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प्रयागराज से फर्जी शिक्षा बोर्ड का रैकेट संचालन, जानिए कैसे बेची जा रही फर्जी मार्कशीट

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Published : Sep 21, 2021, 8:06 PM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से फर्जी शिक्षा बोर्ड का रैकेट चल रहा है. यहां हाईस्कूल या इंटरमीडिएट से लेकर स्नातक और परास्तानतक तक की डिग्रियां बेची जा रही हैं. लखनऊ में बीते शनिवार को फर्जी मार्कशीट का धंधा करने वाले जालसाजों की गिरफ्तारी के बाद यह सच सामने आया है.

फर्जी शिक्षा बोर्ड.
फर्जी शिक्षा बोर्ड.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से फर्जी शिक्षा बोर्ड का रैकेट चल रहा है. यहां हाईस्कूल, इंटरमीडिएट से लेकर स्नातक और परास्तानतक तक की डिग्रियां बेची जा रही हैं. लखनऊ चिनहट इलाके में बीते शनिवार को फर्जी मार्कशीट का धंधा करने वाले जालसाजों की गिरफ्तारी के बाद यह सच सामने आया है. यह जालसाज उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद के नाम पर फर्जी डिग्रियां बांटने का धंधा कर रहे थे.


ETV BHARAT ने जब इसकी पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. पड़ताल में सामने आया कि जिस शिक्षा बोर्ड 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम पर यह जालसाज डिग्री और मार्कशीट बांट रहे थे वह खुद फर्जी है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडे ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक राज्य स्तरीय ओपन स्कूलिंग की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम से किसी भी वैध संस्था का संचालन नहीं किया जा रहा है.

2017 में हुई इस फर्जी बोर्ड की शुरुआत
फरवरी 2018 में एसटीएफ ने 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम पर फर्जी बोर्ड बनाकर लोगों को ठगने वाले गिरोह की गिरफ्तारी की थी. एसटीएफ ने इसके संचालक राजमन गौड़ समेत 7 सदस्यों की गिरफ्तारी की. पूछताछ के दौरान वर्ष 2017 में लखनऊ के फरीदीनगर इलाके से 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम से इस फर्जी शिक्षा बोर्ड की शुरुआत किए जाने का खुलासा हुआ था. पड़ताल में सामने आया कि इस फर्जी बोर्ड के नाम पर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन जैसी मार्कशीट बांटी जा रही थी. जानकारों की मानें तो एसटीएफ की इस कार्रवाई के बाद से जालसाजों ने लखनऊ छोड़ दिया. इस समय प्रयागराज को अपना बेस बनाया हुआ है. यहां से अब यह फर्जी मार्कशीट के रैकेट को देशभर में फैलाने में लगे हैं.


ऐसे करते हैं गुमराह
इन जालसाजों के निशाने पर ग्रामीण इलाके के लोग हैं, जो परीक्षा में पास होने या डिग्री के लिए कीमत देने को तैयार रहते हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे परिवार हैं, जिन्हें कम पढ़े-लिखे अपनी बेटी या बेटे की शादी के लिए मार्कशीट की जरूरत होती है. कुछ ऐसे भी हैं, जो पास नहीं हो पा रहे हैं, उन्हें यह जालसाज गुमराह करते हैं. इस फर्जी बोर्ड के नाम पर दो वेबसाइट www.upsosb.ac.in और www.upsosp.org.in बनाई गई हैं. इसके माध्यम से यह पूरा धंधा चल रहा है.


