लखनऊ: उच्च शिक्षा के मानकों और नियमों में हुए बदलाव को शिक्षा विशेषज्ञ इसे बेहतर कदम मानते हैं. उनका कहना है कि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन होने से शोध की गुणवत्ता में सुधार होगा. केंद्र सरकार ने बुधवार को स्कूली शिक्षा को लेकर उच्च शिक्षा में आमूल चूक परिवर्तन किया है.
ईटीवी भारत से बातचीत में विशेषज्ञों ने बताया कि विश्वविद्यालयों में दाखिले से लेकर पढ़ाई के तरीकों में बदलाव से छात्रों में ना सिर्फ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि उनका संवर्गीकरण भी होगा. सरकार ने जो बदलाव किया था इनमें-
- शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च किया जाएगा.
- प्रमुख भाषाओं में भी उपलब्ध होगा ई कोर्स.
- उच्च शिक्षा में क्रिएटिव कांबीनेशन के साथ छात्र बीच में विषय बदल सकेंगे.
- डिजिटल स्तर पर अकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनाया जाएगा.
- शोध की सर्वोच्च संस्था के तौर पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन होगा.
- हायर एजुकेशन कमीशन का गठन होगा और मेडिकल और लीगल रहेंगे अलग-अलग.
- सरकारी और निजी सभी संस्थानों पर एक ही तरह के नियम मानक लागू होंगे.
- सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक प्रकोष्ठ परीक्षा होगी, जिससे समय व धन बचेगा. ऐसे कई नियम हैं, जिनमें सरकार ने बदलाव किया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर और महामंत्री शिक्षक संघ ने बातचीत में बताया कि जो नई एजुकेशन पॉलिसी आई है, इसमें टेक्नॉलजी में ज्यादा जोर दिया गया है. टेक्नोलॉजी को एजुकेशन में इस्तेमाल करना अच्छी बात है, उसको कैसे बेहतर बनाया जाए, इस पर जोर देने की बात की गई है. इसके अलावा मल्टी डिसेंट्री रिसर्च के लिए एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी की बात की गई. देश के विकास के लिए एक अच्छा कदम है.
लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजीव मनोहर का कहना है कि जो नई शिक्षा नीति सरकार ने लागू की है. भाषा का फार्मूला है, वह बहुत फायदा करेगा. दूसरा जो शिक्षा में निवेश है वह कम था. यह एक बहुत गेम चेंजर साबित होगा. इससे बदलाव आने की संभावना है.