लखनऊ: गोंडा में एसीएमओ डॉ. एपी सिंह और सभी 16 सीएचसी अधीक्षकों के सामूहिक इस्तीफे के बाद, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही के डॉक्टरों के साथ किए गए अभद्र व्यवहार को अमर्यादित करार दिया है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी को इस तरह का व्यवहार और रवैया शोभा नहीं देता. इस तरह के आचरण से गुरेज करना चाहिए.
दरअसल, बुधवार को गोंडा जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही पर समीक्षा बैठकों में अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाकर, एसीएमओ डॉ. एपी सिंह समेत सभी 16 सीएचसी अधीक्षकों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. डॉक्टरों का आरोप है कि डीएम ने उनके साथ अभद्रता की है. कई बार डीएम अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ गलत तरीके से पेश आते थे. इसको लेकर सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी वायरल हो चुके हैं.
अधीनस्थ अफसरों के साथ गलत व्यवहार से प्रभावित होते हैं कामकाज
इस पूरे मामले में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन (उत्तर प्रदेश) का कहना है कि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी द्वारा इस तरह का व्यवहार किया जाना उचित नहीं माना जाता. इस तरह का रवैया प्रशासनिक कामकाज के लिए खतरनाक है. इस संदर्भ में जिलाधिकारी का आचरण अमर्यादित है. इससे प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित होते हैं. प्रशासनिक अफसरों को अन्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक टीम के रूप में काम करना चाहिए और जो जनहित को लेकर शासन की योजनाएं हैं, उनका अनुपालन समय के साथ कराना चाहिए.
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'डीएम को अफसरों के साथ टीम भावना के साथ काम करना चाहिए'
पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि गोंडा जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच तालमेल में सामंजस्य न बैठ पाना बड़ी खामी है. जिलाधिकारी के नेतृत्व में सभी अधिकारी मिलकर काम करें, यह जिलाधिकारी की ही जिम्मेदारी होती है. जिलाधिकारी का व्यवहार अच्छा होना चाहिए, जिससे दूसरे अधिकारी मोटिवेट हों. अधीनस्थ अधिकारियों के साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए. कहीं कोई अशोभनीय व्यवहार नहीं होना चाहिए. अगर, कहीं कोई मनमुटाव होता है तो उसे आपस में बातचीत कर दूर किया जाना चाहिए.