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सीवर सफाई के दौरान मजदूर की मृत्यु पर योगी सरकार परिजनों को देगी 30 लाख रुपये हर्जाना, आदेश जारी - सफाई कर्मचारी की मौत पर मुआवजा

यूपी में सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए योगी सरकार ने नए गाइडलाइन जारी की है. इसके अलावा सफाई को दौरान कर्मचारी की मृत्यु पर परिजनों को 30 लाख रुपये का हर्जाना देना ऐलान किया है. इस बाबत स्थानीय निकाय निदेशालय ने सभी नगर आयुक्तों, अधिशासी अधिकारियों और जल संस्थानों के महाप्रबंधकों को पत्र जारी कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 20, 2023, 5:16 PM IST

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार सीवर सफाई में लगे मजदूर की कार्य के दौरान में मृत्यु की दशा में 30 लाख रुपये उसके परिवारिजनों को देंगे. सरकार इस संबंध में अपने बनाए गए नए नियमों का पालन सख्ती से करेगी. उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय निदेशालय ने सभी नगर आयुक्तों, जलकल एवं जल संस्थान के महाप्रबंधकों एवं समस्त अधिशासी अधिकारियों को पत्र लिखकर सीवर एवं सेप्टिक टैंकों की सफाई में विभाग की ओर से पहले जारी की जा चुकी एसओपी का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है.

मैनुअल सफाई कार्य प्रतिबंधित : पत्र में उल्लेख किया गया है कि खतरनाक सफाई के दौरान अत्याधुनिक सफाई उपकरणो एवं आवश्यक उपस्करों का उपयोग किए बिना सफाई का कार्य नहीं किया जाएगा. निकाय स्तर पर सीवर, सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान किसी भी व्यक्ति से मैनुअल सफाई कार्य नहीं कराया जाना है और सफाई कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. 20 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले कर्मियों की सुरक्षा के संबंध में राज्यों को कड़ा आदेश दिया था. इसमें मैनुअल सफाई नहीं कराने के अलावा दुर्घटना में मृत्यु की स्थिति में 30 लाख रुपये के हर्जाने की भी बात कही गई थी.


मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पालन सुनिश्चित होगा : स्थानीय निकाय निदेशालय के निदेशक डॉ. नितिन बंसल द्वारा जारी आदेश के अनुसार सीवर, सेप्टिक टैंकों की सफाई को लेकर पहले भी विभाग द्वारा सभी निकायों को समय-समय पर एसओपी जारी की जाती रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में सभी नगर आयुक्तों, अधिशासी अधिकारियों और जल संस्थान के महाप्रबंधकों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने निकाय स्तर पर पूर्व में जारी एसओपी के समस्त बिंदुओं का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराएं तथा इस संबंध में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को भी निर्देशित करें.


असुरक्षित सफाई कराना कानूनी अपराध : पूर्व में जारी एसओपी के अनुसार किसी भी व्यक्ति को सीवर सफाई के लिए सीवर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. सीवर सफाई के लिए बिना समुचित सुरक्षा उपायों के सीवर में प्रवेश प्रतिबंधित है. सेप्टिक टैंक, सीवर की नियमित सफाई तथा अनुरक्षण, अधिकतम यंत्रीकरण, निर्धारित नियमों और मानक संचालन प्रक्रिया एवं सुरक्षा उपकरणों के साथ सुनिश्चित किया जाए. असुरक्षित सफाई कराना कानूनी अपराध है. एसओपी के मुताबिक सभी निकायों में सीवर लाइन सफाई एवं सेप्टिक टैंक, पिट की सफाई के लिए आईईसी गतिविधियां संचालित की जाएंगी. जिससे आमजन एवं सफाई कर्मचारियों को जागरूक किया जा सके. इसके अलावा एसओपी में पंजीकृत संस्थाओं, ठेकेदारों, फर्मों से कार्य करावाए जाने पर स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी तय की गई है. जबकि स्थानीय निकाय द्वारा सफाई प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने पर भी जिम्मेदारियां तय की गई हैं.


यह भी पढ़ें : लखनऊ के चिड़ियाघर में हिप्पो के हमले में एक कर्मचारी की मौत, बाड़े में गया था सफाई करने

लापरवाही : 3 घंटे तक सीवर में फंसे रहे सफाई कर्मचारी, 2 की मौत...

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार सीवर सफाई में लगे मजदूर की कार्य के दौरान में मृत्यु की दशा में 30 लाख रुपये उसके परिवारिजनों को देंगे. सरकार इस संबंध में अपने बनाए गए नए नियमों का पालन सख्ती से करेगी. उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय निदेशालय ने सभी नगर आयुक्तों, जलकल एवं जल संस्थान के महाप्रबंधकों एवं समस्त अधिशासी अधिकारियों को पत्र लिखकर सीवर एवं सेप्टिक टैंकों की सफाई में विभाग की ओर से पहले जारी की जा चुकी एसओपी का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है.

मैनुअल सफाई कार्य प्रतिबंधित : पत्र में उल्लेख किया गया है कि खतरनाक सफाई के दौरान अत्याधुनिक सफाई उपकरणो एवं आवश्यक उपस्करों का उपयोग किए बिना सफाई का कार्य नहीं किया जाएगा. निकाय स्तर पर सीवर, सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान किसी भी व्यक्ति से मैनुअल सफाई कार्य नहीं कराया जाना है और सफाई कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. 20 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले कर्मियों की सुरक्षा के संबंध में राज्यों को कड़ा आदेश दिया था. इसमें मैनुअल सफाई नहीं कराने के अलावा दुर्घटना में मृत्यु की स्थिति में 30 लाख रुपये के हर्जाने की भी बात कही गई थी.


मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पालन सुनिश्चित होगा : स्थानीय निकाय निदेशालय के निदेशक डॉ. नितिन बंसल द्वारा जारी आदेश के अनुसार सीवर, सेप्टिक टैंकों की सफाई को लेकर पहले भी विभाग द्वारा सभी निकायों को समय-समय पर एसओपी जारी की जाती रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में सभी नगर आयुक्तों, अधिशासी अधिकारियों और जल संस्थान के महाप्रबंधकों को निर्देशित किया गया है कि वह अपने निकाय स्तर पर पूर्व में जारी एसओपी के समस्त बिंदुओं का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित कराएं तथा इस संबंध में संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को भी निर्देशित करें.


असुरक्षित सफाई कराना कानूनी अपराध : पूर्व में जारी एसओपी के अनुसार किसी भी व्यक्ति को सीवर सफाई के लिए सीवर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. सीवर सफाई के लिए बिना समुचित सुरक्षा उपायों के सीवर में प्रवेश प्रतिबंधित है. सेप्टिक टैंक, सीवर की नियमित सफाई तथा अनुरक्षण, अधिकतम यंत्रीकरण, निर्धारित नियमों और मानक संचालन प्रक्रिया एवं सुरक्षा उपकरणों के साथ सुनिश्चित किया जाए. असुरक्षित सफाई कराना कानूनी अपराध है. एसओपी के मुताबिक सभी निकायों में सीवर लाइन सफाई एवं सेप्टिक टैंक, पिट की सफाई के लिए आईईसी गतिविधियां संचालित की जाएंगी. जिससे आमजन एवं सफाई कर्मचारियों को जागरूक किया जा सके. इसके अलावा एसओपी में पंजीकृत संस्थाओं, ठेकेदारों, फर्मों से कार्य करावाए जाने पर स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी तय की गई है. जबकि स्थानीय निकाय द्वारा सफाई प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने पर भी जिम्मेदारियां तय की गई हैं.


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