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लॉकडाउन से फूलों और बागवानों के चेहरे मुरझाए, कारोबार प्रभावित

लखनऊ में कोरोना की वजह से फूल कारोबार काफी अधिक प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के चलते फूलों की किसानी करने वाले बागवानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं. फूलों की डिमांड न के बराबर होने से फूल भी मुरझा रहे हैं. राजधानी लखनऊ की चौक मंडी के फूल के कारोबार और किसानी करने वाले फूलों के बागवान काफी परेशान हैं

लॉकडाउन से फूलों और बागवानों के चेहरे मुरझाए
लॉकडाउन से फूलों और बागवानों के चेहरे मुरझाए
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Published : May 28, 2021, 8:53 PM IST

लखनऊ: कोरोना महामारी से बचाव को लेकर लॉकडाउन लगाया गया है. इसकी वजह से तमाम तरह के कारोबार प्रभावित हुए हैं. ऐसी स्थिति में राजधानी का फूल कारोबार भी काफी अधिक प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के चलते फूलों की किसानी करने वाले बागवानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं. फूलों की डिमांड न के बराबर होने से फूल भी मुरझा रहे हैं. राजधानी की चौक मंडी में फूल का कारोबार करने वाले और फूलों की बागवानी करने वाले काफी परेशान हैं. कई बार तो फूल न बिकने की वजह से वह सड़ रहे हैं और कीमत भी काफी कम मिल रही है. लॉकडाउन के दौरान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और मजार आदि सब बंद चल रहे हैं. ऐसी स्थिति में फूलों की आपूर्ति पूरी तरह से प्रभावित हुई है.

लॉकडाउन से फूलों और बागवानों के चेहरे मुरझाए

फूल मंडी के कारोबारी और किसान परेशान
चौक मंडी बस यूं तो लोग फूल बेचने आ रहे हैं और फूल की बिक्री भी हो रही है, लेकिन कीमतों में काफी अंतर आया है. पहले की तुलना में इस समय करीब 15 फीसदी व्यापार हो रहा है और इसकी वजह से फूलों की किसानी करने वाले किसान बहुत ही कम दाम में अपने फूल बेच रहे हैं. दुकानदार भी इससे काफी परेशान हैं, क्योंकि उनका व्यापार न के बराबर हो रहा है ऐसी स्थिति में मुनाफा भी नहीं हो रहा है.

शादियों में ही बहुत कम हो पा रही फूलों की आपूर्ति
फूलों की डिमांड सिर्फ कुछ शादियों में हो रही है, वह भी न के बराबर, क्योंकि शादियां भी बहुत ही साधारण तरीके की सजावट के साथ हो रही हैं. फूलों की थोड़ी बहुत आपूर्ति अन्य जगहों पर हो पा रही है. इसके अलावा फूल की आपूर्ति कहीं भी नहीं है. इसकी वजह से सारा कारोबार एक तरह से ठप हो रहा है.

इस साल थी उम्मीद, लेकिन फिर फिरा पानी
पिछले साल जब कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन किया गया था, तब पूरा व्यापार प्रभावित हो गया था. जब सितंबर के बाद कुछ स्थितियां सामान्य होने लगीं तो कारोबारियों और फूल के किसानों को उम्मीद थी कि अगले साल सहालग के समय या फिर अगले साल जब स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएंगी तो व्यापार अच्छा होगा, लेकिन इस साल मार्च के बाद से स्थिति और खराब हो गई. फूलों की आपूर्ति एक तरह से न के बराबर हो रही है और इसकी वजह से धंधा मंदा हो गया है. महज 10 से 15 फीसदी ही व्यापार हो रहा है.


नहीं बिक पा रहे फूल
फूल की किसानी करने वाले किसान श्रवण कुमार कहते हैं कि हम यहां अपने खेतों से फूल लाते हैं, लेकिन अधिक बिक्री न हो पाने की वजह से फूल सड़ जाता है और इससे हम लोगों की स्थिति काफी खराब हो रही है. कहते हैं कि जो फूल 100 रुपये या उससे कुछ अधिक बिकता था, वह आज 20 से 30 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है. इससे काफी नुकसान भी हो रहा है. श्रवण बताते हैं कि हम जो रजनीगंधा फूल बेचने आते हैं वह भी बिक नहीं पाता और काफी बर्बाद हो जाता है. सरकार से हमारी मांग है कि लॉकडाउन में कुछ परिवर्तन करे और हम लोगों के हित में सरकार कुछ सोचे.

