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यूपी में अब कोरोना मरीजों की शुरू होगी फेलूदा जांच - काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च

उत्तर प्रदेश में कोरोना की जांच फेलूदा (एफईएलयूडीए) तकनीक से शुरू करने की तैयारी की जा रही है. यह विधि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की ओर से विकसित की गई है. जिसमें कम समय में रिजल्ट सामने आ जाता है.

प्रतिकात्मक चित्र.
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Published : May 27, 2021, 2:03 PM IST

लखनऊ: यूपी में कोरोना की जांच फेलूदा (एफईएलयूडीए) तकनीक से शुरू करने की तैयारी है. यह विधि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की ओर से विकसित की गई है. इसमें 40 मिनट से 1 घंटे के अंदर रिजल्ट मिल जाता है. जिसका रिजल्ट 98% तक सटीक पाया गया है और इसमें खर्च भी कम लगेगा.

एक घंटे में आएगा रिजल्ट
इस विधि से जांच प्रदेश के दो चिकित्सा संस्थानों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को इसके निर्देश दिए हैं. प्रदेश में कोरोना के लिए अभी केवल आरटी-पीसीआर, एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट किए जा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि फेलूदा जांच को राजधानी में केजीएमयू और लोहिया संस्थान में शुरू किया जा सकता है. दूसरे संस्थान पर अभी संशय है.

क्या है फेलूदा तकनीक ?
फेलूदा तकनीक भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर द्वारा विकसित कोरोना वायरस की जांच की सबसे नवीनतम तकनीक है. जिसका नाम सत्यजीत रे के मशहूर जासूसी चरित्र फेलूदा के नाम पर रखा गया है. इसमें वायरस के रायपुर न्यू क्रीम एसिड के नमूने नाक से प्राप्त किए जाते हैं फिर इसे एक अनुवांशिक सामग्री में परिवर्तित किया जाता है और अंत में वायरस को पेपर स्ट्रिप पर लगाया जाता है. यदि कोरोना पॉजिटिव है तो पेपर स्ट्रिप पर रेखाएं दिखाई देने लगती है. मात्रात्मक दृष्टि से यह तकनीक अधिक कारगर है.

क्यों है इसकी आवश्यकता
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पास वर्तमान समय में 135 सरकारी और 56 निजी प्रयोगशालाओं हैं. जिनसे प्रतिदिन 18,000 परीक्षण ही हो पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्सा विभाग को इस तकनीक की याद आई. सीएसआईआर के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह तकनीक सरल और जल्दी प्रणाम देने वाली है. इस तकनीक में परिणाम आने में 1 से डेढ़ घंटा ही लगते हैं. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की डॉ. शीतल वर्मा कहती हैं कि तकनीक कारगर बताई जा रही है. परीक्षण शुरू करने पर विचार चल रहा है. सरकार ने हरी झंडी दे दी है और जल्द ही परिणाम भी सामने आएंगे.

इसे भी पढ़ें- कोरोना को हराने के लिए काढ़ा और योग का सहारा, क्या कहते हैं आयुर्वेदिक चिकित्सक

लखनऊ: यूपी में कोरोना की जांच फेलूदा (एफईएलयूडीए) तकनीक से शुरू करने की तैयारी है. यह विधि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की ओर से विकसित की गई है. इसमें 40 मिनट से 1 घंटे के अंदर रिजल्ट मिल जाता है. जिसका रिजल्ट 98% तक सटीक पाया गया है और इसमें खर्च भी कम लगेगा.

एक घंटे में आएगा रिजल्ट
इस विधि से जांच प्रदेश के दो चिकित्सा संस्थानों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को इसके निर्देश दिए हैं. प्रदेश में कोरोना के लिए अभी केवल आरटी-पीसीआर, एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट किए जा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि फेलूदा जांच को राजधानी में केजीएमयू और लोहिया संस्थान में शुरू किया जा सकता है. दूसरे संस्थान पर अभी संशय है.

क्या है फेलूदा तकनीक ?
फेलूदा तकनीक भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर द्वारा विकसित कोरोना वायरस की जांच की सबसे नवीनतम तकनीक है. जिसका नाम सत्यजीत रे के मशहूर जासूसी चरित्र फेलूदा के नाम पर रखा गया है. इसमें वायरस के रायपुर न्यू क्रीम एसिड के नमूने नाक से प्राप्त किए जाते हैं फिर इसे एक अनुवांशिक सामग्री में परिवर्तित किया जाता है और अंत में वायरस को पेपर स्ट्रिप पर लगाया जाता है. यदि कोरोना पॉजिटिव है तो पेपर स्ट्रिप पर रेखाएं दिखाई देने लगती है. मात्रात्मक दृष्टि से यह तकनीक अधिक कारगर है.

क्यों है इसकी आवश्यकता
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पास वर्तमान समय में 135 सरकारी और 56 निजी प्रयोगशालाओं हैं. जिनसे प्रतिदिन 18,000 परीक्षण ही हो पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्सा विभाग को इस तकनीक की याद आई. सीएसआईआर के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह तकनीक सरल और जल्दी प्रणाम देने वाली है. इस तकनीक में परिणाम आने में 1 से डेढ़ घंटा ही लगते हैं. किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की डॉ. शीतल वर्मा कहती हैं कि तकनीक कारगर बताई जा रही है. परीक्षण शुरू करने पर विचार चल रहा है. सरकार ने हरी झंडी दे दी है और जल्द ही परिणाम भी सामने आएंगे.

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