लखनऊ: केजीएमयू में हो रही लगातार गड़बड़ियों और लगातार शिकायत मिलने के बाद, अब शासन ने सख्ती का रुख अपना लिया है. पिछले वर्षों में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के द्वारा की गई शिकायतों के बाद अब केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट के खिलाफ शिकायतों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त होने जा रहा है. उनके कार्यकाल के दौरान कई तरह की अनियमितताएं देखने को मिलीं थी और उन पर कई तरह के गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं. यह शिकायतें जब राज्यपाल, मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा मंत्री के बाद प्रधानमंत्री तक पहुंची, तो इन लंबित शिकायतों पर अचानक शासन सख्त हो गया.
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प्रोफेसर एमएलबी भट्ट पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. जिनकी शिकायत जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता व कुछ पदाधिकारियों ने की है. इन गम्भीर आरोपों में प्रोफेसर भट्ट पर उप चिकित्सा अधीक्षक पद पर मनमानी तैनाती के लिए विज्ञापन में फेरबदल करने, मन पसंदीदा सेवानिवृत्त कर्मियों को ओएसडी और पीएस बनाकर मनमाना मानदेय देने, सहित कई गंभीर आरोप लगे हैं.
इनके ऊपर फार्मेसी पेपर लीक के आरोपी डॉक्टर को विजिलेंस ऑफिसर बनाने, कार्यकाल के दौरान रेजिडेंट भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने, जूनियर डॉक्टरों की भर्ती में आरक्षण नियमों की अवहेलना के साथ सीएम, पीएम, बीपीएल फंड के मरीजों की दवा इंप्लांट, स्टंट आदि के खरीद में खेल करने, ऑनलाइन रसीद में फर्जीवाड़ा कर बड़े घपले के आरोप लगे हैं.
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इसके अलावा अपने पद का दुरुपयोग कर चहेते डॉक्टरों के व्यक्तिगत मुकदमों का खर्च संस्थान से पास करने के साथ डॉक्टरों पर कार्रवाई के मनमाने फैसले लेने के भी आरोप प्रोफेसर भट्ट पर लगे हुए हैं. इस पूरे मामले पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, रजनीश दुबे ने जांच संबंधी आदेश जारी करने के साथ केजीएमयू के कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी, वित्त अधिकारी मोहम्मद जमा को भी संबंधित प्रकरणों पर जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए हैं. साथ ही 15 दिन में कमेटी से इसकी रिपोर्ट भी मांगी है.