कारोबार बहुत प्रभावित, सरकार दे राहत
मंडी के फूल कारोबारी शहाबुद्दीन ने कहा कि हम लोगों की स्थिति काफी खराब है. पिछले साल तो कारोबार एकदम बेकार था. इस साल उम्मीद थी कि थोड़ा बहुत व्यापार होगा, लेकिन इस बार भी स्थिति ठीक नहीं है. 10 से 15 फीसदी ही व्यापार हो रहा है और फूल की बिक्री न के बराबर है. इस बार जो फूलों की आपूर्ति थोड़ा-बहुत हो पा रही है वह शादियों में हो रही है, क्योंकि शादियों में सीमित संसाधनों के साथ हो रही है. 25-50 लोगों की अनुमति के साथ शादी हो रही हैं. इसलिए वहां पर कुछ आपूर्ति हो पा रही है. इसके अलावा गाड़ियों की सजावट आदि में भी फूलों की कुछ खपत है. बाकी स्थिति बहुत खराब है. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों को भी सरकार राहत दे.

फूल की खपत नहीं, धंधा हुआ प्रभावित
फूल किसान दिनेश मौर्य कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से कारोबार पूरा प्रभावित हो चुका है. 10-12 फीसदी व्यापार हो पा रहा है. हम लोग इस समय काफी परेशान हैं. मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा सब बंद हैं. फूल की कहीं भी खपत नहीं है. ऐसी स्थिति में हम लोगों के सामने बड़ी परेशानी है. परिवार के खर्चे नहीं पूरे हो पा रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है, क्योंकि हमारा फूल का धंधा काफी प्रभावित हुआ है. सरकार से हमारी मांग है कि सरकार हम लोगों के बारे में सोचे.

फूल की कीमत पहले अब (किलो में)

गुलाब 300 100
गेंदा 200 30-40
ग्लेडियोलस 500 50-100

रजनीगंधा 400 20-50
जरबेरा 150 20-30


इसे भी पढ़ें: गेटेड कॉलोनी और अपार्टमेंट में इस तरह लड़ी गई कोरोना से जंग, जानकर कह उठेंगे वाह

लखनऊ: कोरोना महामारी से बचाव को लेकर लॉकडाउन लगाया गया है. इसकी वजह से तमाम तरह के कारोबार प्रभावित हुए हैं. ऐसी स्थिति में राजधानी का फूल कारोबार भी काफी अधिक प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन के चलते फूलों की किसानी करने वाले बागवानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं. फूलों की डिमांड न के बराबर होने से फूल भी मुरझा रहे हैं. राजधानी की चौक मंडी में फूल का कारोबार करने वाले और फूलों की बागवानी करने वाले काफी परेशान हैं. कई बार तो फूल न बिकने की वजह से वह सड़ रहे हैं और कीमत भी काफी कम मिल रही है. लॉकडाउन के दौरान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और मजार आदि सब बंद चल रहे हैं. ऐसी स्थिति में फूलों की आपूर्ति पूरी तरह से प्रभावित हुई है.

लॉकडाउन से फूलों और बागवानों के चेहरे मुरझाए

फूल मंडी के कारोबारी और किसान परेशान
चौक मंडी बस यूं तो लोग फूल बेचने आ रहे हैं और फूल की बिक्री भी हो रही है, लेकिन कीमतों में काफी अंतर आया है. पहले की तुलना में इस समय करीब 15 फीसदी व्यापार हो रहा है और इसकी वजह से फूलों की किसानी करने वाले किसान बहुत ही कम दाम में अपने फूल बेच रहे हैं. दुकानदार भी इससे काफी परेशान हैं, क्योंकि उनका व्यापार न के बराबर हो रहा है ऐसी स्थिति में मुनाफा भी नहीं हो रहा है.

