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पूर्व IPS शैलेंद्र सिंह ने बनाया अनोखा रथ, बैलों के चलने से पैदा हो रही बिजली, जानिए कैसे

बैलों से चलने वाला एक ऐसा अनोखा रथ पूर्व IPS शैलेंद्र सिंह ने बना कर तैयार किया है. पूर्व IPS का दावा है कि यह संयंत्र खेती किसानी के साथ छोटे उद्योग धंधों में काफी सहायक सिद्ध होगा. इसके अलावा आवारा पशु समस्या का समाधान भी निकलेगा.

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Published : Jan 9, 2023, 4:45 PM IST

देखें पूरी खबर.

लखनऊ : माफिया मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने की कार्रवाई करने और फिर मुलायम सिंह यादव द्वारा प्रताड़ित करने के बाद नौकरी छोड़ने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी शैलेंद्र सिंह (Former Deputy SP Shailendra Singh) इस समय एक अनूठा प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर बैलों से बिजली बनाने का काम शुरू किया है. उन्होंने एक ऐसा रैम्प (नंदी रथ) बनाया है जिसमें बैल वॉक करते हैं और बिजली पैदा (bulls generating electricity) होती है. बाकायदा उन्होंने इसका पेटेंट भी करवा लिया है.


दरअसल आवारा पशुओं की समस्या को देखते हुए और बदली हुई परिस्थितियों में बैलों का किसानी में कम उपयोग के चलते पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बैलों के माध्यम से बिजली पैदा करने का एक अनूठा मॉडल (unique chariot) तैयार किया और यह सफल भी हो गया. उन्होंने एक 'नंदी रथ' बनाया है जिसमें लेकर रैम्प भी बनाया गया है और उस पर 1 जोड़ी बैल चलते हैं और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से बिजली पैदा होती है, जो आने वाले समय में किसानों के लिए एक बड़ी सहूलियत देने वाली योजना बन सकेगी. इसके माध्यम से कम से कम लागत में बिजली बनाकर उसका उपयोग किया जा सकेगा और किसानों को काफी राहत मिलेगी. एक तरफ जहां आवारा पशुओं की समस्या है और बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है. तो ऐसे समय में उनके उपयोग से बिजली पैदा करने का यह अनूठा प्रयोग किया जा सकेगा. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह (Former Deputy SP Shailendra Singh) ने अपने फार्म हाउस में यह अनूठा प्रयोग शुरू किया है और फार्महाउस में होने वाली थोड़ी बहुत खेती किसानी या अन्य तरह के काम इसी नंदी रथ (unique chariot) से तैयार होने वाली बिजली का उपयोग करते हुए करते हैं.


राजधानी लखनऊ के ग्रामीण इलाके गोसाईगंज के पास अपने फार्म हाउस पर पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह (Former Deputy SP Shailendra Singh) ने एक गौशाला बना रखी है और यहां बनाए गए नंदी रथ के माध्यम से बैलों का उपयोग करते हुए बिजली पैदा करते हैं. शैलेंद्र सिंह ने किसानों के लिए बैलों के उपयोग और आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के उद्देश्य से यह एक अनूठा प्रयोग करते हुए मॉडल बना डाला है. उन्होंने लंबी मेहनत और रिसर्च के बाद नंदी रथ नाम से एक प्लेटफार्म बनाया है, जिसे आप बैलगाड़ी भी कह सकते हैं. इस पर बाकायदा एक रैम्प बनाया गया है और इस पर बैल चलते हैं और अन्य उपकरणों के साथ अल्टीनेटर का उपयोग करते हुए बिजली बनाई जा रही है.


शैलेंद्र सिंह अपने फार्म हाउस पर बैलों की मदद से सफलतापूर्वक बिजली का उत्पादन करके अपनी जरूरतों को भी पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने सरकार को भी एक राह दिखाई है. किसानों के लिए भी अब आवारा बैल समस्या नहीं बल्कि उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं. सरकार उनके इस अनूठे प्रयोग को आत्मसात करते हुए सब्सिडी के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने में एक बड़ी योजना की शुरुआत कर सकती है. जिससे किसानों की आय बढ़ाने में काफी अधिक सफलता भी मिल सकेगी. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने एक ऐसा यंत्र बनाया जिसकी मदद से बिजली पैदा हो रही है. उन्होंने इस रथ को नंदी रथ नाम दिया है. बैलगाड़ी की शक्ल में दिखने वाला इस रथ पर बैल बड़े आसानी से वॉक करते हुए हुए बिजली बनाते हैं. इस नन्दी रथ से एक बैल 2 घंटे में 2 किलो वाट बिजली पैदा हो जाती है.

