प्रयागराज : प्रदेश की योगी सरकार वर्ष 2019 में संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित दिव्य और भव्य कुम्भ को सबसे बड़ा और सफल आयोजन बताकर देश और दुनिया में अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है. उसी कुंभ के आयोजन को लेकर भारत के महानियंत्रक महालेखा परीक्षक यानि सीएजी की ओर से कराई गई आडिट में कई तरह की अनियमिततायें और खामियां उजागर हुई हैं. विधानसभा के पटल पर 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष की आडिट रिपोर्ट रखी जा चुकी है. जहां से इसे विधानसभा की लोक लेखा समिति को भेज दिया गया है. परम्परा के मुताबिक इस आडिट रिपोर्ट के सदन के पटल पर रखने के बाद प्रधान महालेखाकार मीडिया को इस रिपोर्ट की जानकारी दी हैं.
रिपोर्ट में कुंभ 2019 को लेकर कई तरह की खामियां सामने आयी हैं. कुंभ मेले के लिए 2425 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिसमें केन्द्र सरकार ने 1281 करोड़ और शेष धनराशि राज्य सरकार ने व्यय की थी. इसमें करीब 16 विभागों का का दखल था. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रयागराज में माघ मेला हर साल होता है और छह साल पर कुम्भ और महाकुम्भ का आयोजन होता है, लेकिन सरकार स्थायी निर्माण का प्लान बनाने में पूरी तरह से विफल रही और स्थायी निर्माण कार्यों को लेकर कोई मानक भी तय नहीं किए जा सके.
आडिट रिपोर्ट के मुताबिक नगर विकास विभाग ने कुंभ मेले के लिए 2744 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था, जिसके सापेक्ष जुलाई 19 तक 2112 करोड़ खर्च हो चुका था. विभागों द्वारा आवंटन और व्यय की सूचना कुंभ मेला अधिकारी द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे कई आवंटित धनराशि और व्यय की सही स्थिति नहीं पता लग सका. कुम्भ मेले में भारत सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार ने बचाव उपकरणों की खरीद की.
एसडीआरएफ यानि राज्य आपदा राहत कोष से 65.87 करोड़ का बजट परिवर्तित किया गया. पीडब्ल्यूडी ने बगैर वित्तीय स्वीकृति सड़कों की मरम्मत और सड़कों के किनारे पेड़ों पर चित्रकारी की. इस कार्य में 1.59 करोड़ के छह कार्य कराए गए. जबकि सूचना और जनसंपर्क विभाग ने इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से कुंभ मेले के प्रचार प्रसार के लिए 14.67 करोड़ के सापेक्ष 29.33 करोड़ की धनराशि आबंटित की. संस्थाओं को टेंटेज सामग्री देने वाले वेंडर ने सामान वापस न करने पर 21. 75 करोड़ के मुआवजे का दावा प्रस्तुत किया है. इसके साथ ही कुंभ मेले के दौरान विभिन्न विभागों ने निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया, जिसके चलते 58 स्थायी और 11 अस्थाई प्रकृति के लगभग 15 प्रतिशत कार्य कुंभ मेला शुरू होने तक पूरे नहीं हुए थे.
आडिट रिपोर्ट के मुताबिक 7.83 करोड़ के ड्रोन,टायर किलरों और बैगेज स्कैनर जैसे जांच यन्त्रों को या तो प्राप्त नहीं किया या फिर उनका उपयोग नहीं किया गया. सड़क कार्यों में अधिक अनुमान 3.11 करोड़, नौ सड़क के कार्यों के निर्माण में अतिरिक्त आफसेट बिछाने से 95.75 लाख का अतिरिक्त व्यय हुआ है. आडिट रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि ठेकेदारों को अनियमित ठेके दिए गए. बैरिकेडिंग कार्यों पर 3.24 करोड़ और फाइबर शौचालय पर 8.75 करोड़ अतिरिक्त खर्च किया गया. जिसे बचाया जा सकता था.
कुंभ मेले के ठेकेदारों को 1.27 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान का मामला भी आडिट रिपोर्ट में प्रकाश में आया है. इसके साथ सालिड वेस्ट मैनेजमेंट को कुंभ मेले में प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया. कुंभ शुरू होने से पहले 361136 मिट्रिक टन सालिड वेस्ट का ढेर बन गया था, जबकि कुम्भ मेले के दौरान जनवरी 2019 से मार्च 2019 तक 52727 मीट्रिक टन अतिरिक्त सालिड वेस्ट बन गया, जिसका डिस्पोजल ट्रीटमेंट प्लांटों में नहीं हो सका.
आडिट रिपोर्ट के मुताबिक कुंभ मेला 2019 को लेकर सरकार लॉन्ग टर्म प्लान बनाने में भी पूरी तरह से असफल रही. कुंभ मेले को लेकर सरकार ने कोई स्टैंडर्ड नहीं बनाया. बैरिकेडिंग के लिए ही अलग-अलग विभागों द्वारा अलग-अलग रेट से दिए गए हैं.इसके साथ ही सीएजी ने इंडो नेपाल बार्डर रोड परियोजना में देरी की वजह से सरकार के खजाने को हो रहे नुकसान को लेकर, लखनऊ स्थित चक गंजरिया पशुधन फार्म और राज्य सड़क निधि से वित्त पोषित सड़कों के निर्माण को लेकर भी आडिट रिपोर्ट तैयार की है.
कैग ने इनमें मिली खामियों को भी बताते हुए रिपोर्ट लोक लेखा समिति को भेजी है. वहीं सरकार के स्कूल चलो अभियान की भी इस आडिट रिपोर्ट से पोल खुली है. दरअसल कैग की जांच में ये बात सामने आई है कि प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को स्कूल बैग देने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशालय की टेंडर प्रक्रिया में विसंगति पायी गई है. स्कूल बैग की आपूर्ति और वितरण में देरी की वजह से 1.15 करोड़ बच्चों को वर्ष 2016-17 में स्कूल बैग नहीं दिए जा सके. इसके साथ ही तीन वर्षों से अधिक समय में 9.46 करोड़ कीमत के 6.55 लाख स्कूल बैग गोदाम में डंप पड़े हैं. इसके साथ ही कैग ने अपनी आडिट रिपोर्ट में एससी-एसटी के लिए हास्टलों और सुविधाओं को लेकर धन की बर्बादी का मामला उजागर किया है. वहीं आगरा में आक्सीजन प्लान्ट की स्थापना न हो पाने को लेकर भी कैग ने अपनी आडिट रिपोर्ट में बताते हुए सरकार की आंखे खोलने की कोशिश की है.