शादियों में ही बहुत कम हो पा रही फूलों की आपूर्ति
फूलों की डिमांड सिर्फ कुछ शादियों में हो रही है, वह भी न के बराबर, क्योंकि शादियां भी बहुत ही साधारण तरीके की सजावट के साथ हो रही हैं. फूलों की थोड़ी बहुत आपूर्ति अन्य जगहों पर हो पा रही है. इसके अलावा फूल की आपूर्ति कहीं भी नहीं है. इसकी वजह से सारा कारोबार एक तरह से ठप हो रहा है.

इस साल थी उम्मीद, लेकिन फिर फिरा पानी
पिछले साल जब कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन किया गया था, तब पूरा व्यापार प्रभावित हो गया था. जब सितंबर के बाद कुछ स्थितियां सामान्य होने लगीं तो कारोबारियों और फूल के किसानों को उम्मीद थी कि अगले साल सहालग के समय या फिर अगले साल जब स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएंगी तो व्यापार अच्छा होगा, लेकिन इस साल मार्च के बाद से स्थिति और खराब हो गई. फूलों की आपूर्ति एक तरह से न के बराबर हो रही है और इसकी वजह से धंधा मंदा हो गया है. महज 10 से 15 फीसदी ही व्यापार हो रहा है.


नहीं बिक पा रहे फूल
फूल की किसानी करने वाले किसान श्रवण कुमार कहते हैं कि हम यहां अपने खेतों से फूल लाते हैं, लेकिन अधिक बिक्री न हो पाने की वजह से फूल सड़ जाता है और इससे हम लोगों की स्थिति काफी खराब हो रही है. कहते हैं कि जो फूल 100 रुपये या उससे कुछ अधिक बिकता था, वह आज 20 से 30 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है. इससे काफी नुकसान भी हो रहा है. श्रवण बताते हैं कि हम जो रजनीगंधा फूल बेचने आते हैं वह भी बिक नहीं पाता और काफी बर्बाद हो जाता है. सरकार से हमारी मांग है कि लॉकडाउन में कुछ परिवर्तन करे और हम लोगों के हित में सरकार कुछ सोचे.

कारोबार बहुत प्रभावित, सरकार दे राहत
मंडी के फूल कारोबारी शहाबुद्दीन ने कहा कि हम लोगों की स्थिति काफी खराब है. पिछले साल तो कारोबार एकदम बेकार था. इस साल उम्मीद थी कि थोड़ा बहुत व्यापार होगा, लेकिन इस बार भी स्थिति ठीक नहीं है. 10 से 15 फीसदी ही व्यापार हो रहा है और फूल की बिक्री न के बराबर है. इस बार जो फूलों की आपूर्ति थोड़ा-बहुत हो पा रही है वह शादियों में हो रही है, क्योंकि शादियों में सीमित संसाधनों के साथ हो रही है. 25-50 लोगों की अनुमति के साथ शादी हो रही हैं. इसलिए वहां पर कुछ आपूर्ति हो पा रही है. इसके अलावा गाड़ियों की सजावट आदि में भी फूलों की कुछ खपत है. बाकी स्थिति बहुत खराब है. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों को भी सरकार राहत दे.

फूल की खपत नहीं, धंधा हुआ प्रभावित
फूल किसान दिनेश मौर्य कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से कारोबार पूरा प्रभावित हो चुका है. 10-12 फीसदी व्यापार हो पा रहा है. हम लोग इस समय काफी परेशान हैं. मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा सब बंद हैं. फूल की कहीं भी खपत नहीं है. ऐसी स्थिति में हम लोगों के सामने बड़ी परेशानी है. परिवार के खर्चे नहीं पूरे हो पा रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है, क्योंकि हमारा फूल का धंधा काफी प्रभावित हुआ है. सरकार से हमारी मांग है कि सरकार हम लोगों के बारे में सोचे.

फूल की कीमत पहले अब (किलो में)

गुलाब 300 100
गेंदा 200 30-40
ग्लेडियोलस 500 50-100

रजनीगंधा 400 20-50
जरबेरा 150 20-30


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