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पूर्व IAS बलविंदर कुमार की किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' पर की गई चर्चा - लखनऊ समाचार

राजधानी में सेवानिवृत आईएएस बलविंदर कुमार की किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' पर चर्चा की गई. इस अवसर पर कई सेवानिवृत आईएएस और आईपीएस मौजूद रहे.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार.
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Published : Jan 28, 2020, 9:26 AM IST

लखनऊ: राजधानी में सोमवार को सेवानिवृत्त आईएएस बलविंदर कुमार की किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' के बारे में चर्चा की गई. इस चर्चा में तमाम सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस मौजूद रहे. इस किताब का विमोचन दिल्ली में हो चुका है. पूर्व आईएएस बलविंदर सिंह वर्तमान में रेरा में बतौर न्यायिक सदस्य सेवा दे रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार.
ईटीवी भारत ने इस मौके पर पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार से खास बातचीत की. बलविंदर कुमार 36 वर्षों की प्रशासनिक सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और फिलहाल रेरा में बतौर न्यायिक सदस्य सेवा दे रहे हैं. अध्यात्म की ओर रुचि रखने वाले बलविंदर कुमार कि यह तीसरी पुस्तक है. इससे पहले भी वह अध्यात्म पर ही आधारित दो और पुस्तकें लिख चुके हैं.

'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' पर चर्चा
अपनी किताब के बारे में बलविंदर कुमार बताते हैं कि इस किताब में मैंने जीवन के तमाम पहलुओं का निचोड़ लिखने का प्रयास किया है. जीवन में शामिल तमाम खुशियां, गम, संघर्ष, दर्द, आत्मीयता और उसके साथ अध्यात्म को जीवन में शामिल करने की बात को लिखने का प्रयास किया है. बलविंदर कुमार कहते हैं कि अभी हम अपने आधुनिक जीवन शैली को देखें तो इसमें तमाम तरह की परेशानियां जैसे कि मेंटल स्ट्रेस, अकेलापन, डिजिटल डिस्ट्रेक्शन और एडिक्शन आदि शामिल हैं. इस किताब में इन सभी परेशानियों को हल करने और अपने जीवन को अच्छा और शांत बनाने के प्रयासों के बारे में लिखा गया है.

इसे भी पढ़ें - लखनऊ: विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों-कर्मचारियों को किया सम्मानित

'स्वस्थ मन से शरीर स्वस्थ हो सकता है'
अपनी किताब में बलविंदर कुमार ने लिखा है कि 'स्वस्थ मन से शरीर स्वस्थ हो सकता है'. इस बाबत वह कहते हैं कि देखा जाए तो मन और शरीर दोनों एक ही होते हैं. यदि दोनों सही होंगे तभी आपका जीवन भी सही दिशा में जा सकता है. भारतीय न्यायिक सदस्य रेरा में काम करते वक्त अध्यात्म के साथ अपने काम को जोड़ने के बारे में कुमार कहते हैं कि जब कोर्ट रूम में बतौर जज हम बैठते हैं तो साक्ष्य और आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेते हैं. वह एक अधिनियम को देखते हुए सिर्फ न्यायिक काम करते हैं, लेकिन उस दौरान भी हम अपने जीवन में अध्यात्म को शांत और सकारात्मक रहकर शामिल कर सकते हैं.

अपनी किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' से अपेक्षाओं की बात करते हुए पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि लोग इसे पढ़ें. हमारे समाज के एक बहुत बड़ी समस्या 'इग्नोरेंस' को खुद में से खत्म कर सकें.

लखनऊ: राजधानी में सोमवार को सेवानिवृत्त आईएएस बलविंदर कुमार की किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' के बारे में चर्चा की गई. इस चर्चा में तमाम सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस मौजूद रहे. इस किताब का विमोचन दिल्ली में हो चुका है. पूर्व आईएएस बलविंदर सिंह वर्तमान में रेरा में बतौर न्यायिक सदस्य सेवा दे रहे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार.
ईटीवी भारत ने इस मौके पर पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार से खास बातचीत की. बलविंदर कुमार 36 वर्षों की प्रशासनिक सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और फिलहाल रेरा में बतौर न्यायिक सदस्य सेवा दे रहे हैं. अध्यात्म की ओर रुचि रखने वाले बलविंदर कुमार कि यह तीसरी पुस्तक है. इससे पहले भी वह अध्यात्म पर ही आधारित दो और पुस्तकें लिख चुके हैं.

'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' पर चर्चा
अपनी किताब के बारे में बलविंदर कुमार बताते हैं कि इस किताब में मैंने जीवन के तमाम पहलुओं का निचोड़ लिखने का प्रयास किया है. जीवन में शामिल तमाम खुशियां, गम, संघर्ष, दर्द, आत्मीयता और उसके साथ अध्यात्म को जीवन में शामिल करने की बात को लिखने का प्रयास किया है. बलविंदर कुमार कहते हैं कि अभी हम अपने आधुनिक जीवन शैली को देखें तो इसमें तमाम तरह की परेशानियां जैसे कि मेंटल स्ट्रेस, अकेलापन, डिजिटल डिस्ट्रेक्शन और एडिक्शन आदि शामिल हैं. इस किताब में इन सभी परेशानियों को हल करने और अपने जीवन को अच्छा और शांत बनाने के प्रयासों के बारे में लिखा गया है.

