लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर सरकार उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम 2022 को लागू कर दिया है. इस अधिनियम के माध्यम से अग्निशमन व आपात सेवा के उपायों को और अधिक सुदृढ़ बनाने में मदद मिलेगी. प्रमुख सचिव, गृह संजय प्रसाद (Principal Secretary, Home Sanjay Prasad) ने बताया कि भारत सरकार द्वारा प्रसारित मॉडल फायर एंड इमरजेंसी सर्विस बिल, 2019 के प्राविधानों को उत्तर प्रदेश में लागू किए जाने के संबंध में ‘उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम-2022’ के आलेख को स्वीकृति प्रदान की गई है.
भारत में फायर सर्विस अधिनियम (fire service act in india) में एकरूपता लाए जाने के लिए भारत सरकार ने मॉडल फायर सर्विस बिल 1958 एवं संशोधित मॉडल फायर एंड इमरजेन्सी सर्विस बिल, 2019 तैयार कर प्रदेश सरकारों को लागू करने की सिफारिश की थी. उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा को अग्निकाण्डों से बचाव के साथ-साथ अन्य आपातकालीन आवश्यकताओं जैसे-बाढ़, भूकम्प, बिल्डिंग कोलैप्स, आण्विक एवं जैविक खतरों इत्यादि में रेस्क्यू, बचाव कार्य के लिए वैधानिक एवं ढांचागत रूप से सुसज्जित एवं प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है. मॉडल फायर एंड इमरजेन्सी सर्विस बिल, 2019 को अंगीकृत करने से वैधानिक व राजकीय कर्तव्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु अग्निशमन विभाग के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व के बीच यथोचित संतुलन स्थापित होगा.
उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम 2022 के तहत अग्निशमन अधिकारी को जलापूर्ति करने की शक्ति दी गई है. इसमें किसी का भी जल स्रोत होने पर जल आपूर्ति करना अनिवार्य होगा. आग बुझाने के लिए ऐसे जल स्रोत के स्वामी या उस पर नियंत्रण रखने वाले को जल आपूर्ति करनी होगी. अग्निशमन अधिकारी जल आपूर्ति के लिए करार कर सकता है और कोई भी जल आपूर्ति के लिए इनकार नहीं कर सकता. ऐसे में विधेयक के अध्याय छह में अपराध और उन सजा का प्रावधान किया गया है, जो कोई जल आपूर्ति के नियमों का उल्लंघन करेगा या उसके लिए बनाई गई नियमावली का उल्लंघन करेगा तो उसे छह माह की सजा, ऐसा जुर्माना जो 50 हजार रुपये तक होगा या दोनों से दंडित किया जाएगा. ऐसा अपराध लगातार जारी रखने पर जुर्माना तीन हजार रुपये प्रतिदिन लागू किया जाएगा.
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