लखनऊ : कोविड का असर इस बार श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक साफ नजर आ रहा है. लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए कब्रिस्तान और श्मशान घाटों पर लंबी लाइन लगानी पड़ रही है. संक्रमण से मौत होने के बाद, डर के मारे आसपास के लोग भी सहयोग करना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. हाल यह है कि कई लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार कराने के लिए किराए पर लोगों को मंगवाना पड़ रहा है.
अंतिम संस्कार के लिए किराए पर बुलाए जा रहे लोग
राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि श्मशान घाट और कब्रिस्तान पर लोगों को अंत्येष्टि और दफन करने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगानी पड़ रही हैं. जिन श्मशान घाटों पर जनवरी और फरवरी के महीने में 10 से 15 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया जाता था, उन्हीं श्मशान घाटों पर अप्रैल और मई के महीने में 150 से लेकर 250 तक डेड बॉडी का अंतिम संस्कार हो रहा है.
खत्म हो गए रिश्ते-नाते
अंत्येष्टि का सामान बेचने वाले राजकुमार ने बताया कि संक्रमण काल में सारे-रिश्ते नाते खत्म हो गए हैं. कई लोग यहां ऐसे आए जिनके रिश्तेदार नातेदार बहुत हैं, पर कोई भी डेड बॉडी को हाथ लगाने को तैयार नहीं हुआ. जिसके कारण किराए के लोगों की सहायता लेनी पड़ रही है.
दोगुना तक वसूला गया किराया
डेड बॉडी की गाड़ी चलाने वाले राहुल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि बहुत खराब समय था. जिसके घर में मौत होती थी, कोई सामने नहीं आता था और ना ही डेड बॉडी को हाथ लगाता था. ऐसे में हम लोग जहां नॉर्मल दिनों में 1500 रुपए किराया वसूलते थे, वहीं संक्रमण के समय डेड बॉडी को ढोने के लिए 2500 से 3500 रु. तक का किराया वसूले. राहुल ने बताया कि बड़ी संख्या में एंबुलेंस चालकों ने इस विपदा के समय 10 से 15 हजार रु. तक का किराया वसूला जो कि दुखद है. हालांकि बाद में जिलाधिकारी ने 10 किलोमीटर तक के लिए 1000 का किराया निर्धारित कर दिया.
किराए पर मिलता है डेड बॉडी फ्रीजर
राजधानी में लगातार जिस तरह से मौतें हुईं, ऐसे में ज्यादा समय तक डेड बॉडी रखे रहने से दुर्गंध आने लगती है. जिसके लिए डेड बॉडी को डीप फ्रीजर में रखने की जरूरत पड़ती है. इसी को ध्यान में रखते हुए डालीगंज पुल पर दुकानदारों ने डीप फ्रीजर भी रखा हुआ है, जिसका 24 घंटे का किराया ₹1000 है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डीप फ्रीजर रखने वाले शनि ने बताया कि वैसे तो इस डीप फ्रीजर को मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारे द्वारा संचालित किया जाता है. इसका 1000 शुल्क निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही 2 लड़कों को भेजा जाता है जो फ्रीजर को सेट करके आते हैं.
जिलाधिकारी ने निर्धारित की एंबुलेंस की दरें
संक्रमण काल में जब एंबुलेंस चालकों ने लोगों से मनमाना किराया वसूलना शुरू किया, तो इसकी शिकायत राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी से हुई. इसके बाद जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने एंबुलेंस की दरें निर्धारित कर दी. ऑक्सीजन रहित एंबुलेंस की 10 किलोमीटर की दर 1000 कर दी. उसके बाद प्रति किलोमीटर 100 के हिसाब से जबकि ऑक्सीजन सहित एंबुलेंस की कीमत 10 किलोमीटर के लिए 1500 जबकि वेंटीलेटर सपोर्टेड एंबुलेंस की दर 10 किलोमीटर के लिए 2500 रुपए निर्धारित कर दी. इसके साथ ही लोगों की सुविधा के लिए 9454405155 नामक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया. यदि कोई भी एंबुलेंस चालक निर्धारित दर से अधिक वसूलता है तो इस नंबर पर उसकी शिकायत की जा सकती है.
क्या कहते हैं नगर आयुक्त
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि निश्चित रूप से अप्रैल के महीने में बड़ी संख्या में डेड बॉडी श्मशान घाटों पर आ रही थीं, इसके कारण दिक्कतें जरूर हुईं. यही कारण है कि राजधानी के भैसा कुंड श्मशान घाट पर 90 से अधिक डेड बॉडी के लिए प्लेटफार्म बनवाए गए, ताकि लाइन ना लगानी पड़े. यदि लकड़ियों की बात की जाए तो सीतापुर और बलिया से 30 ट्रक लकड़िया भी मंगाई गईं. नगर आयुक्त द्विवेदी का कहना है कि वर्तमान समय में हालात सामान्य हो रहे हैं और जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जाएगी.
