लखनऊ: एलयू के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह ने डीएसएमएनआरयू के पूर्व कुलसचिव के खिलाफ हसनगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. उन्होंने निशीथ राय पर जन्मतिथि संबंधित गलत सूचना देने का आरोप लगाया है. वहीं, प्रो. निशीथ राय ने आरोपों को पूरी तरह गलत और कूटरचित बताया है. कहा कि लोगों ने उनकी छवि खराब करने के लिए दस्तावेजों से छेड़छाड़ की है.
यह है मामला
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. विनोद कुमार सिंह ने हसनगंज कोतवाली में डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.निशीथ राय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. एलयू कुलपति के मुताबिक डाॅ. निशीथ राय ने लखनऊ विश्वविद्यालय में भारतीय इतिहास विभाग में प्रवक्ता के पद पर आवेदन किया था. आवेदन फार्म में जन्मतिथि एक जनवरी 1963 अंकित थी. वर्ष 1991 में डाॅ. निशीथ को अस्थायी तौर पर नियुक्त कर लिया गया था. प्रवक्ता के मौलिक पद पर उन्हें एक साल बाद नियुक्त किया गया. शिकायत के मुताबिक डाॅ. निशीथ राय के डाॅ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (Dr. Shakuntala Mishra National University) में कुलपति नियुक्त किए जाने के बाद विश्वविद्यालय की ओर से जांच शुरू की गई. जांच में जन्मतिथि एक अक्टूबर 1960 होने की बात सामने आई है.
प्रो. निशीथ राय का पक्ष
प्रो.निशीथ राय ने कहा, 'FIR गलत तथ्यों पर आधारित है. मेरे पास एक ही हाई स्कूल का प्रमाणपत्र है, जिसमें जन्मतिथि 1/10/1963 है. हाई स्कूल के शुरू में जारी सर्टिफिकेट में गलती से जन्मतिथि 1/10/1960 अंकित हो गई थी. जिसे पिता जी ने स्कूल के माध्यम से यूपी बोर्ड को वापस कर दिया था. बोर्ड ने संशोधित सर्टिफिकेट 1/10/1963 का जारी कर दिया. इसका उपयोग आज तक सभी जगह किया गया है. हाई स्कूल, इंटर, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी नियुक्तियों संबंधी सभी फार्मों में, वोटर कार्ड, आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस सभी जगह 1/10/1963 ही लिखा गया है. 1/10/1960 सर्टिफिकेट तो मेरे पास है भी नहीं. वह तो पिता जी के द्वारा बोर्ड को वापस कर दिया गया था. कहीं पर भी आज तक 1/10/1960 जन्मतिथि का उपयोग नहीं किया गया है.'
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प्रो. निशीथ राय का आरोप है कि कतिपय निहित स्वार्थ वाले लोगों जिनका काम वह नहीं कर पाए, ने किसी व्यक्ति के माध्यम से उनका फर्जी वोटर कार्ड इलाहाबाद के गलत पते से बनवाया हैं. अखबार में सर्टिफिकेट खोने की सूचना मेरे नाम से छपवा कर पुराना सर्टिफिकेट बोर्ड से प्राप्त कर यह कार्य किया गया है. उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में लखनऊ के हजरतगंज और प्रयागराज के थाने में काफी पहले एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है.
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