इसे भी पढ़ें - लखनऊ: विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों-कर्मचारियों को किया सम्मानित

'स्वस्थ मन से शरीर स्वस्थ हो सकता है'
अपनी किताब में बलविंदर कुमार ने लिखा है कि 'स्वस्थ मन से शरीर स्वस्थ हो सकता है'. इस बाबत वह कहते हैं कि देखा जाए तो मन और शरीर दोनों एक ही होते हैं. यदि दोनों सही होंगे तभी आपका जीवन भी सही दिशा में जा सकता है. भारतीय न्यायिक सदस्य रेरा में काम करते वक्त अध्यात्म के साथ अपने काम को जोड़ने के बारे में कुमार कहते हैं कि जब कोर्ट रूम में बतौर जज हम बैठते हैं तो साक्ष्य और आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेते हैं. वह एक अधिनियम को देखते हुए सिर्फ न्यायिक काम करते हैं, लेकिन उस दौरान भी हम अपने जीवन में अध्यात्म को शांत और सकारात्मक रहकर शामिल कर सकते हैं.

अपनी किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' से अपेक्षाओं की बात करते हुए पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि लोग इसे पढ़ें. हमारे समाज के एक बहुत बड़ी समस्या 'इग्नोरेंस' को खुद में से खत्म कर सकें.

Intro:लखनऊ व प्रशासनिक अधिकारियों के जीवन काल में तमाम ऐसी घटनाएं होती हैं जिनके वर्णन पर अगर बहुत आ रहा है तो समय कम पड़ जाए लेकिन उन घटनाओं को एक सार का रूप देकर जीवन का निचोड़ बताना कुछ एक के बस में ही होता है। इन्हीं में से एक हैं सेवानिवृत्त आईएएस बलविंदर कुमार जिनकी किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' के बारे में आज लखनऊ में एक चर्चा की गई इस चर्चा में तमाम सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस मौजूद रहे।


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आईएएस बलविंदर कुमार 36 वर्षों की प्रशासनिक सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और फिलहाल रेरा में बतौर न्यायिक सदस्य सेवा दे रहे हैं। अध्यात्मिक की ओर रुचि रखने वाले कुमार कि यह तीसरी पुस्तक है। इससे पहले भी वह अध्यात्म पर ही आधारित दो और पुस्तकें लिख चुके हैं।
अपनी किताब के बारे में कुमार बताते हैं कि इस किताब में मैंने जीवन के तमाम पहलुओं का निचोड़ लिखने का प्रयास किया है। जीवन में शामिल तमाम खुशियां, गम, संघर्ष, दर्द, आत्मीयता और उसके साथ आध्यात्मिक को जीवन में शामिल करने की बात को लिखने का प्रयास किया है।
कुमार कहते हैं कि अभी हम आज अपने आधुनिक जीवन शैली को देखें तो इसमें तमाम तरह की परेशानियां जैसे कि मेंटल स्ट्रेस, अकेलापन, डिजिटल डिस्ट्रेक्शन, एडिक्शन आदि शामिल हैं। इस किताब में इन सभी परेशानियों को हल करने और अपने जीवन को अच्छा हल्दी और शांत बनाने के प्रयासों के बारे में लिखा गया है।

अपनी किताब में बलविंदर कुमार ने लिखा है कि स्वस्थ मन से शरीर स्वस्थ हो सकता है इस बाबत वह कहते हैं कि देखा जाए तो मन और शरीर दोनों एक ही होते हैं यदि दोनों सही होंगे तभी आपका जीवन भी सही दिशा में जा सकता है।

भतार न्यायिक सदस्य रेरा में काम करते वक्त अध्यात्म के साथ अपने काम को जोड़ने के बारे में कुमार कहते हैं कि जब कोर्ट रूम में बतौर जज हम बैठते हैं तो साक्ष्य और आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेते हैं वह एक अधिनियम को देखते हुए सिर्फ न्यायिक काम करते हैं। लेकिन उस दौरान भी हम अपने जीवन में अध्यात्म को शांत और सकारात्मक रहकर शामिल कर सकते हैं।




Conclusion:अपनी किताब 'रीडिजाइन योर लाइफ इन मॉडर्न एज' से अपेक्षाओं की बात करते हुए पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि लोग इसे पढ़ें, सल्फर वेयर है और हमारे समाज के एक बहुत बड़ी समस्या 'इग्नोरेंस' को खुद में से खत्म कर सकें।

पूर्व आईएएस बलविंदर कुमार के साथ बातचीत का इंटरव्यू।

रामांशी मिश्रा
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