ETV Bharat / state

कोरोना काल में बढ़ी वेंटिलेटर की सुविधा, जानिए कहां कितने वेंटिलेटर

कोरोना काल से पहले राजधानी लखनऊ में मरीजों की अपेक्षा काफी कम संख्या में वेंटिलेटर थे. ऐसे में वेंटिलेटर पाने के लिए लोग आला अधिकारियों सहित राजनेताओं के चक्कर लगाते थे, लेकिन वेंटिलेटर न होने के चलते मरीजों को निराशा ही हाथ लगती थी. हालांकि, अब राजधानी लखनऊ में कुछ स्थिति सुधरी है और संक्रमण काल में राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में 512 वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए हैं.

लखनऊ में बढ़ी वेंटिलेटर की सुविधा
लखनऊ में बढ़ी वेंटिलेटर की सुविधा
author img

By

Published : Feb 1, 2021, 8:46 PM IST

लखनऊ: कोरोना वायरस संक्रमण से अभी भी जंग जारी है. कोरोना वायरस के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. प्रदेश में संक्रमण के साथ जंग एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के दौरान जहां इस बीमारी ने परेशान किया वहीं अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई. इसके बावजूद भी संक्रमण काल में राजधानी लखनऊ में स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर किया गया.

क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में लखनऊ में हुआ बेहतर विकास
कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर रूप से विकसित किया गया है. राजधानी लखनऊ में पीजीआई, केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया संस्थान जैसे अस्पतालों में क्रिटिकल केयर यूनिट है, जहां पर वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध रहती है. इन अस्पतालों में हमेशा वेंटिलेटर पर मरीज रहते है. कोरोना वायरस के शुरुआती दौर में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वेंटिलेटर की काफी कमी थी. वेंटिलेटर के लिए लोगों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. कई बार तो वेंटिलेटर के अभाव में लोगों की जान चली जाती थी. कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वेंटिलेटर की कमी को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए गए. मरीजों की अपेक्षा काफी कम संख्या में वेंटिलेटर थे हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान तीनों अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या में इजाफा किया गया.

पीजीआई में बढ़े 80 वेंटिलेटर
राजधानी लखनऊ स्थित पीजीआई हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की काफी मारामार रहती है. कोविड-19 से पहले पीजीआई में 205 वेंटिलेटर थे. संक्रमण के बाद पीजीआई में 80 वेंटिलेटर बढ़े हैं जो वर्तमान में काम कर रहे हैं. इन 80 वेंटिलेटर में 70 वेंटिलेटर केंद्र सरकार ने पीजीआई को मुफ्त में उपलब्ध कराए थे, वहीं 10 वेंटिलेटर राज्य सरकार की ओर से पीजीआई को उपलब्ध कराए गए हैं. पीजीआई के सीएमएस अमित अग्रवाल ने बताया कि वेंटीलेटर की रिक्वायरमेंट बनी रहती है ऐसे में बढ़े हुए वेंटिलेटर मरीजों के लिए सुविधाजनक साबित होंगे.

लोहिया संस्थान को मिले 182 नए वेंटिलेटर
राजधानी लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया संस्थान में भी बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर की संख्या में इजाफा किया गया है. राम मनोहर लोहिया संस्थान में कोरोनावायरस से पहले मात्र 64 वेंटिलेटर मौजूद थे. कई बार मरीज को समय से वेंटिलेटर न मिल पाने के चलते लोगों की जान चली जाती थी. कोरोनावायरस के दौरान केजीएमयू में 182 नए वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए. वर्तमान में आरएमएल में 246 वेंटिलेटर मौजूद हैं. आरएमएल के डायरेक्टर एके सिंह ने बताया कि क्रिटिकल केयर यूनिट में वेंटीलेटर की संख्या बढ़ाई गई है. कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान बड़ी संख्या में अस्पताल को वेंटिलेटर मिले हैं.

केजीएमयू में बढ़ाए गए सबसे ज्यादा वेंटिलेटर
राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कोरोनावायरस के दौरान सबसे ज्यादा वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं. बताते चलें केजीएमयू पर क्रिटिकल केयर के लिए काफी दबाव रहता है. उत्तर प्रदेश से नहीं अन्य प्रदेशों से भी लोग इलाज कराने के लिए केजीएमयू पहुंचते हैं. ऐसे में वेंटिलेटर की कमी के चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि, संक्रमण के दौरान केजीएमयू में बड़ी संख्या में वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं. संक्रमण से पहले केजीएमयू में 225 वेंटिलेटर थे जिनकी संख्या को बढ़ाकर 575 किया गया है. यानी कि संक्रमण के दौरान केजीएमयू में 250 नए वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए हैं. क्रिटिकल केयर यूनिट के प्रभारी डॉ वेद का कहना है कि केजीएमयू में वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाई गई है. इससे क्रिटिकल केयर यूनिट में गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.

राजधानी लखनऊ में सबसे बड़ी समस्या थी वेंटिलेटर की कमी
भले ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ मेडिकल हब के तौर पर उभर कर सामने आई हो, लेकिन 1 साल पहले तक लखनऊ में वेंटिलेटर की कमी के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. वेंटिलेटर की कमी के चलते कई बार लोगों की जान चली जाती थी. राजधानी लखनऊ में मरीजों की अपेक्षा काफी कम संख्या में वेंटिलेटर थे. ऐसे में वेंटिलेटर पाने के लिए लोग आला अधिकारियों सहित राजनेताओं के चक्कर लगाते थे, लेकिन वेंटिलेटर न होने के चलते मरीजों को निराशा ही हाथ लगती थी. हालांकि, अब राजधानी लखनऊ में कुछ स्थिति सुधरी है और संक्रमण काल में राजधानी लखनऊ में 512 वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए है.