यह है फर्जी मार्कशीट की कीमत
इस फर्जी बोर्ड की वेबसाइट www.upsosb.ac.in की जब पड़ताल की गई तो कई चौंकाने वाले सच सामने आए हैं. सबसे पहली बात इसका संचालन प्रयागराज के शांतिपुरम फाफामऊ कोल्ड स्टोरेज के पास किया जा रहा है. फर्जी शिक्षा बोर्ड में हाईस्कूल की मार्कशीट 8 से 10 हजार रुपये में बिक रही है. वहीं, इंटरमीडिएट की मार्कशीट के लिए 10 से 15 हजार रुपये लिए जा रहे हैं. इनका नेटवर्क इतना फैला हुआ है कि शिक्षा विभाग के कई आला अधिकारी भी इससे जुड़े हुए हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से फर्जी शिक्षा बोर्ड का रैकेट चल रहा है. यहां हाईस्कूल, इंटरमीडिएट से लेकर स्नातक और परास्तानतक तक की डिग्रियां बेची जा रही हैं. लखनऊ चिनहट इलाके में बीते शनिवार को फर्जी मार्कशीट का धंधा करने वाले जालसाजों की गिरफ्तारी के बाद यह सच सामने आया है. यह जालसाज उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद के नाम पर फर्जी डिग्रियां बांटने का धंधा कर रहे थे.


ETV BHARAT ने जब इसकी पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. पड़ताल में सामने आया कि जिस शिक्षा बोर्ड 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम पर यह जालसाज डिग्री और मार्कशीट बांट रहे थे वह खुद फर्जी है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार पांडे ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक राज्य स्तरीय ओपन स्कूलिंग की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम से किसी भी वैध संस्था का संचालन नहीं किया जा रहा है.

2017 में हुई इस फर्जी बोर्ड की शुरुआत
फरवरी 2018 में एसटीएफ ने 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम पर फर्जी बोर्ड बनाकर लोगों को ठगने वाले गिरोह की गिरफ्तारी की थी. एसटीएफ ने इसके संचालक राजमन गौड़ समेत 7 सदस्यों की गिरफ्तारी की. पूछताछ के दौरान वर्ष 2017 में लखनऊ के फरीदीनगर इलाके से 'उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद' के नाम से इस फर्जी शिक्षा बोर्ड की शुरुआत किए जाने का खुलासा हुआ था. पड़ताल में सामने आया कि इस फर्जी बोर्ड के नाम पर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन जैसी मार्कशीट बांटी जा रही थी. जानकारों की मानें तो एसटीएफ की इस कार्रवाई के बाद से जालसाजों ने लखनऊ छोड़ दिया. इस समय प्रयागराज को अपना बेस बनाया हुआ है. यहां से अब यह फर्जी मार्कशीट के रैकेट को देशभर में फैलाने में लगे हैं.


ऐसे करते हैं गुमराह
इन जालसाजों के निशाने पर ग्रामीण इलाके के लोग हैं, जो परीक्षा में पास होने या डिग्री के लिए कीमत देने को तैयार रहते हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉ. आरपी मिश्रा कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे परिवार हैं, जिन्हें कम पढ़े-लिखे अपनी बेटी या बेटे की शादी के लिए मार्कशीट की जरूरत होती है. कुछ ऐसे भी हैं, जो पास नहीं हो पा रहे हैं, उन्हें यह जालसाज गुमराह करते हैं. इस फर्जी बोर्ड के नाम पर दो वेबसाइट www.upsosb.ac.in और www.upsosp.org.in बनाई गई हैं. इसके माध्यम से यह पूरा धंधा चल रहा है.


यह है फर्जी मार्कशीट की कीमत
इस फर्जी बोर्ड की वेबसाइट www.upsosb.ac.in की जब पड़ताल की गई तो कई चौंकाने वाले सच सामने आए हैं. सबसे पहली बात इसका संचालन प्रयागराज के शांतिपुरम फाफामऊ कोल्ड स्टोरेज के पास किया जा रहा है. फर्जी शिक्षा बोर्ड में हाईस्कूल की मार्कशीट 8 से 10 हजार रुपये में बिक रही है. वहीं, इंटरमीडिएट की मार्कशीट के लिए 10 से 15 हजार रुपये लिए जा रहे हैं. इनका नेटवर्क इतना फैला हुआ है कि शिक्षा विभाग के कई आला अधिकारी भी इससे जुड़े हुए हैं.

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