लखनऊ: राजधानी में अल्लू नगर डूंगरिया सहित कई गांव के किसान धरने पर बैठे हैं. किसानों का कहना है कि 12 साल पहले उनकी जमीन एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) ने अधिग्रहित की थी, तब से न ही किसानों को कोई मुआवजा दिया गया है और न ही किसानों को उनकी जमीन बेचने का हक दिया गया है.
- किसानों ने बताया कि एलडीए ने उनसे वादा किया था कि उन्हें जमीन का सर्किल रेट के हिसाब से 4 गुना दाम दिया जाएगा.
- किसानों का कहना है 12 साल पहले एलडी ने जमीन अधिग्रहित की थी और अभी भी मुआवजा नहीं मिला है.
- किसानों का कहना है इस कारण से हमारे परिवार का पालन पोषण मुश्किल हो गया है.
- ऐसे में किसान न ही अपने बच्चों को पढ़ा पा रहे हैं और न ही खेती कर पा रहे हैं.
- पारिवारिक समस्याएं बढ़ रही हैं, जिसके चलते आज किसान धरने पर बैठे हैं.
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किसान देश में 70 फीसदी माने गए हैं, लेकिन किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए कुछ आला अधिकारी अभी भी नजर अंदाज कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार में किसानों के हित को लेकर तमाम वादे और बातें की गई थी, लेकिन किसान धरातल पर देखा जाए तो वाकई में परेशान दिखता है.
बाबा राम सेवक, किसान
अल्लू नगर देवरिया सहित दर्जनों गांव की संपत्ति को 15 साल पहले एलडीए ने अधिग्रहण किया था, जिसके बाद किसानों के अधिकारों में जमीन बेचना नहीं था. उस समय यह बात भी हुई थी कि सर्किल रेट का 4 गुना पैसा किसानों को दिया जाएगा, लेकिन अभी तक किसानों को नहीं कोई मुआवजा दिया गया है और न ही उनको अपनी जमीन बेचने का अधिकार दिया गया है.
उबैद अली, किसान
हमारी परेशानी अगर नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसे में किसान अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर पाएगां. हमारे घर परिवार में लोग लंबे समय से बीमार चल रहे हैं, जिसकी वजह एलडीए बन रहा है.
नईम अली, किसान