लखनऊ: कोरोना वायरस संक्रमण से अभी भी जंग जारी है. कोरोना वायरस के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. प्रदेश में संक्रमण के साथ जंग एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के दौरान जहां इस बीमारी ने परेशान किया वहीं अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई. इसके बावजूद भी संक्रमण काल में राजधानी लखनऊ में स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर किया गया.

क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में लखनऊ में हुआ बेहतर विकास
कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर रूप से विकसित किया गया है. राजधानी लखनऊ में पीजीआई, केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया संस्थान जैसे अस्पतालों में क्रिटिकल केयर यूनिट है, जहां पर वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध रहती है. इन अस्पतालों में हमेशा वेंटिलेटर पर मरीज रहते है. कोरोना वायरस के शुरुआती दौर में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वेंटिलेटर की काफी कमी थी. वेंटिलेटर के लिए लोगों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. कई बार तो वेंटिलेटर के अभाव में लोगों की जान चली जाती थी. कोरोना संक्रमण के दौरान प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वेंटिलेटर की कमी को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए गए. मरीजों की अपेक्षा काफी कम संख्या में वेंटिलेटर थे हालांकि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान तीनों अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या में इजाफा किया गया.

पीजीआई में बढ़े 80 वेंटिलेटर
राजधानी लखनऊ स्थित पीजीआई हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की काफी मारामार रहती है. कोविड-19 से पहले पीजीआई में 205 वेंटिलेटर थे. संक्रमण के बाद पीजीआई में 80 वेंटिलेटर बढ़े हैं जो वर्तमान में काम कर रहे हैं. इन 80 वेंटिलेटर में 70 वेंटिलेटर केंद्र सरकार ने पीजीआई को मुफ्त में उपलब्ध कराए थे, वहीं 10 वेंटिलेटर राज्य सरकार की ओर से पीजीआई को उपलब्ध कराए गए हैं. पीजीआई के सीएमएस अमित अग्रवाल ने बताया कि वेंटीलेटर की रिक्वायरमेंट बनी रहती है ऐसे में बढ़े हुए वेंटिलेटर मरीजों के लिए सुविधाजनक साबित होंगे.

लोहिया संस्थान को मिले 182 नए वेंटिलेटर
राजधानी लखनऊ स्थित राम मनोहर लोहिया संस्थान में भी बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर की संख्या में इजाफा किया गया है. राम मनोहर लोहिया संस्थान में कोरोनावायरस से पहले मात्र 64 वेंटिलेटर मौजूद थे. कई बार मरीज को समय से वेंटिलेटर न मिल पाने के चलते लोगों की जान चली जाती थी. कोरोनावायरस के दौरान केजीएमयू में 182 नए वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए. वर्तमान में आरएमएल में 246 वेंटिलेटर मौजूद हैं. आरएमएल के डायरेक्टर एके सिंह ने बताया कि क्रिटिकल केयर यूनिट में वेंटीलेटर की संख्या बढ़ाई गई है. कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान बड़ी संख्या में अस्पताल को वेंटिलेटर मिले हैं.

केजीएमयू में बढ़ाए गए सबसे ज्यादा वेंटिलेटर
राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में कोरोनावायरस के दौरान सबसे ज्यादा वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं. बताते चलें केजीएमयू पर क्रिटिकल केयर के लिए काफी दबाव रहता है. उत्तर प्रदेश से नहीं अन्य प्रदेशों से भी लोग इलाज कराने के लिए केजीएमयू पहुंचते हैं. ऐसे में वेंटिलेटर की कमी के चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि, संक्रमण के दौरान केजीएमयू में बड़ी संख्या में वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं. संक्रमण से पहले केजीएमयू में 225 वेंटिलेटर थे जिनकी संख्या को बढ़ाकर 575 किया गया है. यानी कि संक्रमण के दौरान केजीएमयू में 250 नए वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए हैं. क्रिटिकल केयर यूनिट के प्रभारी डॉ वेद का कहना है कि केजीएमयू में वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाई गई है. इससे क्रिटिकल केयर यूनिट में गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.

राजधानी लखनऊ में सबसे बड़ी समस्या थी वेंटिलेटर की कमी
भले ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ मेडिकल हब के तौर पर उभर कर सामने आई हो, लेकिन 1 साल पहले तक लखनऊ में वेंटिलेटर की कमी के चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. वेंटिलेटर की कमी के चलते कई बार लोगों की जान चली जाती थी. राजधानी लखनऊ में मरीजों की अपेक्षा काफी कम संख्या में वेंटिलेटर थे. ऐसे में वेंटिलेटर पाने के लिए लोग आला अधिकारियों सहित राजनेताओं के चक्कर लगाते थे, लेकिन वेंटिलेटर न होने के चलते मरीजों को निराशा ही हाथ लगती थी. हालांकि, अब राजधानी लखनऊ में कुछ स्थिति सुधरी है और संक्रमण काल में राजधानी लखनऊ में 512 वेंटिलेटर इंस्टॉल किए गए है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.