लखनऊः इस साल पहले से अधिक डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पण को याद किया जाएगा, क्योंकि उन्होंने कोरोनावायरस के समय लोगों की सेवा की. साथ ही अपने घर परिवार के बारे में सोचे बगैर अस्पताल में रहकर ड्यूटी की. एक बार फिर से कोरोना का प्रभाव शहर में ज्यादा हो गया है. इस समय डॉक्टरों और स्टाफ को और अधिक मेहनत करनी है. यह बातें केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन पुरी ने बुधवार को पैथोलॉजी विभाग के 108 वें स्थापना दिवस के दौरान कहीं. राजधानी में तेजी से कोरोनावायरस के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके चलते इस बार कैथल पैथोलॉजी विभाग के स्थापना दिवस पर वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान मेधावियों को सम्मानित करते हुए सर्टिफिकेट दिया गया.
1913 में शुरू हुआ था पैथोलॉजी विभाग
पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर उमाशंकर सिंह ने बताया कि, पैथोलॉजी और बैक्टीरिया का संयुक्त विभाग 1913 में लेफ्टिनेंट कर्नल एचडी वॉल्टन की अध्यक्षता में शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बढ़ावा देना और मजबूत करना था. उन्होंने कहा कि पिछले को दौरान इस विभाग के कामकाज में नए आयाम हासिल किए हैं. यह हर साल 20 लाख से अधिक परीक्षण करने वाले एक सरकारी संस्थागत विभाग के रूप में उभरा है. पैथोलॉजी विभाग में डिजिटल प्रयोगशाला इलेक्ट्रॉन, माइक्रोस्कोप, ई-प्रतिदीप्ति तकनीकों सहित सभी नवीनतम परीक्षण सुविधाएं हैं.
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महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर आम
प्रोफेसर नुजहत हुसैन ने गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच में आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों के बारे में बताया. यह भारतीय महिलाओं को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर हैं. इस दौरान प्रोफेसर अमिता जैन ने कोविड-19 के संबंध में अपने विचार रखे. उन्होंने वर्तमान परिदृश्य और वर्तमान समय में चल रहे टीकाकरण की भूमिका के बारे में अपनी राय प्रस्तुत की.
मेधावी डॉक्टर हुईं सम्मानित
वर्चुअल ऑनलाइन कार्यक्रम में मेधावी डॉक्टरों को सम्मानित किया गया. इसमें तीन डॉक्टर्स को सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वाली डॉक्टर्स में डॉ. प्राची गोयल, डॉ. शालिनी रावत और डॉ. बालनी सिंह शामिल हैं. स्थापना दिवस के इस वर्चुअल समारोह में करीब 500 प्रतिभागियों ने भाग लिया. सभी ने एक-एक करके अपने विचार रखे. इस दौरान प्रो. अरविंद राजवंशी, प्रो. नुजहत हुसैन, प्रो. अमिता जैन मौजूद रहीं.