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ईटीवी भारत से बोले शिक्षा मंत्री, लॉकडाउन के बाद घर तक पहुंचाएंगे मिड डे मील

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Published : May 13, 2020, 6:46 PM IST

Updated : May 13, 2020, 6:53 PM IST

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान शिक्षा व्यवस्था, 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया और सरकारी स्कूलों की स्थिति सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

interview of minister of state satish chandra dwivedi
ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री डॉक्ट सतीश चंद्र द्विवेदी से खास बातचीत.

लखनऊ: बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत के सभी प्रश्नों का खुलकर जवाब दिया.

लॉकडाउन के पहले से चल रही थी तैयारी
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने लॉकडाउन में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर कहा कि, 'जब यह कोरोना का संकट नहीं था और हम लोगों को पता भी नहीं था कि ऐसा कुछ होने वाला है, उसके पहले से ही हम पिछले कई महीनों से अपने विभाग को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने का पूरा प्रयास कर रहे थे, क्योंकि हमारे पास व्यवस्थित डेटा नहीं था कि किन स्कूलों में कितने शिक्षक हैं, उनका बायोडाटा क्या है, कितने बच्चे हैं. अलग-अलग सोशल कैटेगरी के कितने हैं तो ये सारी चीजें हम पहले से एक्सरसाइज कर रहे थे.

ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री से खास बातचीत पार्ट-1

दीक्षा पोर्टल के माध्यम से टीचर्स को उपलब्ध कराए वीडियो
डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि, 'हम मानव सम्पदा पोर्टल का इस्तेमाल कर अपने सारे शिक्षकों और छात्रों का डेटा कलेक्ट कर रहे थे. हम प्रेरणा ऐप का प्रयोग करते हुए टीचर्स का जो लीव एप्लीकेशन होता है, उसे ऑनलाइन एक्सरसाइज कर रहे थे. हम दीक्षा पोर्टल का इस्तेमाल कर अपने टीचर्स को विभिन्न विषयों के वीडियो उपलब्ध करा रहे थे, जिसमें वो क्यू आर कोड को स्कैन कर पूरे चैप्टर को देख सकते थे कि उसे बेहतर तरीके से कैसे पढ़ाया जा सकता है. इसकी सहायता तब मिली, जब यह संकट आया.'

वाट्सऐप ग्रुप का मिला फायदा
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि, 'एक अप्रैल से 20 मई तक जो हमारे स्कूल बंद हो रहे थे, उसका नुकसान हो रहा था. हमारे बच्चे कोरोना के तनाव से गुजर रहे थे. इसके लिए हमने गूगल के विभन्न ऐप दीक्षा पोर्टल, टिक टॉक लर्न और मैथ मस्ती जैसे अनेक सारे माध्यमों का इस्तेमाल किया. इन सबमें ज्यादा प्रभावी रहा वाट्सऐप ग्रुप. हमारे हर ब्लॉक के वाट्सऐप ग्रुप पहले से बने हुए थे. हमारे ब्लॉक में जो ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर होता है, वो सारे टीचरों को वाट्सऐप के माध्यम से जोड़े रहता है. वो सब चीजें पहले से थीं तो उसी प्लेटफार्म का हमने थोड़ा और विस्तार किया. टीचर्स ने अभिभावकों को उनके वाट्सऐप ग्रुप से जोड़ा और बच्चों को होमवर्क भेजना शुरू किया. इस माध्यम से हमने बहुत सारी पठन-पाठन में होने वाली क्षति की पूर्ति की है.

69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रकिया पर क्या बोले राज्यमंत्री
69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया मामले को शिक्षामित्रों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि, 'कोई भी पक्ष उच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं होता है तो सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है. सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि जब भी सुनवाई हो तो सरकार का भी पक्ष सुना जाए.'

ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री से खास बातचीत पार्ट-2

भर्ती प्रक्रिया में नहीं आएगी कोई बाधा
उन्होंने कहा कि, 'मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह से उच्च न्यायलय ने सरकार की भर्ती प्रक्रिया पर मुहर लगाई है, उससे सर्वोच्च न्यायालय भी सरकार के उन तर्कों से सहमत होगी. यह भर्ती प्रक्रिया जिस तरह से तीव्र गति से शुरू हुई है, शीघ्र ही पूरी होगी. इसमें किसी तरह की बाधा नहीं आएगी.'

यूपी के नौजवान प्रतिभाशाली
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि, '69 हजार सहायक शिक्षा भर्ती का जो इतना ऊंचा 65 और 60 प्रतिशत कटऑफ था, उसको पास करने वाले एक लाख 46 हजार अभ्यर्थी हैं. इसका मतलब यह है कि हमारे यूपी के नौजवान प्रतिभाशाली हैं. हमें योग्य शिक्षक मिलने जा रहे हैं, इसमें कोई शक नहीं है.'

ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री से खास बातचीत पार्ट-3

सरकारी स्कूलों की बदल रही तस्वीर
'आखिर कब ऐसा दिन आएगा, जब लोग अपने बच्चों को निजी स्कूल की बजाय सरकारी विद्यालयों में पढ़ाना उचित समझेंगे' इस प्रश्न का जवाब देते हुए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि, 'मुझे आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमने जो 15 हजार स्कूल इंग्लिश मीडियम के या और स्कूल खोले हैं, उसमें आज यह स्थिति हो गई है कि स्कूलों को बोर्ड लगाना पड़ता है कि अब हमारे यहां जगह रिक्त नहीं हैं. हमारे कई विधायक कहते हैं कि कुछ स्कूलों में एडमिशन के लिए अब उनके पास सिफारिशें आती हैं. यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है.

सरकारी स्कूलों में वापस लौट रहे लोग
उन्होंने कहा कि, 'लोगों का दृष्टिकोण बदला है. लोगों के मन में आया है कि बहुत सारे निजी विद्यालयों में जिस तरह के शिक्षक हैं, उनसे ज्यादा योग्य शिक्षक हमारे पास हैं. पठन-पाठन की प्रक्रिया सुधरी है और अभिभावकों का विश्वास अब यूपी के सरकारी स्कूलों में बढ़ा है. लोग एक बार फिर सरकारी स्कूल में वापस लौट रहे हैं.

बच्चों के घर तक पहुंचाया जाएगा मिड डे मील का राशन
मिड डे मील के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, 'एक समस्या इस लॉकडाउन में है कि अगर स्कूल में भोजन बनवाएं और बच्चे भोजन करने आएं तो शिक्षकों को भी बुलाना पड़ेगा. व्यवस्थाएं करनी पड़ेंगी, जिससे लॉकडाउन का उल्लंघन होगा. जितने दिन मिड डे मील उन तक नहीं पहुंच पाया उतना प्रति छात्र जो हिस्सा अनाज का है, उसे अभिभावकों के माध्यमों से बच्चों के घर तक पहुंचाया जाएगा. साथ ही पर हेड जो कनवर्जन कास्ट हैं, वह धनराशि भी स्कूल खुलने पर अभिभावकों के बैंक अकाउंट लेकर बच्चों के पास भेजने का काम किया जाएगा.

लखनऊ: बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत के सभी प्रश्नों का खुलकर जवाब दिया.

लॉकडाउन के पहले से चल रही थी तैयारी
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने लॉकडाउन में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर कहा कि, 'जब यह कोरोना का संकट नहीं था और हम लोगों को पता भी नहीं था कि ऐसा कुछ होने वाला है, उसके पहले से ही हम पिछले कई महीनों से अपने विभाग को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने का पूरा प्रयास कर रहे थे, क्योंकि हमारे पास व्यवस्थित डेटा नहीं था कि किन स्कूलों में कितने शिक्षक हैं, उनका बायोडाटा क्या है, कितने बच्चे हैं. अलग-अलग सोशल कैटेगरी के कितने हैं तो ये सारी चीजें हम पहले से एक्सरसाइज कर रहे थे.

ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री से खास बातचीत पार्ट-1

दीक्षा पोर्टल के माध्यम से टीचर्स को उपलब्ध कराए वीडियो
डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि, 'हम मानव सम्पदा पोर्टल का इस्तेमाल कर अपने सारे शिक्षकों और छात्रों का डेटा कलेक्ट कर रहे थे. हम प्रेरणा ऐप का प्रयोग करते हुए टीचर्स का जो लीव एप्लीकेशन होता है, उसे ऑनलाइन एक्सरसाइज कर रहे थे. हम दीक्षा पोर्टल का इस्तेमाल कर अपने टीचर्स को विभिन्न विषयों के वीडियो उपलब्ध करा रहे थे, जिसमें वो क्यू आर कोड को स्कैन कर पूरे चैप्टर को देख सकते थे कि उसे बेहतर तरीके से कैसे पढ़ाया जा सकता है. इसकी सहायता तब मिली, जब यह संकट आया.'

