लखनऊः राजधानी में कोविड के साथ नाॅन कोविड मरीजों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. ऐसे ही रविवार को एक महिला की घर पर हालत बिगड़ गई. परिजनों ने एंबुलेंस के लिए कई बार फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. इसके बाद परिजन महिला को बाइक से बलरामपुर अस्पताल पहुंचे, लेकिन अंदर प्रवेश नहीं मिला. जिससे महिला की गेट पर ही मौत हो गई. वहीं, लखनऊ में अभी भी ऑक्सीजन की किल्लत दूर नहीं हुई है. नादरगंज ऑक्सीजन प्लांट के बाहर एंबुलेंसों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं.
ऑक्सीजन न मिलने से हुई मौत
त्रिवेणी नगर की रहने वाली महिला (40) को रविवार को बुखार होने के बाद सांस लेने में तकलीफ हुई. तीमारदार साढ़े तीन बजे से 108 एंबुलेंस सेवा पर काॅल करते रहे लेकिन मदद नहीं मिली. इसके बाद परिजन मरीज की जान बचाने के लिए बाइक से बलरामपुर अस्पताल पहुंचे. लेकिन ऑक्सीजन न मिलने से महिला मरीज की सांसे बीच रास्ते में उखड़ गई.
नॉन कोविड मरीज होने के कारण भर्ती नहीं किया
बलरामपुर गेट पर गार्डों ने नाॅन कोविड मरीज होने की वजह से अंदर नहीं लिया. इस दौरान महिला बाइक से नीचे रोड पर गिर गई. यह नजारा देख वहां पर भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों ने सरकारी एंबुलेंस को दोबारा कॉल किया फिर भी एंबुलेंस नहीं मिली. इसके बाद निजी एंबुलेंस में ऑक्सीजन लगाकर महिला को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया. यहां इमरजेंसी में मौजूद डाॅक्टर ने ईसीजी करने बाद उसे मृत घोषित कर दिया.
एंबुलेंस कर्मियों को भी नहीं मिल रहा ऑक्सीजन सिलेंडर
राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए एंबुलेंस और लोग घंटों लाइन में लगे रहते हैं. इसके बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल पा रहा है. नादरगंज में परिहंत इंटरप्राइजेज सरोजनीनगर में बने ऑक्सीजन प्लांट के बाहर एंबुलेंस कर्मी ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए प्लांट घंटों खड़े रहे. इसके बाद प्लांट कर्मी ने उन्हें बिना ऑक्सीजन दिए ही वापस लौटा दिया. जिसकी वजह से जीवनदाई संस्था 108 और 102 एंबुलेंस में भी ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है.
ज्यादातर मरीजों को सांस की समस्या
बता दें कि सिविल अस्पताल की इमरजेंसी तक फुल हो चुकी है. यहां पर इस समय सांस की समस्या के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे है. करीब 70 फीसद तक मरीज सांस लेने की समस्या बता रहे हैं. ऐसे में सभी को इलाज देने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा यहां पर एक 20 बेड का अलग से वार्ड बनाया गया था. वो भी इस समय पूरी तरह फुल चल रहा है. ऐसे में अन्य मरीजों को भर्ती करने में दिक्कतें आ रही है. निदेशक डॉ. एससी सुंदि्रयाल ने बताया कि इमरजेंसी फुल चल रही है. इसके अलावा कई मरीज ऐसे हैं, जो पॉजिटिव भी है. जिसकी सूचना सीएमओ ऑफिस को भी दी जा चुकी है. लेकिन उनको कोविड अस्पताल में शिफ्ट करने में कई दिन लग जा रहे हैं.
दूसरों की जान बचाई, अब अपनी के लाले
राजधानी में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम करते हुए दूसरों की जान बचाने वाले कर्मचारी को अब अपनी जान बचाने के लिए बेड नहीं मिल पा रहा है. संबंधित कर्मचारी को बेड दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है. संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मी रितेश राज मिश्रा बिना अवकाश लिए हुए गोविंदपुरी तो के सैंपल कलेक्शन में दिन-रात लगे रहे. इस दौरान वे संक्रमण के शिकार हो गए. हालत बिगड़ने पर शनिवार की देर रात उन्हें लोक बंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत बिगड़ती जा रही है. इसलिए रितेश को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान अथवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कर इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाए.
यह भी पढ़ें-राज्यपाल ने जिलाधिकारियों को कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश
कई विभागों ने की थी रितेश के कार्यों की प्रशंसा
रितेश राज मिश्रा के कार्यों की प्रशंसा स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ यूनिसेफ,स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य मंत्री, भारतीय जनता पार्टी, जिला प्रशासन व अन्य कई संस्थाओं ने की थी उन्हें सम्मानित भी किया था. बावजूद इन कार्यों के अब उन्हें समुचित इलाज भी नहीं मुहैया हो पा रहा है.