लखनऊ: सीबीआई की विशेष जज कविता मिश्रा ने विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाहों को सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराने पर गहरी नाराजगी जताते हुए सम्बंधित उच्चाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि पूर्व में ही गवाहों को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजा जा चुका है, बावजूद इसके सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराया गया. कोर्ट ने इसके साथ ही राजू पाल की पत्नी पूजा पाल की सुरक्षा के लिए दी गई अर्जी को भी मंजूर करते हुए अगली सुनवाई के लिए 17 मार्च की तारीख नियत की है.
सोमवार को विशेष अदालत के समक्ष सुरक्षा के अभाव में इस मामले का एक गवाह उपस्थित नहीं हो सका. अभियोजन की ओर से कहा गया कि समुचित सुरक्षा के आभाव में गवाह उपस्थित नहीं हो सका है. सुनवाई के दौरान पूजा पाल की ओर से उनके अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने भी एक अर्जी दाखिल की. कहा गया कि पूजा पाल इस मामले की लगातार पैरवी कर रही हैं. लिहाजा इस मामले के अभियुक्तों से उनकी और उनके परिवार को जानमाल का खतरा बना हुआ है. अभियुक्तों का लंबा गंभीर आपराधिक इतिहास है. अर्जी में अभी हाल ही में प्रयागराज में उमेश पाल की दिन-दहाड़े हुई हत्या का हवाला भी दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने इस बहुचर्चित हत्याकांड मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. इस मामले में अतीक अहमद और उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ समेत आठ अभियुक्त पर आरोप तय हुआ था. सीबीआई ने हत्या, हत्या का प्रयास और हत्या की साजिश रचना और आईपीसी की अन्य धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया था.
25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी से बसपा विधायक राजू पाल की दिन-दहाड़े गोलीबारी में हत्या कर दी गई थी. इस गोलीबारी में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हुई थी. जबकि दो लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे. इस बहुचर्चित हत्याकांड से ठीक 16 दिन पहले विधायक राजू पाल की पुजा पाल से शादी हुई थी. पुजा पाल ने थाना धुमनगंज में इस हत्या की एफआईआर दर्ज कराते हुए अतीक और उसके भाई अशरफ उर्फ खालिद अजीम को नामजद किया था.
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