशा भी पूरी हो सकती है.

बाराबंकी: काफी समय से लैब टेक्नीशियन न होने से जांच के लिए परेशान हो रहे संभावित टीबी रोगियों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने खाली चल रहे चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लैब टेक्नीशियन की तैनाती कर दी है. सोमवार को सीएमओ ने इन नए लैब टेक्नीशियन को सर्टिफिकेट देकर उन्हें काम पर रवाना किया.

जानकारी देते क्षय रोग अधिकारी.

चार लैब टेक्नीशियन की हुई तैनाती
बता दें कि जिले में 18 सीएचसी हैं, जिनमें से चार सीएचसी सिद्धौर, रामसनेही घाट, फतेहपुर और हैदरगढ़ पर लैब टेक्नीशियन न होने से टीबी लक्षण वाले रोगियों के बलगम की जांच नहीं हो पा रही थी, जिसके चलते मरीजों को या तो मुख्यालय आना पड़ता था या फिर निजी डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ती थी. स्वास्थ्य विभाग ने इस समस्या से निजात पाने के लिए चार नियुक्तियां करके उनको ट्रेनिंग दी है.

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एके वर्मा ने पांच दिवसीय मॉड्यूलर ट्रेनिंग दी. अब ये टेक्नीशियन अपनी सीएचसी पर संभावित टीबी के मरीजों का बलगम लेकर उसकी जांच कराके, रिपोर्ट सीबी नेट के जरिये भेजकर, मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस यानी एमडीआर का पता लगाएंगे और उनका इलाज करेंगे. इससे राष्ट्रीय क्षय रोग का समूल नाश करने में आसानी होगी. साथ ही 2025 तक पीएम मोदी के देश से टीबी के खात्मे की मंशा भी पूरी हो सकती है.

Last Updated : Jun 17, 2020, 6:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.