पूर्व डिप्टी एसपी व नंदी रथ के आविष्कारक (Inventor of Nandi Rath) शैलेंद्र सिंह का कहना है कि हम लोगों ने प्राकृतिक खेती की शुरुआत की तो भारत सरकार ने सुभाष पालेकर की पद्धति को अपनाया जो, जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है. प्राकृतिक खेती का आधार है देसी गाय, देसी गाय के गोबर में बैक्टीरिया ज्यादा होती है जो अच्छी खेती के लिए सहायक हैं. जब देसी गाय पालने की बात आती है तो बछड़े के उपयोग की बात आती है, उसका कोई उपयोग नहीं है. इन्हीं सभी स्थितियों को देखते हुए हमने बैल का उपयोग करने की सोची और रिसर्च किया और उसके बाद बैल के माध्यम से बिजली बनाने को लेकर में एक मॉडल तैयार किया है.


वह कहते हैं कि उनके इस प्रयोग को सरकार अगर अपनाती है तो बिजली की समस्या दूर होगी और किसानों के लिए यह आवारा पशु समस्या नहीं बल्कि समाधान बन जाएंगे. उनके नंदी रथ पर एक साथ अगर 100 बैलों को चलाया जाए तो प्रतिदिन 1 मेगावाट बिजली पैदा हो जाएगी. उनकी इस तकनीक के माध्यम से छुट्टा पशुओं की समस्या का समाधान होगा. वहीं किसानों के लिए उनका नंदी रथ काफी मददगार साबित होगा. बैलगाड़ी की तरह इसे पोर्टेबल प्लेटफार्म बनाया गया है. किसान इसे बड़े आसानी से अपने खेत पर ले जा सकते हैं और बैलों की मदद से खेतों की सिंचाई, आटे की पिसाई, घर की बिजली व अन्य तरह के बिजली से होने वाले काम किए जा सकते हैं. जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है. सरकार अगर उनके इस नंदी रथ के मॉडल को अपनाती है तो इससे किसानों का भला होगा. सरकार नंदी रथ पर किसानों को सब्सिडी देती है तो निश्चित रूप से प्रदेश के ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ बैल की भूमिका काफी सहयोगी होगी. शैलेंद्र सिंह ने बकायदा इस नंदी रथ का पेटेंट भी करा लिया है उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर उन्होंने इस मॉडल को अपनाया जाने की बात की है और कुछ अधिकारियों ने इसको लेकर विजिट भी की है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकार इस मॉडल का उपयोग करेगी.


यह भी पढ़ें : मेजर ने डीजे की आवाज धीमी करने को कहा तो दबंगों ने कार में लगा दी आग

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लखनऊ : माफिया मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने की कार्रवाई करने और फिर मुलायम सिंह यादव द्वारा प्रताड़ित करने के बाद नौकरी छोड़ने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी शैलेंद्र सिंह (Former Deputy SP Shailendra Singh) इस समय एक अनूठा प्रयोग कर रहे हैं. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर बैलों से बिजली बनाने का काम शुरू किया है. उन्होंने एक ऐसा रैम्प (नंदी रथ) बनाया है जिसमें बैल वॉक करते हैं और बिजली पैदा (bulls generating electricity) होती है. बाकायदा उन्होंने इसका पेटेंट भी करवा लिया है.


दरअसल आवारा पशुओं की समस्या को देखते हुए और बदली हुई परिस्थितियों में बैलों का किसानी में कम उपयोग के चलते पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बैलों के माध्यम से बिजली पैदा करने का एक अनूठा मॉडल (unique chariot) तैयार किया और यह सफल भी हो गया. उन्होंने एक 'नंदी रथ' बनाया है जिसमें लेकर रैम्प भी बनाया गया है और उस पर 1 जोड़ी बैल चलते हैं और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से बिजली पैदा होती है, जो आने वाले समय में किसानों के लिए एक बड़ी सहूलियत देने वाली योजना बन सकेगी. इसके माध्यम से कम से कम लागत में बिजली बनाकर उसका उपयोग किया जा सकेगा और किसानों को काफी राहत मिलेगी. एक तरफ जहां आवारा पशुओं की समस्या है और बैलों का उपयोग कम होता जा रहा है. तो ऐसे समय में उनके उपयोग से बिजली पैदा करने का यह अनूठा प्रयोग किया जा सकेगा. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह (Former Deputy SP Shailendra Singh) ने अपने फार्म हाउस में यह अनूठा प्रयोग शुरू किया है और फार्महाउस में होने वाली थोड़ी बहुत खेती किसानी या अन्य तरह के काम इसी नंदी रथ (unique chariot) से तैयार होने वाली बिजली का उपयोग करते हुए करते हैं.