वाट्सऐप ग्रुप का मिला फायदा
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि, 'एक अप्रैल से 20 मई तक जो हमारे स्कूल बंद हो रहे थे, उसका नुकसान हो रहा था. हमारे बच्चे कोरोना के तनाव से गुजर रहे थे. इसके लिए हमने गूगल के विभन्न ऐप दीक्षा पोर्टल, टिक टॉक लर्न और मैथ मस्ती जैसे अनेक सारे माध्यमों का इस्तेमाल किया. इन सबमें ज्यादा प्रभावी रहा वाट्सऐप ग्रुप. हमारे हर ब्लॉक के वाट्सऐप ग्रुप पहले से बने हुए थे. हमारे ब्लॉक में जो ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर होता है, वो सारे टीचरों को वाट्सऐप के माध्यम से जोड़े रहता है. वो सब चीजें पहले से थीं तो उसी प्लेटफार्म का हमने थोड़ा और विस्तार किया. टीचर्स ने अभिभावकों को उनके वाट्सऐप ग्रुप से जोड़ा और बच्चों को होमवर्क भेजना शुरू किया. इस माध्यम से हमने बहुत सारी पठन-पाठन में होने वाली क्षति की पूर्ति की है.

69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रकिया पर क्या बोले राज्यमंत्री
69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया मामले को शिक्षामित्रों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि, 'कोई भी पक्ष उच्च न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं होता है तो सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है. सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि जब भी सुनवाई हो तो सरकार का भी पक्ष सुना जाए.'

ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री से खास बातचीत पार्ट-2

भर्ती प्रक्रिया में नहीं आएगी कोई बाधा
उन्होंने कहा कि, 'मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह से उच्च न्यायलय ने सरकार की भर्ती प्रक्रिया पर मुहर लगाई है, उससे सर्वोच्च न्यायालय भी सरकार के उन तर्कों से सहमत होगी. यह भर्ती प्रक्रिया जिस तरह से तीव्र गति से शुरू हुई है, शीघ्र ही पूरी होगी. इसमें किसी तरह की बाधा नहीं आएगी.'

यूपी के नौजवान प्रतिभाशाली
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि, '69 हजार सहायक शिक्षा भर्ती का जो इतना ऊंचा 65 और 60 प्रतिशत कटऑफ था, उसको पास करने वाले एक लाख 46 हजार अभ्यर्थी हैं. इसका मतलब यह है कि हमारे यूपी के नौजवान प्रतिभाशाली हैं. हमें योग्य शिक्षक मिलने जा रहे हैं, इसमें कोई शक नहीं है.'

ईटीवी भारत की बेसिक राज्यमंत्री से खास बातचीत पार्ट-3

सरकारी स्कूलों की बदल रही तस्वीर
'आखिर कब ऐसा दिन आएगा, जब लोग अपने बच्चों को निजी स्कूल की बजाय सरकारी विद्यालयों में पढ़ाना उचित समझेंगे' इस प्रश्न का जवाब देते हुए बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि, 'मुझे आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमने जो 15 हजार स्कूल इंग्लिश मीडियम के या और स्कूल खोले हैं, उसमें आज यह स्थिति हो गई है कि स्कूलों को बोर्ड लगाना पड़ता है कि अब हमारे यहां जगह रिक्त नहीं हैं. हमारे कई विधायक कहते हैं कि कुछ स्कूलों में एडमिशन के लिए अब उनके पास सिफारिशें आती हैं. यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है.

सरकारी स्कूलों में वापस लौट रहे लोग
उन्होंने कहा कि, 'लोगों का दृष्टिकोण बदला है. लोगों के मन में आया है कि बहुत सारे निजी विद्यालयों में जिस तरह के शिक्षक हैं, उनसे ज्यादा योग्य शिक्षक हमारे पास हैं. पठन-पाठन की प्रक्रिया सुधरी है और अभिभावकों का विश्वास अब यूपी के सरकारी स्कूलों में बढ़ा है. लोग एक बार फिर सरकारी स्कूल में वापस लौट रहे हैं.

बच्चों के घर तक पहुंचाया जाएगा मिड डे मील का राशन
मिड डे मील के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, 'एक समस्या इस लॉकडाउन में है कि अगर स्कूल में भोजन बनवाएं और बच्चे भोजन करने आएं तो शिक्षकों को भी बुलाना पड़ेगा. व्यवस्थाएं करनी पड़ेंगी, जिससे लॉकडाउन का उल्लंघन होगा. जितने दिन मिड डे मील उन तक नहीं पहुंच पाया उतना प्रति छात्र जो हिस्सा अनाज का है, उसे अभिभावकों के माध्यमों से बच्चों के घर तक पहुंचाया जाएगा. साथ ही पर हेड जो कनवर्जन कास्ट हैं, वह धनराशि भी स्कूल खुलने पर अभिभावकों के बैंक अकाउंट लेकर बच्चों के पास भेजने का काम किया जाएगा.

Last Updated : May 13, 2020, 6:53 PM IST

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