कब्रिस्तान पर भी कम हुई संख्या
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कब्रिस्तान के मौलाना अब्दुल मतीन ने बताया कि जहां अप्रैल के महीने में राजधानी के कब्रिस्तान में 60 से 70 डेड बॉडी को दफनाया जाता था. वहीं अब यह संख्या काफी कम हो गई है. अब यह संख्या प्रतिदिन सात-आठ लोगों की ही रह गई है. ऐसे में यह शुभ संकेत हैं.
सामान्य दिनों में 350 से 400 मृत्यु प्रमाण पत्र होता था जारी
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि सामान्य दिनों में प्रतिदिन 10 से 15 मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं. ऐसे में महीने भर में यह संख्या 360 से लेकर 400 तक ही पहुंचती है. पर कोविड-19 संक्रमण के बाद से इस संख्या में भारी इजाफा हुआ है. यही कारण है कि प्रतिदिन 150 से लेकर 200 तक आवेदन आ रहे हैं.
'छुपाया जा रहा है डाटा'
राजधानी लखनऊ में जबसे संक्रमण तेजी से बढ़ने लगा, उसके बाद से सरकारी आंकड़े छुपाए जाने लगे. जहां स्वास्थ्य विभाग संक्रमण से प्रतिदिन 20 से 25 मौतों का दावा करता था, वहीं राजधानी के यदि श्मशान घाटों की बात की जाए तो भैसा कुंड व गुलाला घाट पर 150 से लेकर 250 तक प्रतिदिन डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया जाता है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से राजधानी में संक्रमण फैला हुआ है.
13 अप्रैल से 30 अप्रैल तक का डाटा
राजधानी लखनऊ में लगातार हो रही मौतों पर यदि सरकारी आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 13 अप्रैल को सरकारी आंकड़ों में 18 लोगों की मौत बताई जाती है, जबकि श्मशान घाटों पर 173 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया गया था. वहीं 14 अप्रैल को सरकारी आंकड़ों में 14 लोगों की मौत बताई जाती है, जबकि श्मशान घाट पर 166 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया गया था.
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
- 15 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 26 मौत, श्मशान में 108 डेड बॉडी.
- 16 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 35 मौत, श्मशान घाट पर 110 डेड बॉडी.
- 17 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 36 मौत, श्मशान घाट पर 147 डेड बॉडी.
- 18 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 22 मौत, श्मशान घाट पर 151 डेड बॉडी.
- 19 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 22 मौत, श्मशान घाट पर 126 डेड बॉडी.
- 20 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 19 मौत, श्मशान घाट पर 150 डेड बॉडी.
- 21 अप्रैल- सरकारी आंकड़ों में एक की मौत, श्मशान घाट पर 143 डेड बॉडी.
- 22 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 19 मौत, श्मशान घाट पर 158 डेड बॉडी.
- 23 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 14 मौत, श्मशान घाट पर 200 से अधिक डेड बॉड.
- 24 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 42 मौत, श्मशान घाट पर 150 डेड बॉडी.
- 25 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 14 मई श्मशान घाट पर 150 डेड बॉडी.
- 26 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 21 की मौत, श्मशान घाट पर 160 डेड बॉडी.
- 27 अप्रैल- सरकारी आंकड़े में 39 मौत, श्मशान घाट पर 155 से अधिक डेड बॉडी.
- 28 अप्रैल को सरकारी आंकड़े में 13 मौत, श्मशान घाटों पर 209 डेड बॉडी.
- 29 अप्रैल को सरकारी आंकड़ों में 37 मौत, श्मशान घाटों पर 220 डेड बॉडी.
- 30 अप्रैल को सरकारी आंकड़ों में 37 मौत, भैंसा कुंड और गुलाला घाट पर 190 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया गया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी आंकड़े और जमीनी हकीकत में कितना अंतर है.
लखनऊ नगर निगम ने मार्च और अप्रैल के महीनों का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है, जिसकी संख्या लगभग 5000 से अधिक है.
1 मार्च से लेकर 30 अप्रैल तक जारी मृत्यु प्रमाण पत्रों की संख्या
जोन | मार्च महीने में जारी मृत्यु प्रमाण पत्र | अप्रैल महीने में जारी मृत्यु प्रमाण पत्र |
1 | 178 | 197 |
2 | 192 | 337 |
3 | 298 | 366 |
4 | 196 | 499 |
5 | 160 | 293 |
6 | 459 | 900 |
7 | 183 | 300 |
8 | 126 | 306 |
कुल योग | 1792 मार्च में | 3198 अप्रैल में |
देश भर में फैले कोरोना संक्रमण ने लोगों को बहुत भारी क्षति पहुंचाई है. यही कारण है कि इस बार लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को अपने परिजनों के खोने के बाद भी, जहां अंतिम संस्कार करने के लिए शमशान घाटों से लेकर कब्रिस्तान तक लंबी-लंबी लाइनों में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. साथ ही लोगों को किराए पर आदमी भी बुलाने पड़ रहे हैं.