राजधानी लखनऊ के ग्रामीण इलाके गोसाईगंज के पास अपने फार्म हाउस पर पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह (Former Deputy SP Shailendra Singh) ने एक गौशाला बना रखी है और यहां बनाए गए नंदी रथ के माध्यम से बैलों का उपयोग करते हुए बिजली पैदा करते हैं. शैलेंद्र सिंह ने किसानों के लिए बैलों के उपयोग और आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के उद्देश्य से यह एक अनूठा प्रयोग करते हुए मॉडल बना डाला है. उन्होंने लंबी मेहनत और रिसर्च के बाद नंदी रथ नाम से एक प्लेटफार्म बनाया है, जिसे आप बैलगाड़ी भी कह सकते हैं. इस पर बाकायदा एक रैम्प बनाया गया है और इस पर बैल चलते हैं और अन्य उपकरणों के साथ अल्टीनेटर का उपयोग करते हुए बिजली बनाई जा रही है.


शैलेंद्र सिंह अपने फार्म हाउस पर बैलों की मदद से सफलतापूर्वक बिजली का उत्पादन करके अपनी जरूरतों को भी पूरा कर रहे हैं. वहीं उन्होंने सरकार को भी एक राह दिखाई है. किसानों के लिए भी अब आवारा बैल समस्या नहीं बल्कि उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं. सरकार उनके इस अनूठे प्रयोग को आत्मसात करते हुए सब्सिडी के माध्यम से किसानों तक पहुंचाने में एक बड़ी योजना की शुरुआत कर सकती है. जिससे किसानों की आय बढ़ाने में काफी अधिक सफलता भी मिल सकेगी. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने एक ऐसा यंत्र बनाया जिसकी मदद से बिजली पैदा हो रही है. उन्होंने इस रथ को नंदी रथ नाम दिया है. बैलगाड़ी की शक्ल में दिखने वाला इस रथ पर बैल बड़े आसानी से वॉक करते हुए हुए बिजली बनाते हैं. इस नन्दी रथ से एक बैल 2 घंटे में 2 किलो वाट बिजली पैदा हो जाती है.

पूर्व डिप्टी एसपी व नंदी रथ के आविष्कारक (Inventor of Nandi Rath) शैलेंद्र सिंह का कहना है कि हम लोगों ने प्राकृतिक खेती की शुरुआत की तो भारत सरकार ने सुभाष पालेकर की पद्धति को अपनाया जो, जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है. प्राकृतिक खेती का आधार है देसी गाय, देसी गाय के गोबर में बैक्टीरिया ज्यादा होती है जो अच्छी खेती के लिए सहायक हैं. जब देसी गाय पालने की बात आती है तो बछड़े के उपयोग की बात आती है, उसका कोई उपयोग नहीं है. इन्हीं सभी स्थितियों को देखते हुए हमने बैल का उपयोग करने की सोची और रिसर्च किया और उसके बाद बैल के माध्यम से बिजली बनाने को लेकर में एक मॉडल तैयार किया है.


वह कहते हैं कि उनके इस प्रयोग को सरकार अगर अपनाती है तो बिजली की समस्या दूर होगी और किसानों के लिए यह आवारा पशु समस्या नहीं बल्कि समाधान बन जाएंगे. उनके नंदी रथ पर एक साथ अगर 100 बैलों को चलाया जाए तो प्रतिदिन 1 मेगावाट बिजली पैदा हो जाएगी. उनकी इस तकनीक के माध्यम से छुट्टा पशुओं की समस्या का समाधान होगा. वहीं किसानों के लिए उनका नंदी रथ काफी मददगार साबित होगा. बैलगाड़ी की तरह इसे पोर्टेबल प्लेटफार्म बनाया गया है. किसान इसे बड़े आसानी से अपने खेत पर ले जा सकते हैं और बैलों की मदद से खेतों की सिंचाई, आटे की पिसाई, घर की बिजली व अन्य तरह के बिजली से होने वाले काम किए जा सकते हैं. जो किसानों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है. सरकार अगर उनके इस नंदी रथ के मॉडल को अपनाती है तो इससे किसानों का भला होगा. सरकार नंदी रथ पर किसानों को सब्सिडी देती है तो निश्चित रूप से प्रदेश के ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ बैल की भूमिका काफी सहयोगी होगी. शैलेंद्र सिंह ने बकायदा इस नंदी रथ का पेटेंट भी करा लिया है उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर उन्होंने इस मॉडल को अपनाया जाने की बात की है और कुछ अधिकारियों ने इसको लेकर विजिट भी की है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में सरकार इस मॉडल का उपयोग करेगी.


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