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महिला आयोग की अध्यक्ष बोलीं- कोरोना काल के बाद घरेलू हिंसा में आई कमी

महिलाओं को प्रोत्साहित करने एवं स्वाबलंबी बनाने के लिए लखनऊ में बुधवार को कौशल विकास योजना पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

महिलाओं के लिए कौशल विकास योजना
महिलाओं के लिए कौशल विकास योजना
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Published : Oct 27, 2021, 9:32 PM IST

लखनऊ : राजधानी में बुधवार को कौशल विकास योजना विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम व कौशल विकास मिशन के उप निदेशक राम कुमार मौजूद रहें. इस मौके पर विमला बाथम ने कौशल विकास एवं महिलाओं के जुड़े मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत में विमला बाथम ने कहा कि महिलाओं के लिए कौशल विकास योजना बहुत ही लाभकारी है.

इस योजना के तहत शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं सशक्त, स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर हो सकती हैं. सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं कौशल विकास योजना के तहत तमाम प्रशिक्षण कार्य चल रहे है. इसके तहत महिलाएं आसानी से रोजगार पा सकती हैं. आयोग के अध्यक्ष विमला बाथम ने बताया कि कौशल विकास योजना के तहत कई प्रकार के कई कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसमें सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, ब्यूटीशियन, अचार बनाना आदि शामिल हैं.

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम से खास बातचीत

इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओ को कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, फूड प्रोसेसिंग, फर्नीचर फिटिंग, हैंडीक्रॉफ्ट, ज्वैलरी, लेदर टेक्नोलॉजी जैसे करीब 40 क्षेत्रों में तकनीकि शिक्षा व प्रशिक्षण दिया जाएगा. महिलाओं पर हो रही हिंसा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कोविड के समय में घरेलू हिंसा के आंकड़े तेजी से बढ़े थे, क्योंकि उस समय लोग एक साथ एक घर में 24 घंटे रहते थे. ऐसे में नोक-झोंक लगा रहता था. वर्तमान में घरेलू हिंसा के आंकड़े बेहद कम हैं, इस समय महीने में 4 से 5 घरेलू हिंसा के मामले आ रहे हैं. जबकि कोविड काल के दौरान हर दिन 4 से 5 मामले आते थे.

महिलाओं के कपड़ों पर फब्तियां कसने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि महिलाओं के कपड़ों की वजह से समाज में कोई भी केस नहीं होता है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि 3 साल की बच्ची के साथ रेप होता है, तो उसने ऐसा क्या पहना था जो उसके साथ ऐसी घटना हुई. इसलिए ऐसा कहना बहुत गलत है कि महिलाओं के पहनावे से उनके साथ छेड़छाड़ के मामले होते हैं.

उन्होंने कहा कि मैं इस बात की पूरी तरह से निंदा करती हूं. महिलाओं की कपड़ों को लेकर किसी को टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं कि अपनी निजी जिंदगी होती है. उनके भी अधिकार होते हैं, उन्हें स्वतंत्र जीने का अधिकार है.

इसे पढ़ें- खेल रत्न के लिए नीरज चोपड़ा, रवि दहिया, लवलीना बोरगोहेन सहित 11 के नाम की सिफारिश

लखनऊ : राजधानी में बुधवार को कौशल विकास योजना विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम व कौशल विकास मिशन के उप निदेशक राम कुमार मौजूद रहें. इस मौके पर विमला बाथम ने कौशल विकास एवं महिलाओं के जुड़े मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. बातचीत में विमला बाथम ने कहा कि महिलाओं के लिए कौशल विकास योजना बहुत ही लाभकारी है.

इस योजना के तहत शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं सशक्त, स्वाबलंबी और आत्मनिर्भर हो सकती हैं. सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं कौशल विकास योजना के तहत तमाम प्रशिक्षण कार्य चल रहे है. इसके तहत महिलाएं आसानी से रोजगार पा सकती हैं. आयोग के अध्यक्ष विमला बाथम ने बताया कि कौशल विकास योजना के तहत कई प्रकार के कई कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जिसमें सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, ब्यूटीशियन, अचार बनाना आदि शामिल हैं.

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम से खास बातचीत

इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओ को कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, हार्डवेयर, फूड प्रोसेसिंग, फर्नीचर फिटिंग, हैंडीक्रॉफ्ट, ज्वैलरी, लेदर टेक्नोलॉजी जैसे करीब 40 क्षेत्रों में तकनीकि शिक्षा व प्रशिक्षण दिया जाएगा. महिलाओं पर हो रही हिंसा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कोविड के समय में घरेलू हिंसा के आंकड़े तेजी से बढ़े थे, क्योंकि उस समय लोग एक साथ एक घर में 24 घंटे रहते थे. ऐसे में नोक-झोंक लगा रहता था. वर्तमान में घरेलू हिंसा के आंकड़े बेहद कम हैं, इस समय महीने में 4 से 5 घरेलू हिंसा के मामले आ रहे हैं. जबकि कोविड काल के दौरान हर दिन 4 से 5 मामले आते थे.

महिलाओं के कपड़ों पर फब्तियां कसने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि महिलाओं के कपड़ों की वजह से समाज में कोई भी केस नहीं होता है. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि 3 साल की बच्ची के साथ रेप होता है, तो उसने ऐसा क्या पहना था जो उसके साथ ऐसी घटना हुई. इसलिए ऐसा कहना बहुत गलत है कि महिलाओं के पहनावे से उनके साथ छेड़छाड़ के मामले होते हैं.

उन्होंने कहा कि मैं इस बात की पूरी तरह से निंदा करती हूं. महिलाओं की कपड़ों को लेकर किसी को टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं कि अपनी निजी जिंदगी होती है. उनके भी अधिकार होते हैं, उन्हें स्वतंत्र जीने का अधिकार है.

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